एम. एस. स्वामीनाथन बोले- MSP बढ़ाना पर्याप्त नहीं, ये थीं उनकी सिफारिशें

चेन्नई। कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन ने खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर लागत का डेढ़ गुणा कर दिए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन कहा है कि जो सिफारिश की गई थी, उससे कम है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार स्वामीनाथन ने एमएसपी बढ़ाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार को खरीद और भंडारण का उचित प्रबंध करना चाहिए.  उन्होंने कहा, ‘सरकार ने फसल बीमा में सुधार के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन कवरेज और परफार्मेंस को अभी भी संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है, और इसकी वजह से उच्च मूल्य वृद्धि तथा आसान कर्ज की मांग का जोखिम बना हुआ है.’

बता दें कि धान की एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विन्टल की रिकॉर्ड वृद्धि की गई, जबकि अन्य खरीफ फसलों के एमएसपी में 52 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी गई है. सरकार के इस कदम से खाद्य सब्सिडी का बोझ बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकता है और मुद्रास्फीति बढ़ने के रूप में भी इसका असर सामने आ सकता है.

कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि नीति में तीन घटकों को शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने एमएसपी आधारित फार्मूला C2+50% का उदाहरण देते हुए बताया कि खाद्य सुरक्षा, मिडे मील और अनुकूल खरीद नीति को प्रभावी तरीके से लागू करके उपभोग को बढ़ाया जा सकता है. इससे किसानों को उचित एमएसपी मिल सकेगी.

स्वामीनाथन के मुताबिक उच्च एमएसपी का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन गेहूं और धान की खरीद के अलावा दूसरी फसलों में खरीद में असमानता देखी जाती है. उन्होंने कहा, ‘अनुभव बताते हैं कि खरीदारी की उम्मीद में किसानों दलहन की ज्यादा खेती कर देते हैं, लेकिन बाजार मूल्य में गिरावट की वजह से उन्हें निराशा ही हाथ लगती है.’

बता दें कि प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है. स्वामीनाथन जेनेटिक वैज्ञानिक हैं. तमिलनाडु के रहने वाले इन वैज्ञानिक ने 1966 में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए. यूपीए सरकार ने किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आयोग का गठन किया जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा गया.  18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था. इस आयोग ने पांच रिपोर्ट सौंपी थीं.

सिफारिशों की मुख्य बातें…

– फसल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम किसानों को मिले.

– किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं.

– गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए.

– महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं.

– किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके.

 

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