कश्मीर पर अमेरिका ने नहीं बदली अपनी नीति, भारत-पाक से ही मुद्दा सुलझाने को कहा

वॉशिंगटन। ट्रंप प्रशासन बुधवार (20 जून) को कश्मीर विवाद को सुलझाने में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को खारिज करते दिखा और उसने दोहराया कि मुद्दे पर किसी भी चर्चा का निर्धारण भारत एवं पाकिस्तान को करना है. ट्रंप प्रशासन ने यह प्रतिक्रिया भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तत्वाधान में भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग का सुझाव देने के बाद दी. अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कश्मीर पर हमारी नीति नहीं बदली है. हमारा मानना है कि कश्मीर पर किसी भी चर्चा की रफ्तार, गुंजाइश एवं प्रकृति का निर्धारण दोनों देशों को करना है.’’

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने बुधवार (20 जून) को जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों की जांच के लिए जांच आयोग गठित करने की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की सिफारिश का स्वागत किया. विदेश मंत्रालय ने यहां कहा कि जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि फारुख अमील ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बयान दिया.

मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में बल के अत्यधिक प्रयोग, आम नागरिकों की हत्या और पैलेट गन से लोगों को अंधा करने की जांच होनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लंबे वक्त से जम्मू कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के निरंतर ध्यान की मांग करता रहा है और ताजा रिपोर्ट जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान ज्ञात स्थिति को दोहराती है.

अलगाववादियों ने UNHRC में अर्जी दायर कर कश्मीर में ‘मानवाधिकार हनन’ के मामलों की जांच की मांग की
जबकि श्रीनगर में अलगाववादियों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में अर्जी दाखिल कर एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने की मांग की है, ताकि कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन के मामलों की विस्तृत जांच की जा सके. सैयद अली शाह गिलानी, मोहम्मद यासीन मलिक और मीरवाइज उमर फारूक की ओर से दायर अर्जी में कथित मानवाधिकार हनन के मामले गिनाते हुए दावा किया गया है कि स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करना जरूरी है.

कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए अलगाववादी नेता ने बुधवार (20 जून) को कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में स्थापित तथ्यों के आधार पर हम इस अपील के साथ आपका रुख कर रहे हैं कि आप अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर परिषद के सदस्यों को कश्मीर पर जांच बिठाने में मदद के लिए राजी करें.’’

 

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