कौन हैं संभाजी भिड़े जिनकी एक आवाज़ पर देश के प्रधानमंत्री भी खींचे चले आते हैं
वे एक कंकाल से दिखनेवाले व्यक्ति हैं। सफेद धॊती- कुर्ता और सर पर भगवा पगड़ी बांध कर साईकल चलाते हैं। बिना चप्पल नंगे पैर दौड़ते हैं। आम आदमी जैसे दिखते हैं, जिनकी अनुसरण करोड़ों युवा करते हैं। जिनकी एक आवाज़ पर खुद प्रधानमंत्री मोदी जी भी दौड़े आते हैं, वो हैं 85 वर्ष के बुजुर्ग जिनका नाम है संभाजी भिडे गुरुजी। संभाजी गुरूजी महाराष्ट्र के सांगली जिले से आते हैं। इनका पूरा नाम है संभाजी विनायक राव भिडे। वें न्यूक्लियर फिज़िक्स में पुणे यूनिवर्सिटी से एमएससी (एटॉमिक साइंस) में गोल्ड मेडलिस्ट हैं, और पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं।
दिखने में बहुत ही आम लगने वाले भिडे गुरुजी की उपलब्दियां गिनेंगे तो आप का सर चकरायेगा। गुरुजी ने 100 से भी अधिक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं। 67 डॉक्टोरल और पॊस्ट डॉक्टोरल रिसर्च वर्क में छात्रों के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम किया है। अमरीका के पेन्टगन में स्थित NASA के अडवाईसर के तौर पर भी गुरुजी ने काम किया है। यह सौभाग्य भिडे जी के अलावा आज तक किसी भी भारतीय वैज्ञानिक को नहीं मिला है। इतने सारे उपलब्दियां होने के बावजुद भी आज वे एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं।
प्रखर हिन्दुत्व के प्रतिपादक गुरूजी शिवाजी महाराज के अनन्य भक्त हैं। 1980 में शिव प्रतिष्ठान संस्था के नाम से गुरुजी ने एक संस्थान की स्थापना की है जिसमें करोड़ों लोग समाज के लिए काम करते हैं। भिडे गुरुजी किसी भी राजनैतिक पार्टी से संबंध नहीं रखते हैं लेकिन देश की सभी राजनैतिक पार्टियां और उनके राजनेता गुरूजी के एक आवाज़ पर दौड़े भागे आते हैं। यह गुरुजी का रुतुबा है की लोग उनकी अज्ञानुवर्ती है। गुरुजी के इर्द गिर्द हमेशा से ही विवादों का घेरा रहा है।
2008 में आई जॊधा-अक्बर फ़िल्म में रानी जोधा बाई को विवादत्मक रूप से दिखाने के विरॊध में उन्होंने उस फिल्म का पोस्टर फाड़कर फेंक दिया था और सिनेमा घरॊं को चेतावनी भी दी थी। इसके लिए उन्हें हिरासत में भी लिया गया था। इससे पहले 2004 में उन्होंने जेम्स लाईने द्वारा शिवाजी पर लिखी हुई किताब “Shivaji: Hindu King in Islamic India” के विरुद्ध भी पुणे में प्रदर्शन किया था। सम्भाजी पुणे, कॊल्हापुर और सतारा के आस पास अपनी संस्था द्वारा सामजिक सेवाएं भी करवाते हैं।
इस देश की विडंबना है की हिन्दू हित के बारे में बात करना अपराध है। हमेशा से ही देखा गया है कि भिडे गुरूजी को ‘हिन्दु उग्रवादी’ करार देकर उनपर तरह तरह के आरॊप लगाये गये हैं। उनकी छवी को एक उग्रगामी की तरह दिखाया गया है और लोगों के मन में उनके प्रति असहनशीलता भरने का काम भी व्यवस्तित रूप से किया है। लेकिन संभाजी इन सारी विषयों से विचलित नहीं होते। हाल ही में भीमा-कोरेंगांव घटना के लिए भी भिडे गुरुजी को ज़िम्मेदार बताने का प्रयास बिकाऊ पत्रकारों ने किया था लेकिन सच तो यह है कि भीमा-
कोरेंगाव दंगों के लिए गद्दार अज़ादी गैंग ही ज़िम्मेदार था। देश मे जब भी कोई दंगे होते हैं या किसीकी हत्या होती है तो हिन्दू संगठनों पर उंगली उठाई जाती है बिना इस बात जाँच किये कि असल में घटना का ज़िम्मेदार कौन है।
बिकाऊ मीडिया भले ही संभाजी को जितना भी बदनाम करे लेकिन लोग आज भी गुरूजी को भगवान की तरह पूजते हैं। साधारण से दिखनेवाले संभाजी के असाधारण व्यक्तित्व के कारण ही आज महाराष्ट्र में उनके करोड़ों अनुयायी है। सारे राजनैतिक दलों के नेता भी संभाजी को सम्मान देते हैं क्यों कि गुरुजी का रुतुबा ही ऐसा है की उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। भिडे गुरूजी अगर चाहते तो वे अमरीका में NASA के बड़े पद पर नियुक्त होकर ऐशो आराम की जीवन बिताते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया वे भारत लौटे और एक सामान्य मनुष्य की तरह जीवन यापन कर रहे हैं और माँ भारती और सनातन धर्म की सेवा करने में व्यस्त हैं। संभाजी उन सभी लोगों के लिए आदर्श है जो देश में रहकर देश के लिए जीना और मरने की चाह रखते हैं। संभाजी भिडे गुरुजी को नमन।
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