कब तक ये राजनेता भारतीय लोगों की विविधताओं का फायदा उठाकर, एक दूसरे के खिलाफ उन्हें खड़ा करते रहेंगे?

अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि भारतीय समाज ‘अत्यधिक स्तरित’ विघटित’ और ‘भेदभावपूर्ण’ समाज है। यह कैसे हुआ, यह जानना काफी दिलचस्प है। यह हमेशा से ऐसा नहीं था| जानबूझकर भारत के समाज में राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इसको उजागर किया गया है। अंग्रेजों के शाशन के  दौरान अंग्रेजों ने ये महसूस किया कि जब तक वे धार्मिक, भाषा और ऐतिहासिक प्रभागों पर शाशन करते रहेंगे , जो भारतीय समाज को चिह्नित करते थे वे सुरक्षित है।

ब्रिटिश शासकों का उद्देश्य बिलकुल स्पष्ट और दृढ था। विविध पृष्ठभूमि के कारण समाज में मौजूद मतभेदों को ब्रिटिश शासकों ने और बड़ावा दिया| उन्होंने भारतीय साम्राज्य को भारतीय लोगों की विविधताओं का फायदा उठाकर और एक दूसरे के खिलाफ उन्हें लड़ाकर खड़ा किया है-राज्य को राजकुमार; मुसलमानों के विरुद्ध हिंदू; जाति के खिलाफ जाति; और प्रांतों के खिलाफ प्रांत।

ब्रिटिश सरकार ने भारतीय समाज को तीन चरणों में बिखेरने का काम किया: –

  • सबसे पहले उन्होंने हिंदुओं को खुश किया
  • फिर मुसलमानों की बारी थी
  • अंत में उन्होंने पिछड़े वर्गों पर अपना ध्यान समर्पित किया

पहले ब्रिटिश शासकों ने लोगों का यथासंभव लंबे समय तक आर्थिक शोषण और अपने शासन का स्थायी रूप से इस्तेमाल किया। अब भारतीय राजनेता इसे अपने फायदे के लिए इसी तरह इस्तेमाल कर रहे हैं| भारतीय राजनेताओं को ब्रिटिश शासकों से तीन शक्तिशाली लोकतांत्रिक हथियारों का उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ है, अर्थात चुनाव नीति, जनगणना अभियान और आरक्षण नीति|चुनावी प्रयोजनों के लिए जाति, समुदाय, क्षेत्र, अधिकांश राजनीतिक दलों और चतुर राजनेताओं की भाषा की विविधता को विशेष रूप से निरंतर महत्व देने की वर्तमान प्रवृत्ति इसकी चरम पर है|

राजनेता उन्ही के पद चिन्नों पर चल रहे है और इस तरह के माहौल बना रहे है कि ब्रिटिश द्वारा बोया गया बीज आज भी हरा भरा होकर लहराए। अंग्रेजों के क़दमों पर चलते हुए लोगों को जाति,धर्म,समुदाय के मुद्दों पर बांटने की कोशिश कर रहे है|वक्त वक्त पर कांग्रेस इन मुद्दों को उठा कर प्रहार कर रही है| गुजरात चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला |कांग्रेस ने अंग्रेजों के क़दमों पर चलते हुए लोगों को जाति,धर्म,समुदाय के मुद्दों पर बांटने की कोशिश की|

वैसे तो कांग्रेस भाजपा को हराने में सक्षम नही हुई पर फिर भी हैरानी की बात ये है की उन निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ सीटों पर उसने जीत हासिल कर ली है जहां राहुल गांधी ने कम से कम एक मंदिर का दौरा किया था। अपने 11 दौरे में से, कांग्रेस ने 9 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की जहां राहुल गाँधी मंदिर भ्रमण के लिए गये|

पिछले कुछ समय से कर्नाटक में सांप्रदायिक तनाव को बड़ावा दिया जा रहा है | धर्म के नाम पे हत्याएं हो रही है और सरकार उस को ढकने की कोशिश कर रही है|

वर्तमान समय में महाराष्ट्र में हिंसा हो रही, दंगे हो रहे। चेंबुर और कोरेगांव में हिंसक झड़पों का मुख्य कारण मराठा शासक पेशवा बाजीराव पर ब्रिटिश जीत का जश्न था। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों ने दलितों को मराठा साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई के लिए इस्तेमाल किया था । इसलिए, इस घटना को ब्रिटिश द्वारा पेशवाओं पर दलित विजय के रूप में दर्शाया गया था।

200 वर्षों से  इस परंपरा का पालन किया किया जा रहा था, लेकिन एक बार भी वहां समुदायों के बीच कोई संघर्ष नहीं हुआ था। लेकिन इस बार 2 विशेष लोगों को आमंत्रित किया गया था और तुरंत उनके भाषण के बाद, हिंसक विरोध प्रदर्शन उभर आए .. इस बार समारोह के लिए, तथाकथित दलित नेता जिग्नेश मेवानी और भारत विरोधी आजादी गिरोह के नेता उमर खालिद को आमंत्रित किया गया| अब दुष्ट लोग भावनाओं को खारिज करके और विभाजन और शासन नीति का उपयोग करके लाभ लेना चाहते है। अब इसे राजनीतिक अशांति के लिए दलित बनाम आरएसएस / भाजपा के रूप में पेश किया गया है।

चुनावी प्रयोजनों के लिए जाति, समुदाय, क्षेत्र, धर्म पे लोगों को बांटना कोई नई बात नही है| 2019 के चुनावों के लिए कांग्रेस जाति रेखाओं पर विभाजित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रही है। कर्नाटक (लिंगायत), गुजरात (पटेल) और अब महाराष्ट्र में (दलित)| भारत में साम्प्रदायिकता के उदय का शिकार सबसे ज्यादा आम आदमी बना जबकि इसका लाभ ज्यादातर आर्थिक-राजनीतिक संभ्रांतो ने उठाया|

ये सब किस और संकेत कर रहे है| क्या आज भी हमारा समाज इस विभाजन और शाशन का शिकार हो रहा है| क्या हमारे समुदाए इतने कमजोर है की उनके इस छलावे से बहक गये| हाँ,ये यही संकेत कर रहा है की हमारा समाज सर्वनाश की दिशा के और जा रहा है| इस बात को अनदेखा न करे| ये एक गंभीर बीमारी है जो हमे दीमक की तरह खोखला कर रही है| हमे गंभीरता से इसे लेना होगा| हमे इस पे विचार करना होगा और आगे बड़ कर मिलजुलकर  कदम उठाने होंगे और इन विरोधी ताकतों को इनके मंसूबों में नाकाम करना होगा|

 

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