जोकीहाट: CM नीतीश और तेजस्वी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई

पटना। बिहार के अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट पर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच कांटे की टक्कर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन गई है तो वहीं तेजस्वी यादव की ख्वाहिश यहां से जीत हासिल कर बड़े नेता के रूप में उभरने की होगी.

जोकीहाट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में 53 प्रतिशत मतदान हुआ. यहां से विधायक सरफराज आलम के पिछले दिनों अररिया संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद इस्तीफा देने से यह सीट खाली हो गई थी. यह सीट 2005 से लगातार चार बार जेडीयू के पास रही है.

2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टिकट पर जोकीहाट विधानसभा सीट से सरफराज विजयी हुए थे. लेकिन बाद में वह अपने पिता और अररिया से राजद सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन से खाली संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए आरजेडी में शामिल हो गए थे और सांसद चुन लिए गए.जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव में इस बार कुल नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिनके भविष्य का फैसला 2.70 लाख मतदाताओं ने सोमवार को ईवीएम के जरिए किया. हालांकि मुख्य मुकाबला यहां आरजेडी के शाहनवाज आलम और जेडीयू के मुर्शीद आलम के बीच ही है.

इस उपचुनाव में सांसद सरफराज के भाई शाहनवाज आलम आरजेडी के टिकट पर महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर उतरे हैं जबकि जेडीयू के मोहम्मद मुर्शीद आलम एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं.

यहां से शाहनवाज और मुर्शीद आलम के अलावा मधेपुरा से आरजेडी से निष्कासित सांसद पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी के उम्मीदवार गौसुल आजम भी ताल ठोंक रहे हैं. सोमवार को हुए मतदान के लिए क्षेत्र में 331 मतदान केंद्र बनाए गए थे.

इस चुनाव को जेडीयू और आरजेडी दोनों के लिए प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है. सीएम नीतीश कुमार ने भी अपने प्रत्याशी का जमकर प्रचार किया है जबकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी यहां अपना जोर लगाया है. जेडीयू प्रत्याशी मुर्शीद आलम के खिलाफ ढेरों आपराधिक मामले दर्ज हैं जो सीएम नीतीश के ‘मिस्टर क्लीन’ की छवि से मेल नहीं खाते हैं.

वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने यहां सांप्रदायिकता का मुद्दा उठाया है. यह मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र है और राज्य की दोनों बड़ी पार्टियों ने यहां से जीत के लिए जमकर मेहनत की है. तेजस्वी के लिए यहां पर मिली जीत का मतलब होगा पार्टी में ना केवल उनका कद बढ़ना बल्कि यह संदेश भी देना कि वे नीतीश को टक्कर दे सकते हैं, जिसका फायदा उन्हें 2019 लोकसभा चुनाव में मिल सकता है.

 

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