क्या बुकीज के ‘पावर प्ले’ का सबूत है आईपीएल में भ्रष्टाचार के जांच अधिकारियों का फंसना!

जसविंदर सिधू 

क्या इंडियन प्रीमियर लीग भ्रष्टाचारियों के चंगुल से मुक्त हो चुका है? क्या अब भी पावरफुल बुकीज के सिंडिकेट की पहुंच सिस्टम में इतनी मजबूत है कि उन्हें छू पाना संभव नहीं है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब ढूंढने की कोशिश न तो बीसीसीआई कर रहा है और न ही जांच करने वाली एजेंसियां.

चौकों-छक्कों की बारिश में क्रिकेट प्रेमी भी भूल चुके हैं कि 2013 में  भ्रष्टाचार के कारण आईपीएल में उनके भरोसे से साथ जालसाजी भी हुई थी. सवाल यह भी है कि क्या खिलाड़ी अब बुकीज की पहुंच से बाहर हैं या उन्होंने युवा खिलाड़ियों को अपने जाल में फंसाना बंद कर दिया है? क्या बुकी अब चुपचाप अपना धंधा बंद करके घर में बैठे हैं ?

इस सीजन में भी हुई है कुछ संदिग्ध गेंदे

इस सत्र में भी कुछ हैरान कर देने वाली नो बॉल हुई हैं. कई संदिग्ध रन आउट हुए हैं. अगर यह किसी पाकिस्तानी खिलाड़ी के साथ हुआ होता तो यकीनन इस समय उसके खिलाफ हर तरह की जांच होती. लेकिन यह भी सही है कि बिना सबूत कोई दावा करना तर्कसंगत नहीं है. क्रिकेट में अजीबोगरीब तरीके से कैच छूटना और रन आउट होना आम है. लेकिन पिछली घटनाएं ऐसी हैं, जिनकी वजह से कई बार शक होता है. दरअसल, क्रिकेट प्रेमियों के जहन से फिक्सिंग का शक हमेशा के लिए निकला नहीं है.  इसीलिए सब सवालों के जवाब के लिए व्यापक जांच जरूरी है.

वैसे 2013 की फिक्सिंग में दो बेहतरीन और हैरान कर देने वाली जांच से जुड़े जांचकर्ताओं के साथ जो हुआ, उससे पहली नजर में लगता है कि क्रिकेट के भ्रष्टचारी अब भी काफी ताकतवर हैं और उनकी पहुंच तक कोई दूसरा नहीं पहुंच सकता.

जांच करने वाले अधिकारियों पर लगाए गए थे आरोप

पिछले महीने तमिलनाडु के आईपीएस ऑफिसर संपत कुमार के खिलाफ सारे आरोप गलत पाए गए और उन्हें बाइज्जत उनका रुतबा लौटाया गया है. संपत कुमार वही पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने 2013 में आईपीएल में बुकीज और कुछ खिलाड़ियों के भ्रष्ट होने की जांच की अगुआई की थी. संपत कुमार की जांच में बुकीज की फोन रिकॉर्डिंग में आईपीएल टीम के एक सुपर स्टार का नाम बार-बार उभर कर सामने आया.

यहां साफ करना जरूरी है कि फोन कॉल में दो बुकी टीवी पर इस समय सबसे बड़े क्रिकेट ब्रांडों में से एक के बारे दावा कर रहे हैं कि उससे बात हो गई है. इस बातचीत में उक्त क्रिकेटर इस बातचीत में खुद शामिल नहीं है.

फर्जी पासपोर्ट की पड़ताल बुकियों तक पहुंची तो संपत कुमार और उनकी टीम को हैरान कर देने वाली सूचनाएं मिली जो उन्होंने जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी के जांच दल को मुहैया करवाईं

फोटो: नरेश शर्मा

आर एम लोढ़ा

संपत और उनकी टीम की इस जांच की तारीफ हुई लेकिन एकाएक कुछ ऐसा हुआ कि संपत के खिलाफ बुकीज से पैसा लेने और मामले को कमजोर करने का आरोप लगा. विभाग ने उनके मामले की जांच शुरू की.

संपत सस्पेंड हो गए और उनकी आईपीएल की जांच उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के शोर में दब  कर रह गई. पिछले महीने संपत के खिलाफ लगे सभी आरोप गलत पाए गए.

संपत ने खास बातचीत में कहा कि उन्हें अंदाजा नहीं है कि यह सब क्यों झेलना पड़ा. वह पीछे मुड़ कर देखते हैं तो कुछ समझ नहीं आता. उनकी जांच मजबूत थी लेकिन हुआ क्या? संपत गलत थे या नहीं, इस सब में जाने के कोई मायने नहीं हैं क्योंकि ऐसे मामलों में ‘बरी’ शब्द हर तर्क और दावे पर भारी रहता है.

संपत ने अब आईपीएल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की है. देखना रोचक होगा कि वह कोर्ट में लंबित अपनी पहली जांच की तरह इस बार कहां तक पहुंचते हैं.

डिश एंटीना से सीधी फीड से करते थे बुकिंग 

2013 में ही अहमदाबाद में इन्फोर्समेंट डायरक्टरेट (ईडी) के जॉइंट डायरेक्टर जेपी सिंह ने भी एक ऐसे बुकीज के गिरोह को खोज निकाला जो आईपीएल मैचों से अरबों कमा रहा था. उस समय दावा किया गया कि ईडी ने 2000 करोड़ के आईपीएल सिंडिकेट को पकड़ा है. जो सबूत पेश किए गए, वे जेपी सिंह को एक बेहतरीन जांचकर्ता करने के लिए काफी थे.

मसलन, सिंह की जांच में पहली बार पता लगा कि बुकी अलग से डिश एंटीना लगा कर सीधे सैटेलाइट को जाने वाली फीड चोरी करके वह सट्टा लगाने वाले लोगों को मुहैया करवा रहे थे.

सीधे फीड में विज्ञापन नहीं होते और यह केबल, डिश और एचडी जैसे प्लेटफॉर्म पर सीधे प्रसारण से 7 से 8 सेकेंड आगे होती है. यानी अगर स्टेडियम में किसी ओवर की पांचवीं गेंद फेंकी जा चुकी है तो टीवी पर अभी तीसरी या चौथी गेंद का ही प्रसारण दिखाई देगा.

ऐसे में सीधी फीड देख कर मैच में पैसा लगाने वाले के पास चंद सेकेंड का लाभ है जो वह ओवर की समाप्ति के स्कोर पर या किसी अन्य ब्लॉक पर पैसा लगा सकता है.

जेपी सिंह की ही जांच में सामने आया था कि बुकीज ने कई बेरोजगारों को आईपीएल मैचों के दौरान स्टेडियम से ही सीधे फोन पर कमेंटरी करने के लिए लगाया था. स्टेडियम में चल रहे खेल और टीवी पर विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इसके सीधे प्रसारण में आठ से 13 सेकेंड का फर्क होने का दावा किया गया.

2015 में जेपी सिंह को सीबीआई ने बुकीज से पैसा लेने के आरोप में हिरासत में लिया. करीब एक साल बाद मामला ठंडा होता दिखाई दिया. जेपी सिंह ने उस जांच के बाद काफी कुछ झेला. वह इस समय नॉर्थ-ईस्ट में कस्टम विभाग में फिर से बड़े पद की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं. उनके खिलाफ बुकीज से पैसा लेने का लंबित मामला फिलहाल सिर्फ रेंग रहा है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

 

 

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