गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव: योगी के विरोधी उपेंद्र शुक्‍ला बने ही बन गए योगी के उत्तराधिकारी

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने उत्‍तर प्रदेश और बिहार में आगामी लोकसभा उपचुनाव के लिए अपने तीन उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। बीजेपी ने गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए उपेंद्र शुक्‍ला को योगी आदित्‍यनाथ का उत्‍तराधिकारी चुना है। जबकि फूलपुर से बीजेपी ने कौशलेंद्र सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया। बिहार के अररिया लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने प्रदीप सिंह के नाम का एलान किया। इन सभी सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव होने हैं। गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी आदित्‍यनाथ बीजेपी के सांसद हुआ करते थे। लेकिन, उनके मुख्‍यमंत्री बनने के बाद ये सीट खाली हो गई थी। इसी तरह फूलपुर से केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के सांसद थे। लेकिन, यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद उन्‍हें प्रदेश का उपमुख्‍यमंत्री बना दिया गया था। जिसके कारण फूलपुर लोकसभा सीट उन्‍हें छोड़नी पड़ी थी।

उत्‍तर प्रदेश की इन दोनों ही सीटों पर हर किसी की निगाहें टिकीं हुईं हैं। सबसे ज्‍यादा नजर गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव पर है। इस सीट पर होने वाले उपचुनाव में उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी हुई है। गोरखपुर योगी आदित्‍यनाथ का गढ़ है। योगी आदित्‍यनाथ ने 1998 में पहली बार गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। उस वक्‍त उनकी उम्र महज 26 साल थी। योगी आदित्‍यनाथ इस सीट पर 1998 के बाद से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक योगी आदित्‍यनाथ ने ही गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए उपेंद्र शुक्‍ला का नाम सुझाया था। वहीं बीजेपी ने बिहार की अररिया लोकसभा सीट से प्रदीप सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाया है। बिहार की अररिया सीट आरजेडी के कब्‍जे में थी। यहां से आरजेडी नेता मोहम्‍मद तसलीमुद्दीन सांसद हुआ करते थे। लेकिन, उनके निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी।

मोहम्‍मद तसलीमुद्दीन पहले जेडीयू में हुआ करते थे। बाद में उन्‍होंने आरजेडी ज्‍वाइन कर ली थी। आरजेडी ने यहां से मोहम्‍मद तसलीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को अपना उम्‍मीदवार बनाया है। वैसे तो सभी सीटों पर बीजेपी और विपक्ष की निगाहें हैं। लेकिन, माना जा रहा है कि इस बार गोरखपुर लोकसभा का उपचुनाव काफी दिलचस्‍प रहने वाला है। दरसअल, इस उपचुनाव से पहले उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा गेम कर दिया है। गोरखपुर में निषाद वोटरों की संख्‍या करीब साढ़े तीन लाख है। इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए अखिलेश यादव ने पहले निषाद पार्टी से गठबंधन से किया। फिर निषाद पार्टी के अध्‍यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण कुमार निषाद को यहां से अपनी पार्टी का उम्‍मीदवार बना दिया। अखिलेश यादव का मानना है कि अगर उन्‍होंने निषाद पार्टी के समर्थन से इस बिरादरी का वोट बैंक अपने पक्ष में कर लिया तो उनके उम्‍मीदवार की जीत तय है।

हालांकि हर किसी को मालूम है कि गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी और योगी आदित्‍यनाथ का अच्‍छा खासा दबदबा है। यहां पर उन्‍हें या उनके समर्थित उम्‍मीदवार को मात देना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा। शायद यही वजह है कि इस सीट पर कब्‍जे को लेकर अब समाजवादी पार्टी ने छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों को अपने पाले में मिलाना शुरु कर दिया है। निषाद पार्टी के अलावा पीस पार्टी का साथ भी समाजवादी पार्टी को मिल चुका है। पीस पार्टी के समर्थन से समाजवादी पार्टी को उम्‍मीद है कि उन्‍हें यहां पर मुसलमानों का भी वोट आसानी से हासिल हो जाएगा। यानी पूर्वांचल में योगी आदित्‍यनाथ और बीजेपी को मात देने के लिए समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी और पीस पार्टी से गठबंधन कर लिया है। देखना होगा कि अब गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में योगी आदित्‍यनाथ के राजनैतिक उत्‍तराधिकारी उपेंद्र शुक्‍ला का असली मुकाबला किससे होता है। प्रवीण कुमार निषाद से या किसी और से।

 

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