जॉब से जीतेंगे 2019 की जंग, मोदी सरकार तैयार कर रही मास्टर प्लान!

नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते केंद्र की मोदी सरकार हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. हालांकि, सत्ता पर दोबारा आसीन होने के लिए पीएम मोदी को 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले किए गए वादों पर भी काम करना होगा.

मौजूदा सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी ने 2014 के घोषणापत्र में एक करोड़ लोगों को नौकरी, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने, किसानों को लागत मूल्य से 50 फीसदी अधिक देने और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों को पूरा करने का वादा किया था. देखा जाए तो इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रोजगार की समस्या ही है जिसमें मोदी सरकार अभी तक कुछ ज्यादा बेहतर नहीं कर पाई है.

लगातार बढ़ रहा बेरोजगारी दर

इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लेबर मिनिस्ट्री के लेबर ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो पाएंगे कि मोदी सरकार के शुरुआत के तीन साल के कार्यकाल में नई नौकरी देने के मामले में लगातार गिरावट आई है. आंकड़ों के अनुसार 2013 में 419,000, 2014 में 421,000 और 2015 में 135,000 नई वैकेंसी निकाली गई. वहीं, लेबर ब्यूरो के अन्य सर्वे के मुताबिक बेरोजगारी दर में भी भारी बढ़ोतरी देखी गई. पिछले 5 साल में यह अपने चरम पर पहुंच गई है. सर्वे के मुताबिक, बेरोजगारी दर 2014 में 4.7%, 2015 में 4.9% और 2016 में 5% थी.

मोदी सरकार कर सकती है बड़ा ऐलान

इस बीच फरवरी में पेश किया जाने वाला आम बजट मोदी सरकार के लिए एक सुनहरा मौका होगा, जिसके जरिए वो युवाओं को रोजगार प्रदान कर नौकरी के सूखे को खत्म कर सकती है और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश के बड़े तबके का साथ हासिल कर सकती है. आर्थिक जानकारों की मानें तो सरकार 2018-19 के आम बजट में नौकरी को लेकर अगर बड़ा ऐलान कर सकती है.

साबित होगा मास्टरस्ट्रोक

बता दें कि मोदी सरकार ने बीते साल पिछले छह सालों में सबसे कम नई नौकरियां दीं. ऐसे में अगर सरकार ने वादे के मुताबिक अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में युवाओं को नौकरी की सौगात देती है तो 2019 लोकसभा चुनाव में उसके लिए ये मास्टरस्ट्रोक होगा.

विधानसभा को भी साध सकेंगे मोदी

इस आम बजट का असर 2019 लोकसभा चुनाव के अलावा आगामी विधानसभा चुनावों में देखने को मिलेगा. बता दें कि 2018 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.

गुजरात में दिख चुका है असर

रोजगार की कमी वो सबसे बड़ी समस्या रही जिसके कारण गुजरात में पीएम मोदी का गुजरात मॉडल कमजोर नजर आया और सरकार को पिछले 22 सालों में सबसे कम 99 सीटें मिलीं. सीटों के लिहाज से देखा जाए तो गुजरात के ग्रामीण इलाकों में भाजपा की सीटें कांग्रेस के मुकाबले कम रहीं. माना जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों के युवाओं में रोजगार की कमी को लेकर जो असंतोष फैला, यह उसी का नतीजा है.

हो सकती है राष्ट्रीय रोजगार नीति की घोषणा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी सरकार आगामी आम बजट में राष्ट्रीय रोजगार नीति की घोषणा कर सकती है. जिसके तहत हर क्षेत्र में नौकरियों के अवसर प्रदान करने का रोडमैप होगा.

 

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