क्या सोनिया राजीव की शादी प्रियंका उर्फ़ ‘बियेन्का’ और राहुल उर्फ़ ‘रॉल’ के पैदा होने बाद हुई थी ?

के.एन. राव ने अपनी पुस्तक में साफ़ कहा कि राजीव गाँधी ने, तूरिन (इटली) की महिला “सोनिया माईनो” से विवाह करने के लिये अपना तथाकथित पारसी धर्म छोड़कर कैथोलिक ईसाई धर्म अपना लिया था। राजीव गाँधी बन गये थे रोबेर्तो और उनके दो बच्चे हुए जिसमें से लड़की का नाम था “बियेन्का” और लड़के का “रॉल“। बड़ी ही चालाकी से भारतीय जनता को बेवकूफ़ बनाने के लिये राजीव-सोनिया का हिन्दू रीति-रिवाजों से पुनर्विवाह करवाया गया और बच्चों का नाम “बियेन्का” से बदलकर “प्रियंका” और “रॉल” से बदलकर राहुल कर दिया गया… बेचारी भोली-भाली आम जनता! अब एक और धूर्तता देखिये! भारत में प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्रिटेन में हुई एक प्रेस कोंफ्रेंस में “राजीव खान ने दावा किया कि वो हिन्दू नहीं बल्कि पारसी है! अब “फिरोज़ खान के पिता (राजीव के दादा) गुजरात के जुनागड़ के एक मुस्लिम महाशय थे। पंसारी का काम करने वाले इस मुस्लिम ने एक पारसी महिला से शादी की थी उस महिला को इस्लाम कुबूल कराया गया। शायद यही से ही राजीव ने अपनी ये पारसी होने कि काल्पनिक कहानी गड़ी।

वैसे इसके पुरखों में कोई भी पारसी नहीं रहा और राजीव का अंतिम संस्कार पूरे भारत के सामने हिन्दू विधि-विधान से हुआ है। क्यों राजीव का अन्तिम-संस्कार हिन्दू रीति-रिवाजों के तहत किया गया, ना ही पारसी तरीके से ना ही मुस्लिम तरीके से? इसी नेहरू खानदान की भारत की जनता पूजा करती है, एक इतालियन महिला जिसकी एकमात्र योग्यता यह है कि वह इस खानदान की बहू है आज देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की कर्ताधर्ता है और “रॉल” को भारत का भविष्य बताया जा रहा है।

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी लिखते हैं कि इस सोनिया गाँधी का असली नाम अन्तोनिया मायनो है और उसका बाप इटली के कुख्यात फासिस्ट शासन का एक कार्यकर्ता था और उसने रूस में पांच साल का कारावास भोगा। सोनिया गाँधी ने हाई स्कूल से ज्यादा शिक्षा तक प्राप्त नहीं की है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर के बाहर अंग्रेजी का ज्ञान देने वाली एक छोटे से स्कूल लेंनोक्स स्कूल से उसने थोड़ी बहुत अंग्रेजी सीखी और अब उसे ही कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक हुआ बताती है। जबकि सच्चाई यह है कि सोनिया स्नातक है ही नहीं, वो कैम्ब्रिज में पड़ने जरूर गई थी लेकिन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में नहीं। सोनिया गाँधी कैम्ब्रिज में अंग्रेजी सीखने का एक कोर्स करने गई थी, ना कि विश्वविद्यालय में (यह बात हाल ही में लोकसभा सचिवालय द्वारा माँगी गई जानकारी के तहत खुद सोनिया गाँधी ने मुहैया कराई है, उसने बड़े ही मासूम अन्दाज में कहा कि उसने कब यह दावा किया था कि वो कैम्ब्रिज की स्नातक है)। थोड़ी बहुत अंग्रेजी सीखने के बाद उसने कैम्ब्रिज में एक होटल में वेट्रेस का काम किया। इंग्लैंड में सोनिया गाँधी के “माधव राव सिंधिया” के साथ बहुत करीबी सम्बन्ध थे जो कि उसकी शादी के एक साल बाद तक चले। १९८२ में एक बार रात को 2 बजे दोनों एक ही कार में साथ साथ पकड़े गए थे जब आई.आई.टी. दिल्ली मेन गेट के पास उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी।

इंदिरा और राजीव के सत्ता में रहते प्रधानमंत्री सुरक्षा बल नई दिल्ली और चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर आया जाया करते थे जहाँ से भारत के मंदिरों की कीमती मूर्तियां, प्राचीन वस्तुएँ, पेंटिंग्स क्रेट में भरकर रोम भेज दी जाती थी। पहले मुख्यमंत्री और बाद में केंद्रीय मंत्री रहा अर्जुन सिंह इस लूट का पूरा आयोजन किया करता था। सीमा शुल्क से बचते हुए बिना कोई कस्टम ड्यूटी दिए, इटली में पहुंचा दी जाती थी, ये सारा खजाना सोनिया की बहन अलेस्संद्र माइनो विंची के स्वामित्व वाली दो दुकानों में बेच दिया जाता था।

अब ज़रा इस परिवार के अन्दर के षड्यंत्रकारियों और सत्ता हथियाने की उनकी चालाकियों के बारे में जान लिया जाये। इंदिरा को बेशक गोलिया मारी गयी थीं लेकिन मृत्यु दिल या दिमाग को गोलियों द्वारा बेधने से नहीं हुई, बल्कि बहुत ज्यादा खून बह जाने के कारण हुई थी। जब इंदिरा को गोली लग चुकी थी तब सोनिया ने अजीब व्यवहार करते हुए बजाय इंदिरा को एम्स ले जाने के (जहाँ इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए प्रोटोकॉल था), बल्कि उसकी विपरीत दिशा में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में ले जाने पर जोर दिया और बाद में अपना मन बदलते हुए फिर से फैसला बदला और इंदिरा को एम्स लाया गया। इस बीच करीब 24 मिनट बर्बाद हुए। जब एक एक सेकण्ड मौत करीब आ रही हो तब 24 मिनट की कीमत शायद सोनिया अच्छे से जानती थी। अब ये तो भगवान ही जानते होंगे कि ये सोनिया की मुर्खता थी या अपने पति को सत्ता दिलवाने के लिए की गयी चालाकी!

अच्छा अब जरा इस पर ध्यान दें! राजेश पायलट और माधव राव सिंधिया प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत दावेदार थे और वे सोनिया की सत्ता के रास्ते में रोड़ा थे। दोनों की ही रहस्यमय दुर्घटनाओं में मृत्यु हो गई, इस बात की और इशारा करने वाले भी पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं कि माइनो परिवार (सोनिया का इतालियन परिवार, जिसमें इतालियन माफिया भी शामिल है ) ने ही राजीव गांधी की हत्या के लिए लिट्टे समुदाय को अनुबंधित किया। आजकल सोनिया एमडीएमके, पीएमके और द्रमुक जैसे राजनीतिक दलों के साथ राजनीतिक गठबंधन करती है जो राजीव गांधी के हत्यारों की प्रशंसा करने में नहीं शर्माते थे। कम से कम एक भारतीय विधवा तो ऐसा कभी नहीं करेगी। राजीव की हत्या में सोनिया की भागीदारी के लिए एक जांच की जानी चाहिए !


स्रोत :विस्तार से जानने के लिए आप डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी की पुस्तक “Assassination Of Rajiv
Gandhi — Unasked Questions and Unanswered Queries”
 (ISBN :81-220-0591-8) पढ़ सकते हैं!.

 

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