गुजरात में कांग्रेस के ‘ठेकेदार’ हार्दिक पटेल का ‘सिक्का’, एक पासे से बीजेपी को बदलनी पड़ी चाल

गांधीनगर। चुनावी सियासत के नजरिए से 2017 भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी उत्साहजनक रहा. साल का आखिरी महीना भी पार्टी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश की सत्ता के रूप में तोहफा देकर गया. लेकिन आखिरी हफ्ते में सरकार का शपथ ग्रहण होते की अंदरूनी खींचतान सामने आई. लेकिन साल के अंतिम दिन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के एक फोन कॉल ने गुजरात के अंदरूनी सियासी बवाल पर विराम लगा दिया.

डिप्टी मुख्यमंत्री का पद मिलने के बावजूद मनचाहे मंत्रालय न मिलने से नाराज नितिन पटेल को शाह ने मना लिया और उन्हें इच्छानुसार विभागों का वादा कर पदभार संभालने के लिए राजी कर लिया. नितिन पटेल ने भी पार्टी अध्यक्ष की बात मानी और उनसे फोन पर बातचीत के महज कुछ घंटों में ही कार्यभार संभाल लिया.

लेकिन इस पूरी खींचतान में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल फैक्टर की चर्चा हुई. दरअसल, 26 दिसंबर को शपथ ग्रहण के बाद से ही गुजरात में बड़े समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले नितिन पटेल पद के मुताबिक मंत्रालय न मिल पाने से नाराज दिख रहे थे. नितिन पटेल का विरोध इस हद तक पहुंच गया था कि उन्होंने पदभार नहीं संभाला. यहां तक कि पहली कैबिनेट मीटिंग में भी नहीं पहुंचे तो मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को उन्हें घर जाकर मनाना पड़ा और चार घंटे देरी से हुई मीटिंग में नितिन पटेल शामिल हुए. इसके बाद जब वो सीएम के साथ प्रेस ब्रीफिंग के लिए तो वहां भी उनकी भाव-भंगिमाओं ने रोष जाहिर कर दिया.

इस बीच हार्दिक पटेल ने बीजेपी के अंदरूनी घमासान को नया ट्विस्ट दे दिया. उन्होंने ऐसा पैंतरा चला कि बीजेपी को सोचने पर मजबूर कर दिया. हार्दिक ने काका नितिन पटेल को 10 बीजेपी विधायकों के साथ कांग्रेस ज्वाइन करने का ऑफर दे डाला और उन्हें ‘अच्छा पद’ दिलाने का सार्वजनिक वादा कर दिया. हार्दिक के इस पासे की बीजेपी ने आलोचना तो की, लेकिन उसे अपनी चाल भी बदलनी पड़ी और सुलह के लिए स्वयं अमित शाह को नितिन पटेल से आग्रह करना पड़ा.

इससे पहले गुजरात चुनाव के दौरान भी हार्दिक का डंका बजता दिखाई दिया. कांग्रेस ने पाटीदारों की सभी शर्तों को मानकर हार्दिक से समझौता किया. जिसके बाद उन्होंने प्रचार में पूरा जोर लगाया और कांग्रेस के लिए वोट मांगे. यहां तक कि बड़ी संख्या में पटेलों को टिकट दिए. चुनाव नतीजों में 22 साल बाद कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन ने हार्दिक फैक्टर पर मुहर भी लगा दी.

अब खबर ये भी आ रही है विधानसभा में नेता विपक्ष के तौर पर भी पाटीदार को जिम्मेदारी मिलने जा रही है. अमरेली से कांग्रेस विधायक परेश धानाणी को नेता विपक्ष बनाए जाने की चर्चा है. धानाणी वो नेता हैं, जिनके लिए अमरेली की जनसभा में हार्दिक पटेल ने ऐलान किया था कि वो सिर्फ विधायक पद के नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं. ऐसे में अब परेश धानाणी को नेता विपक्ष के तौर लाने के पीछे भी हार्दिक का असर ही माना जा रहा है.

 

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