… और अधूरा रह गया अपने बेटे को प्रधानमंत्री पद पर देखने का सपना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता का निधन, नम हुईं सीएम की आखें
पिता की मौत पर हुए स्तब्ध!, लॉकडाउन का पालन कर सन्यासी ने निभाया राजधर्म

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब टीम-11 के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। इस दौरान उन्हें पिता आनंद सिह बिष्ट के निधन की सूचना मिली। लेकिन मुख्यमंत्री ने बैठक जारी रखी। बैठक के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी कर कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं अंतिम दर्शन न कर सका और उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते वह पिता के अंतिम संस्कार में नहीं शमिल होंगे। सीएम ने कहा कि जो संस्कार उन्होंने हमें बचपन में दिये थे, उन्हीं का पालन करते हुए जनता की सेवा करता रहूंगा। एक पिता के लिए पुत्र का इस तरह निर्णय ले पाना बहुत दुखद और कठोर रहा होगा। लेकिन इस प्रकार का निर्णय लेकर मुख्यमंत्री ने यह साबित कर दिया कि उनके लिए प्रदेश की जनता ही उनका परिवार है, कोरोना संकट की इस घड़ी में वे एक सन्यासी व्रत का पालन करते हुए सच्चा राजधर्म निभा रहे हैं।
राजेश श्रीवास्तव
लखनऊ। अब जब उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट नहीं रहे तब उनकी एक इच्छा भी अधूरी ही रह गयी। वह अपने बेटे योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्र के पद पर देखना चाहते थे। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बंटवारे के विवाद पर एक बार उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि एक दिन देखियेगा उनका बेटा योगी प्रधानमंऋी बनेगा। उनका कहना था कि योगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम करने में काफी समानता है। उनका कहना था कि एक दिन मेरा यह सपना जरूर पूरा होगा, जब मेरा बेटा प्रधानमंत्री होगा।
उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिह बिष्ट अब हमारे बीच नहीं रहे। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। आनंद बिष्ट के निधन के साथ ही उनकी बेटे को लेकर एक बड़ी ख्वाहिश भी अधूरी रह गई। एक बार जब यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता से यूपी और उत्तराखंड के संसाधनों के बंटवारे के विवाद पर सवाल पूछा गया तो, उन्होंने कहा कि इस विवाद के निपटारे के लिए यही सबसे अनुकूल समय है। उत्तराखंड का बेटा यूपी का मुख्यमंत्री है और वह जरूर इस समस्या का हल करेगा। उनका कहना था कि अगर अभी यह समस्या हल नहीं हो पाई तो उत्तराखंड हमेशा के लिए अपने हक से वंचित हो जाएगा।
उत्तरप्रदेश की सत्ता पर काबिज योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल से उनके पिता आनंद सिह बिष्ट बेहद खुश थे। उन्होंने कहा था कि योगी आदित्य नाथ का अब तक का कार्यकाल बेहद सफल रहा और यूपी में पहली बार आम आदमी की सरकार बनी। आनंद बिष्ट ने ये भी कहा था कि पहले यूपी में सत्ता का उपयोग पैसा कमाने के लिए होता था। उनका कहना था कि योगी सुधारवादी नीतियों को सख्ती से लागू करने में लगे हैं। इसके लिए वह विरोध को भी तवज्जो नहीं दिया, क्योंकि यही यूपी के हित में है।

शपथ ग्रहण समारोह में न पहुंच पाने का था मलाल

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिह बिष्ट को बेटे के शपथ ग्रहण समारोह में न पहुंच पाने का मलाल था। उन्होंने बताया था कि समारोह के दिन पत्नी के साथ उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी, लेकिन समय कम होने के होने घर में काफी मेहमानों के आए होने के कारण उन्होंने घर में ही रुकने का फैसला किया और समारोह टीवी पर देखकर ही संतोष करना पड़ा था।
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जनवरी 1972 को उत्तराखंड(तब यूपी) के पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के पंचूर गांव में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी गांव में हुई। इसके बाद उन्होंने कोटद्बार डिग्री कॉलेज से गणित में बीएससी की। योगी आदित्यनाथ का वास्तविक नाम अजय सिह है।

घर पहुंचे योगी को देख भावुक हुए थे मां-बाप, कहा- यहां रहने नहीं, भिक्षा लेने आया हूं

