एशियाड गोल्डन बॉय के पिता बोले- ऊंट के मुंह में जीरा है सरकार का इनाम, कर्जा भी नहीं उतरेगा

मेरठ। 18वें एशियाड में देश को पहला गोल्ड दिलाने वाले मेरठ के शूटर सौरभ चौधरी की उपलब्धि पर उनके परिवार को गर्व है मगर राज्य सरकार के ईनाम पर सौरभ चौधरी के पिता ने सवाल खड़े किये हैं. सौरभ के पिता जगमोहन चौधरी ने कहा कि सरकार के लिए 50 लाख क्या बड़ी चीज है, सरकार जो दे रही है उससे कर्जा भी नहीं उतरेगा. सरकार का ईनाम सौरभ के खर्चो के मुकाबले ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ है.

मेरठ से 27 किलोमीटर दुर बागपत जिले की सरहद से सटे कलीना गांव में कल सुबह (21 अगस्त) से जश्न का माहौल है. इस गांव के बेटे ने एशियाड में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया है. लेकिन इस जश्न के बीच सौरभ के पिता के माथे पर बल पड़े हुए है. सरकार की बेरूखी पर बात करते हुए जगमोहन कहते है कि पड़ोस के छोटे से राज्य हरियाणा में गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी को 3 करोड़ रूपये का ईनाम सरकार देती है. मगर इतने बड़े राज्य यूपी में खिलाड़ियों को महज 50 लाख रूपये का ईनाम? सरकार को कम से कम 5 करोड़ रूपये के ईनाम की घोषणा करनी चाहिए थी. बहरहाल, सरकार ने जो दिया सिर, माथे. सरकार जो करे सो उसकी मर्जी.

राज्य में खेल मंत्रालय, लेकिन हमारे लिए उसका कोई फायदा नहीं

यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले सोने के तमगों की जीत पर सरकार ने सौरभ को ईनाम दिया था, जगमोहन खीझकर कहते है- ईनाम! एक फोन तक नहीं आया. सौरभ ने स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल में कई बार सोने के तमगे हासिल किये, लेकिन किसी ने पूछा तक नहीं कि कौन और कहां का बच्चा है जो गोल्ड ला रहा है. हमारे लिए तो खेल मंत्रालय का कोई फायदा ही नहीं. कई गोल्ड मैडल जीतने के बाद भी कभी नहीं पूछा गया कि कौन बच्चा है जो इतने मैडल जीतकर ला रहा है.

राज्य सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिए बनाए नई पॉलिसी

खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के मामले में जगमोहन ने हरियाणा राज्य की तारीफ करते हुए कहा कि हरियाणा की सरकार खुद खिलाड़ियों पर ध्यान देती है, प्रोत्साहन करती है और खिलाड़ियों के खर्चे भी उठाती है. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार से इस बारे में चिठ्ठी लिखेंगे, जगमोहन कहते है कि चिठ्ठी क्या लिखें उन्हें तो सरकार का पता ही मालूम नहीं है. कोई हेल्प करेगा तो लिख देंगे. डीएम से कह देंगे. मगर क्या फायदा डीएम एक सेकेन्ड में कह देगें कि सरकार की यही पॉलिसी है. यह तो सरकार को चाहिए कि खिलाड़ियों के लिए यह पॉलिसी बदले और कैबिनेट में प्रस्ताव पास करे कि खिलाड़ियों को क्या लेना-देना है.

जगमोहन ने कहा कि हमारे बच्चे को मिले न मिले..कोई बात नहीं, लेकिन सरकार को सोचना जरूर चाहिए. जो बच्चे खून-पसीने की मेहनत से जुनून के साथ खेल के लिए जुटते हैं, सरकार के ऐसे रवैये से उनका मनोबल घटता है. कोई मजाक नहीं है खेल. जगमोहन ने यह भी बताया कि केन्द्र सरकार से अभी तक किसी भी ईनाम की घोषणा नहीं की गई है. महज 16 साल की उम्र में एशियाड में शूटिंग का गोल्ड मैडल जीतने वाले सौरभ ने अब तक का सबसे ज्यादा स्कोर करने का रिकॉर्ड भी बनाया है. सौरभ के परिवार का खेल और खिलाड़ियों से कभी कोई वास्ता नहीं रहा. सौरभ के पिता दो भाई हैं और दोनों खेती-किसानी से जुड़े हैं. सौरभ अपने परिवार और कुनबे में सबसे छोटा है.

 

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