क्या पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से दिल्ली का सियासी सफर तय करेगी बीजेपी?

लखनऊ । बीजेपी ने अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव अभियान का आगाज कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अलग-अलग राज्यों में लोगों से संवाद करने के लिए रैलियों के साथ-साथ परियोजनाओं के नींव रखने और फीता काटने का सिलसिला भी शुरू कर दिया है.

पूर्वांचल को साधने के लिहाज से पीएम मोदी सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में शनिवार को एक रैली करेंगे. इस दौरान वे उत्तर प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी परियोजना पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करेंगे. इसके योजना को लखनऊ से बलिया तक बीज रणनीति के तहत देखा जा रहा है.

लखनऊ से गाजीपुर तक के 341 किलोमीटर लंबे इस हाईवे को अगले तीन सालों में पूरा कर लेने की सरकार की योजना है. ये देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे होगा. एक्सप्रेस-वे कॉरिडोर के आसपास इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की योजना है.

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे गोरखपुर इलाहाबाद और बुंदेलखंड के लिंक एक्सप्रेस वे से भी जुड़ जाएगा. माना जा रहा है कि इस योजना के जरिए बीजेपी 2019 की सियासी बिसात पूर्वांचल में बिछाएगी. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे यूपी के 9 जिलों से होकर गुजरेगा. इसके तहत करीब 18 लोकसभा सीटें आएगी.

यूपी के साथ-साथ बिहार की कुछ सीटों पर बीजेपी फायदा उठाना चाहती है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आजमगढ़ के 90 किलोमीटर के इलाके से गुजरेगा. वहीं इलाहाबाद, अयोध्या और गोरखपुर भी इससे लिंक होंगे. यूपी की करीब डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटें इसकी जद में आएंगी. यह एक्सप्रेस वे पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों को सीधे यूपी की राजधानी लखनऊ से कनेक्ट करेगा. इसके जरिए जहां लोगों को आने जाने में समय कम लगेगा, वहीं कारोबार भी बढ़ेंगे.

बता दें कि 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में पूर्वांचल की अहम भूमिका रही है. लोकसभा में महज एक सीट आजमगढ़ में बीजेपी को हार मिली थी. ऐसे में पार्टी ने 2019 में आजमगढ़ में भी कमल खिलाने की तैयारी कर रखी है.

2017 के विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ जिले की 10 विधानसभा सीटों में से महज एक विधानसभा सीट ही जीत सकी थी. ऐसे में अब बीजेपी ने अपना पूरा फोकस सपा के इस दुर्ग पर केंद्रित कर दिया है.

सपा-बसपा के साथ आने से बीजेपी का समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है. अंबेडकरनगर, फैजाबाद, सुल्तानपुर, गोरखपुर, देवरिया, गाजीपुर और जौनपुर जैसी सीटें पर खतरा मंडराने लगा है. यही वजह है कि मोदी बीजेपी के किले को दुरुस्त करने में जुट गए हैं. इसमें पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे एक संजीवनी साबित हो सकता है.

 

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