उम्माह का खलीफा बनने चला था मलेशिया, मोदी सरकार के एक दाँव से निकली हेकड़ी

धर्म के नाम पर बने और धर्म के नाम पर आतंकी पैदा करने वाले पाकिस्तान का इस्लाम से भरोसा बीते साल ही डोल गया था। पाकिस्तानी सीनेट के पूर्व चेयरमैन मियॉं राजा रब्बानी ने तो यहॉं तक कह दिया था कि ‘इस्लामिक उम्माह का बुलबुला फट गया है’ और पाकिस्तान को उम्माह के साथ रिश्तों पर फिर से विचार करना चाहिए। पाकिस्तान की यह स्थिति कश्मीर के मसले पर मोदी सरकार की कूटनीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ने से हुई थी।

ऐसे वक्त में पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए मलेशिया ने कई बयान दिए। मोस्टवांटेड जाकिर नाइक को पनाह देने वाले मलेशिया ने जम्मू-कश्मीर, नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और NRC जैसे मुद्दों को वैश्विक मंचों पर उठाने की कोशिश की। मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने और एनआरसी-सीएए पर भारत की खुलकर आलोचना की। उसने जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण से भी इनकार कर दिया। जबकि कुछ समय पहले तक वह खुद को भारत का अच्छा दोस्त बताता था। महातिर ने यह सब कुछ मुसलमानों के नाम पर किया।

उन्होंने किसी भी सूरत में भारत के सामने झुकने से इनकार किया। लेकिन अब मलेशिया की हेकड़ी निकलती दिख रही है। उसने कहा है कि पाम ऑयल को लेकर वह भारत से बातचीत कर रहा है। मलेश‍िया की प्राइम इंडस्ट्रीज मिनिस्टर टेरेसा कॉक ने कहा कि वह इस बारे में भारत के संपर्क में हैं। असल में मलेशिया के बदलते रूख को देखते हुए भारत ने पाम ऑयल के आयात पर पूरी तरह से रोक न लगाते हुए आयात घटाना शुरू कर दिया है। इससे उसकी बैचेनी बढ़ गई है।

ख़बर के अनुसार, टेरेसा कॉक ने कहा, “इस साल हमें अपने प्रमुख बाजारों से चुनौती मिलती दिख रही है।” उन्होंने कहा कि वह इस मसले पर मलेश‍िया में भारतीय उच्चायुक्त के सम्पर्क में हैं। उन्होंने कहा, “हमारे लिए यह ज़रूरी है कि राजनयिक चैनल से और सभी पक्षों से संवाद करें। हम सम्पर्क बनाए रखेंगे।”

इसके बाद मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पाकिस्तान से पाम ऑयल के आयात को बढ़ाने की गुहार लगाई है। लेकिन, पाकिस्तान की दिवालिया हालत से तो सारी दुनिया वाक़िफ़ है। ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि जो पाकिस्तान आर्थिक मदद के लिए बाक़ी देशों के आगे ख़ुद झोली फैलाए हुए है, वो मलेशिया की मदद कैसे करेगा।

बता दें कि पाम ऑयल के सन्दर्भ में भारत के साथ बिगड़ते रिश्तों का असर मलेशिया पर बड़े पैमाने पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मलेशिया से दो-तिहाई तेल भारत आता था। उस समय भारत में इस तेल के आयात पर सरकार की तरफ़ से कोई पाबंदी नहीं थी। लेकिन, भारत सरकार ने अब इसे “रिस्ट्रेक्टेड” श्रेणी में डाल दिया है। इस श्रेणी में डालने का मतलब है कि अब अगर किस व्यवसायी को मलेशिया से पाम ऑयल का आयात करना हो तो उसे सरकार से लाइसेंस लेना पड़ेगा।

भारत के इस क़दम से निश्चित तौर पर मलेशिया को एक बड़ा झटका लगा है। 2019 में भारत ने मलेशिया से 40 लाख टन पाम ऑयल आयात किया था, जो अब महज़ 0.9 लाख टन रह गया है। मलेशिया ने CAA और NRC को भारत सरकार का ग़लत और भेदभाव वाला क़दम बताया था। मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पिछले साल, अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर और CAA की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत ने कश्मीर में क़ब्ज़ा कर लिया है। CAA को लेकर कहा था कि भारत सरकार अशांति को बढ़ावा दे रही है।

वहीं, अगर मलेशिया के क़ानून और प्रशासन की बात करें तो वहाँ रहने वाले ग़ैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। नौकरियों से लेकर अन्य छोटे-मोटे कामों में हर क़दम पर भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जाती है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button