गड्ढा मुक्त नहीं हो पाया योगी का यूपी, एक साल में 987 की गई जान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि वह 15 जून 2017 तक प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करा देंगे. मगर आंकड़े बताते हैं कि सड़कों पर गड्ढे नहीं भरे जा सके और इसकी वजह से होने वाले हादसों में सबसे ज्यादा मौतें यूपी में हुई हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष यूपी में 987 लोगों की जान सड़क पर गड्ढों की वजह से हुए हादसों में चली गईं, जो देश में सबसे अधिक है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कें जानलेवा साबित हो रही हैं. आलम यह है कि गत वर्ष 2017 में इन गड्ढों ने 3,597 लोगों की जान ले ली. मतलब अपने देश में गड्ढों की वजह से औसतन रोजाना 10 जानें जा रही हैं. 2016 के मुकाबले देखा जाए तो एक साल में यह आंकड़ा 50 फीसदी तक बढ़ गया है.

वर्ष 2017 में महाराष्ट्र में 726 लोगों को सड़क पर गड्ढे होने की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी. 2016 की तुलना में महाराष्ट्र में गड्ढों के चलते होने वाली मौतों का यह आंकड़ा दोगुना रहा.

सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों की गंभीरता को इससे समझा जा सकता है कि 2017 में देश में नक्सलवादी और आतंकवादी घटनाओं में 803 जानें गईं, इनमें आतंकवादी, सुरक्षाकर्मी और आम नागरिक तीनों शामिल हैं.

सड़क पर गड्ढों के चलते होने वाली मौतों ने फिर इस बहस को ताजा कर दिया है कि नगर निकायों और सड़क स्वामित्व वाली एजेंसियों में भ्रष्टाचार इन गड्ढों के होने की एक बड़ी वजह है. इसके अलावा सड़क पर यातायात नियमों का पालन न करने वाला मुसाफिरों का रवैया और अधिकांश दोपहिया चालकों का हेल्मेट न पहनना भी इन मौतों का प्रमुख कारण है.

सबसे ज्यादा मौतें यूपी में

सड़क हादसों की वजह से हुई मौतों के इन आंकड़ों को सभी राज्यों ने केंद्र सरकार के साथ साझा किया है. इन आंकड़ों से उजागर होता है कि गड्ढों के चलते उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 987 लोगों की मौते हुईं. इस मामले में यूपी के बाद सबसे ज्यादा खराब रिकॉर्ड हरियाणा और गुजरात का है. दिल्ली में 2017 में गड्ढों के चलते आठ लोगों की जान गई, जबकि 2016 में गड्ढों के चलते यहां एक भी इस तरह का मामला सामने नहीं आया.

सड़क हादसों की इस तस्वीर पर सड़क सुरक्षा मामलों के जानकार रोहित बलुजा कहते हैं कि इन दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार अफसरों पर भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या के आपराधिक मुकदमे दर्ज होने चाहिए. कई रिपोर्टों में सामने आया है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह गलत डिजाइन, खराब रख-रखाव और सड़क समस्याओं को सुलझाने की अनदेखी भी है.

केंद्रीय सड़क मंत्रालय के एक अफसर ने बताया मोटर वाहन संशोधन विधेयक में इस तरह के प्रावधानों को शामिल किया जा रहा है.यह विधेयक संसद की कार्यवाही सुचारू ढंग से न चल पाने के कारण लंबे समय से संसद में अटका हुआ है.

 

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