उन्नाव : उप कृषि निदेशक ने जनपद स्तरीय कृषक जागरूकता गोष्ठी का किया आयोजन

उन्नाव : मंगलवार को जिलाधिकारी, रवीन्द्र कुमार की अध्यक्षता में उप कृषि निदेशक उन्नाव कार्यालय परिसर में प्रमोशन आफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फार इनसीटू योजनान्तर्गत जनपद स्तरीय कृषक जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में सांसद उन्नाव, डा0 सच्चिदानन्द हरि साक्षी जी महाराज उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि के रूप में सांसद ने दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम की शुरूआत की साथ ही अपने सम्बोधन में कहा कि जनपद के किसान भाई कृषि विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ लें और खेतों में पराली बिल्कुल न जलाएं। उन्होंने यह भी कहा कि जनपद में कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम सराहनीय ढंग से कार्य कर रही है, जिससे कृषकों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर निदान होता है।

उन्होंने कहा कि किसान का जीवन तपस्वी, त्यागी एवं सन्त महात्मा की तरह है। इस बात को समझते हुये सरकार हमेशा किसानों को लाभ पहुंचाने उनकी आमदनी दोगुनी करने के लिये अनेक योजनायें चला रही है। किसानों के घर-घर लाभ पहुंचाने का कार्य हम सभी का है।

जिलाधिकारी ने कृषक भाइयों को सम्बोधित करते हुये कहा कि  राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशानुसार खेतों में पराली जलाना अपराध है तथा पकड़े जाने पर सम्बंधित कृषकों के विरूद्व कड़ी कानूनी कार्यवाही की जायेगी।  उनसे जुर्माना भी वसूला जायेगा। उन्होंने  यह भी कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा 24 एवं 26 के अन्तर्गत खेतों में फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध है।

पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु दण्ड स्वरूप 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रू0 2500/- प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ क्षेत्र के लिये रू0 5000/- प्रति घटना एवं 05 एकड़ से अधिक के क्षेत्र के लिये रू0 15000/- प्रति घटना का प्राविधान है। अपराध की पुनरावृत्ति होने पर कारावास एवं अर्थदण्ड का भी प्राविधान है। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि किसान भाई खेतों में पराली जलाने की बजाय उससे खाद बनायें या गौशाला को दान करें।

किसान भाइयों के लिये 50 से 80 प्रतिशत अनुदान पर उन्नत कृषि यंत्र भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जिन ग्राम पंचायतों में गत वर्षो में फसल अवशेष जलाने की घटनायें हुयी थी वहां  गोष्ठी एवं डुग्गी पिटवाकर व्यापक प्रचार-प्रसार आगामी चार दिनों में करने के निर्देश दिये। ताकि जुर्माना लगाने की जरूरत न पड़े। उन्होंने कहा आगह करते हुये कहा कि जनपद में पराली जलाने की एक भी घटना घटित नहीं होनी चाहिये, इसको जलाने से वायु प्रदूषण व जल प्रदूषण की सम्भावना होती है। पराली जलाने से सांस लेने में तकलीफ आदि की समस्या बढ़ सकती है, जो कोविड-19 वायरस के दृष्टिगत भी घातक सिद्ध हो सकता है।

मुख्य विकास अधिकारी डा0 राजेश कुमार प्रजापति ने मृदा में जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ाने के लिये फसल अवशेष खेत में ही सड़ाकर जैविक खेती करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान अपनी ग्राम सभा में आग लगने की घटनायें किसी भी दशा में न होने दें।
उप कृषि निदेशक डा0 नन्द किशोर ने कहा कि फसल अवशेष को खेतों में कदापि न जलायें इससे एक ओर जहा वातावरण प्रदूषित होता है वहीं दूसरी ओर भूमि में पोषक तत्वों की एवं मित्र कीट की अत्याधिक क्षति होती है जिससे मृदा के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

जिला कृषि अधिकारी कुलदीप कुमार मिश्रा ने रबी मौसम के लिये बीज, उर्वरक की उपलब्धता की जानकारी दी। कृषि विज्ञान केन्द्र धौरा के वैज्ञानिकों ने कृषि यंत्रों के संचालन की विधि एवं उसके लाभ बतायें।

प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फाॅर इन-सीटू मैनेजमेण्ट ऑफ  क्राप रेजीड्यू योजनान्तर्गत कृषि यंत्र जैसे सुपर स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम, हैप्पी सीडर, थ्रेडर, मल्चर, श्रवमास्टर, कटर कम स्प्रेयर, रीवर सेवल, एम0बी0प्लाऊ, रोटरी सलेसर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल एवं रोटावेटर आदि यंत्रों का उपयोग कर फसल अवशेष को खेत में मिलायें और मिट्टी की उर्वरता बढ़ायें। इन यंत्रों पर 50 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध है।

कार्यक्रम में  विकास शुक्ला कृषि रक्षा अधिकारी उन्नाव, सहायक निदेशक मत्स्य, कृषि विज्ञान केन्द्र धौरा के कृषि वैज्ञानिकों, पशुपालन, उद्यान आदि विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों ने भाग लिया साथ ही जनपद के मुख्य रूप से सभी विकासखण्डांे से आये कृषकों ने भी कार्यक्रम में प्रतिभाग किया एवं अपनी समस्यायें बतायी जिनका समाधान किया गया।

 

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