पहली बार गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर पहुंचीं मां, बेटे योगी को संन्यासी वेष में देखकर फूट-फूट कर रोने लगीं। पीठाधीश्वर ने उन्हें समझाया, कहा कि योगी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वह जब चाहे, आप लोगों के पास जा सकते हैं। आप भी जब चाहे यहां आ सकती हैं, रह सकती हैं। आपका सदैव स्वागत है। मां को देख कर योगी भी भावुक जरूर हुए पर मन के ज्वार को रोके रखा। मंदिर से विदा करते समय उन्होंने मां से बोला, ‘छोटे परिवार से बड़े परिवार में मेरा एक संन्यासी के रूप में मिलन है। उसी रूप में जीवन जी रहा हूं।’ चार वर्ष बाद आदित्यनाथ ने संन्यासी के रूप में पंचूर की पहली यात्रा की। वह यात्रा परिवार को देखने के लिए नहीं, अपितु उन्हें एक संन्यासी जीवन का एक महत्वपूर्ण विधान माता पिता से संन्यासी के रूप में भिक्षा लेने का। माता पिता ने अपने संन्यासी पुत्र को यथोचित भिक्षा के रूप में चावल, फल, और सिक्के दिए।

गोरखपुर में योगी को भगवा वेष में देख चौंक गए थे पिता, बोले- ये क्या हाल बनाया है, घर चलो

जब गोरखपुर के महंत अवैघनाथ ने योगी को अपने आश्रम गोरखपुर बुला लिया था यह तभी का प्रकरण है। योगी आदित्यनाथ को पंचूर से गोरखपुर निकले छह महीने बीत गए थे, लेकिन उनके बारे में कोई सूचना नहीं थी। वह कौन सी नौकरी कर रहे हैं, किस हाल में हैं, घर पर कोई सूचना क्यों नहीं दे रहा है। यह सोचकर पिता परेशान हो गए। वह बेटे से संपर्क करना चाह रहे थे पर कैसे करें कोई संपर्क सूत्र नहीं मिल रहा था। वह इसी उधेड़ बुन में थे कि उनकी बड़ी बेटी पुष्पा जो शादी के बाद दिल्ली में बस गई थीं, उन्होंने योगी के बारे में पिता को एक महत्वपूर्ण सूचना दी। कहा कि आप गोरखनाथ मंदिर जाइए, सारी सूचना मिल जाएगी।
दरअसल, किसी ने पुष्पा को बताया था कि दिल्ली से छपने वाले किसी हिदी अखबार में छोटी सी खबर प्रकाशित हुई है कि गोरखपुर के सांसद और गोरक्षपीठाधीश्वर ने दो महीने पहले अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा कर दी है। वह योगी आदित्यनाथ हैं और पौड़ी के रहने वाले हैं। यह जानकर वह गोरखपुर के लिए चल दिए। गोरखपुर आए तो गोरखनाथ मंदिर पहुंचना कठिन नहीं था। वह जैसे ही मंदिर परिसर में पहुंचे देखा कि भगवा धारण किए सिर मुड़ाए एक युवा संन्यासी फर्श की सफाई का मुआयना कर रहा था। जब नजदीक पहुंचे तो हकीकत उनके सामने आ गई। वह था उनका अपना बेटा। अपने पुत्र को सन्यासी के रूप में देखकर वह अवाक रह गए। उन्हें तो इसकी कल्पना नहीं थी। उनके अंदर का पिता जाग उठा। उन्होंने कहा कि यह क्या हाल बना रखा है। यहां से तुरंत चलो।
अपने पिता को अचानक सामने देख वह भी हतप्रभ हो गए। भावनाओं पर काबू करते हुए उन्हें अपने साथ मंदिर स्थित कार्यालय ले गए। उस समय महंत अवेद्यनाथ बाहर थे, फोन पर उनसे संपर्क किया गया। अवेद्यनाथ जी को बताया गया कि योगी जी के पिता आए हैं। पीठाधीश्वर ने उनके पिता से बात की और कहा कि आप के पास चार पुत्र हैं, उनमें से एक को समाज सेवा के लिए नहीं दे सकते हैं। उनके पास कोई जवाब नहीं था। उस समय उनके सामने उनका बेटा नहीं, योगी आदित्यनाथ दिखाई दे रहे थे।
कुछ समय वहां व्यतीत करने के बाद पिता पंचूर लौट गए। जब वापस अपने गांव जाकर पत्नी को पूरी कहानी बताई तो मां का हृदय यह मानने को तैयार नहीं हुआ। वह गोरखपुर आने की जिद करने लगीं और एक दिन पति के साथ गोरखपुर आ गईं।

 

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