क्या होता है हॉर्स ट्रेडिंग का मतलब? कहां से आया? समझें राजनीति में मायने

नई दिल्ली। हॉर्स ट्रेडिंग… ये वो शब्द है जिसे आपने पिछले कुछ दिनों में टीवी पर बहस के दौरान सुना होगा, अखबार में किसी खबर के हेडलाइन में पढ़ा भी होगा. पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से कर्नाटक में सरकार गठन को लेकर सियासी उठापटक मची है, इस शब्द का उपयोग बढ़ गया है. लेकिन इसका मतलब क्या होता है और राजनीति से इसका आखिर क्या लेना-देना है. यहां समझिए…

आखिर इसका मतलब क्या है…?

दरअसल, हॉर्स ट्रेडिंग का मतलब ‘घोड़ों की बिक्री’ से है. असल में इस शब्द की शुरुआत कैंम्ब्रिज डिक्शनरी से हुई थी. करीब 18वीं शताब्दी में इस शब्द का इस्तेमाल घोड़ों की बिक्री के दौरान व्यापारी करने लगे, लेकिन इसके साथ किस्से जुड़े कि इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जाने लगे.

18वीं शताब्दी की शुरुआत यानी 1820 के करीब जब घोड़ों के व्यापारी अच्छी नस्ल के घोड़ों की खरीद-फरोक्त करते थे और कुछ अच्छा पाने के लिए किसी तरह के जुगाड़ या चालाकी के लिए जो तकनीक अपनाते थे, उसे ही हॉर्स ट्रेडिंग कहा गया.

बताया जाता है कि इस दौरान व्यापारी अपने घोड़ों की कहीं पर छुपा देते थे, कहीं पर बांध देते थे या फिर किसी और अस्तबल में पहुंचा देते थे. फिर अपनी चालाकी, पैसों के लेन-देन के दमपर सौदा किया जाता था.

एक किस्सा ये भी…

इसके अलावा पुराने जमाने में जब भारत के व्यापारी अपने कारिंदों को अरब देश में घोड़े खरीदने के लिए भेजते थे. तो वापस आते वक्त कुछ घोड़े मर जाते थे, लेकिन अपने मालिकों को संतुष्ट करने के लिए वो घोड़ों की पूंछ दिखाकर ही गिनती पूरी कर लिया करते थे. यानी 100 घोड़े खरीदे, तो 90 दिखाए बाकी 10 की पूंछे दिखाकर कहा कि वो तो मर गए. मालिक यकीन कर लेते थे.

तो बाद में कारिंदों ने 100 के पैसे लेना शुरू किया और सिर्फ 90 ही घोड़े खरीदे. मतलब 10 घोड़ों का फायदा उठाना शुरू कर दिया. इसे भी हॉर्स ट्रेडिंग के किस्सों से जोड़ा गया.

राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग क्या है…?

यूं तो राजनीति में इस शब्द का कोई औचित्य नहीं होता है, लेकिन पिछले कुछ समय में इसका इस्तेमाल बढ़ा है. जब राजनीति में नेता दल बदलते हैं, या फिर किसी चालाकी के कारण कुछ ऐसा खेल रचा जाता है कि दूसरी पार्टी के नेता आपका समर्थन कर दें तब राजनीति में इसे हॉर्स ट्रेडिंग कहा जाता है. भारत में इसे दल-बदलना, दल-बदलू भी कहते हैं. इसको लेकर अपने देश में कानून भी है.

क्या कहता है एंटी डिफेक्शन लॉ (दल-बदल निषेध कानून)?

अनुसूची के दूसरे पैराग्राफ में एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत अयोग्य करार दिए जाने का आधार स्पष्ट किया गया है.

# यदि कोई विधायक स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता त्याग दे

अगर वह पार्टी द्वारा जारी किए गए निर्देश के खिलाफ जाकर वोट करे या फिर वोटिंग से दूर रहे.

निर्दलीय उम्मीदवार अयोग्य करार दे दिए जाएंगे अगर वह किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाएं

एक पार्टी का विलय दूसरी पार्टी में हो सकता है लेकिन इसके लिए कम से कम पार्टी के दो-तिहाई विधायकों का वोट जरूरी है.

कर्नाटक-गोवा-मणिपुर-उत्तराखंड में लगे आरोप

हाल ही के दिनों में जिस प्रकार गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और कर्नाटक में राजनीतिक उथल-पुथल मची तो हॉर्स ट्रेडिंग के ही आरोप लगे. कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायकों की खरीद-फरोक्त कर रही है, इसके अलावा कई विधायकों को डराया धमकाया भी जा रहा है. इसके अलावा राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग को लेकर भी कई तरह के आरोप लगाए गए थे.

 

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