बाबरी विध्वंस केस: 28 साल के लंबे अंतराल के बाद कल सुनाया जायेगा फैसला

आखिरकार लगभग 28 साल के लंबे अंतराल के बाद जाने-माने बाबरी विध्वंस केस का फैसला कल यानी 30 सितंबर को सुनाया जाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सीबीआई कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर 2 सितंबर से अपना निर्णय लिखवाना शुरू कर था। राम मंदिर निर्माण का भी कार्य शुरू हो गया है। वहीँ बाबरी मस्जिद मामले में कोई आरोपी कह रहा है कि वो मस्जिद नहीं महाजिद है तो कोई कोई कह रहा है की वो तो मस्जिद नहीं मंदिर था।

सभी लोगों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर डटी हुई है। इस मामले में भाजपा, शिवसेना व विहिप के वरिष्ठ नेताओं के साथ साधु-संत भी आरोपित हैं। बता दें कि, इस घटना को हुए लगभग 28 साल बीत चुकी है। यही नहीं इसके फैसले के आने से पहले ही 18 आरोपियों कि मौत हो चुकी है। बाकी जीवन के अंतिम पड़ाव में राम मंदिर निर्माण शुरु होने से बेहद प्रसन्न थे पर अगले 48 घंटे उन पर बहुत भारी हैं।

बाबरी मस्जिद के मुद्दई रहे इकबाल अंसारी का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद मंदिर-मस्जिद से जुड़े सभी मुकदमे समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि इससे हिंदू-मुस्लिम के आपसी सौहार्द को खतरा है। इस तरह के विवाद नहीं उठने चाहिए क्योंकि जो इस केस में आरोपी थे उसमें से बहुत अब नहीं रहे और बाकी बहुत सारे लोग वृद्ध हो चुके हैं। लिहाजा, अब मंदिर-मस्जिद से जुड़े सभी मुकदमे समाप्त कर देने चाहिए। इकबाल अंसारी के इस बयान के बाद अब विनय कटियार भी कह रहे हैं की सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद अब इन मुकदमों को समाप्त कर देना चाहिए।

वहीँ सदगुरु सदन गोलाघाट के महंत सियाकिशोरी शरण महाराज कहते हैं कि, “पूरी दुनिया का इतिहास संघर्षों से भरा है। एक हजार साल तक हिन्दुस्तान भी अलग-अलग आक्रांताओं से उत्पीड़ित होकर गुलाम बना रहा। ब्रिटिश हुकूमत से मिली स्वतंत्रता के बाद देश के हुक्मरानों ने अपने-अपने नजरिए से गुलामी के प्रतीक चिह्नों को समाप्त किया लेकिन वोटों की सियासत में रामजन्मभूमि, काशी और मथुरा की सुधि नहीं ली गयी। उन्होंने कहा कि काल का पहिया रुकता नहीं और समय स्वयं अपना इतिहास लिखता है। यह इतिहास बन चुका है। इस इतिहास का मूल्यांकन अलग-अलग संस्थाएं अपने-अपने दृष्टिकोण से करती रहेंगी।

वहीँ 30 सितंबर को फैसला आने से पहले सभी लोग काफी असमंजस में है। राम विलास वेदांती ने कहा कि यदि 30 तारीख के फैसले में हमें फांसी हो जाती है तो इससे बढ़कर सौभाग्य कुछ नहीं होगा। फैसले में आजीवन कारावास हो जाता है तब भी मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। यदि रामलला के नाम पर राम जन्मभूमि के नाम पर भगवान राम के नाम पर जेल जाने का सौभाग्य फिर प्राप्त हो रहा है तो मैं तैयार हूं। राम जन्मभूमि के नाम पर 25 बार जेल गया 26वीं बार जेल जाना होगा तो ये मेरा सौभाग्य होगा।

अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को हुई विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना पर न्यायालय का फैसला 30 सितंबर को सुनाया जाएगा। यह फैसला कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुनाया जाएगा। पुलिस ने लखनऊ में विशेष सीबीआई अदालत के आसपास कड़े सुरक्षा प्रबंधों की कार्ययोजना तैयार की है।

 

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