डीएनए और हिंदू शास्त्रों के आधार पर फिर से लिखा जाएगा प्राचीन भारत का इतिहास!

जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तब से ही भारतीय इतिहास को फिर से लिखने की बहस ने जोर पकड़ रखा है. बीजेपी के सत्ता में आते ही आरएसएस और इससे जुड़े संगठनों ने यह मांग की थी कि भारत के इतिहास को फिर से लिखा जाए. पिछले साल जनवरी में इसे लेकर कुछ विद्वानों ने एक बैठक की और यह विचार किया कि भारत के इतिहास को फिर से कैसे लिखा जाना चाहिए.

मोदी सरकार ने इसके लिए 6 महीने पहले कुछ विद्वानों की एक कमिटि भी गठित की थी. इस कमिटि के बैठकों में हुई चर्चा पर रायटर्स ने विस्तार में खबर छापी है और इस कमिटि के सदस्यों से बातचीत भी की है.

रायटर्स में छपी खबर के मुताबिक इस कमिटि के सदस्यों का मुख्य उद्देश्य इस बात की खोज पर है कि पुरातात्विक और डीएनए के साक्ष्यों द्वारा यह साबित किया जाए कि हिंदू इस देश में हजारों वर्ष सबसे पहले आने वाले पूर्वजों के सीधे उत्तराधिकारी हैं. साथ ही प्राचीन हिंदू शास्त्रों में जो लिखा गया है वो कोई कपोल-कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है.

कमिटि के अध्यक्ष केएन दीक्षित ने कहा कि मुझे यह कहा गया कि मैं सरकार प्राचीन भारत के उन पहलुओं पर रिपोर्ट दूं, जिसपर सरकार को फिर से इतिहास लिखने में मदद मिले.

आरएसएस के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारतीय इतिहास का वास्तविक रंग भगवा है और हमें सांस्कृतिक बदलाव के लिए इतिहास को फिर से लिखना होगा.

आरएसएस के इतिहास शोध विभाग के प्रमुख बालमुकुंद पांडेय ने कहा कि वे संस्कृति मंत्री महेश शर्मा से लगातार मिलते रहते हैं और इतिहास को फिर से लिखने का यही सही वक्त है. पांडेय ने यह भी कहा कि भारत के प्राचीन गौरव को फिर से स्थापित करने की जरूरत है और हिंदू शास्त्र एक सच्चाई हैं न कि कल्पना.

कल्पना या कहानी नहीं हकीकत हैं हिंदू शास्त्र

महेश शर्मा ने कहा कि स्कूल के सिलेबस में इस बात को जोड़ा जाएगा कि भारत में सबसे पहले हिंदू आए थे. अब तक यह पढ़ाया जाता रहा है कि 3000 से 4000 साल पहले सबसे पहले मध्य एशिया से लोग भारत आए थे. इतिहास को फिर से लिखने के लिए बने पैनल ने यह कहा है कि भारतीय संस्कृति 12000 साल पुरानी है.

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल के ऑफिस में कमिटि के 14 सदस्यों की बैठक हुई. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय की सिफारिशों को गंभीरता से लिया जाएगा. संस्कृति मंत्री ने भी कहा कि इस कमिटि के रिपोर्ट को संसद में भी रखा जाएगा.

संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि वे चाहते हैं कि हिंदू शास्त्रों की सच्चाई को स्थापित किया जाए. उन्होंने कहा कि रामायण एक ऐतिहासिक दस्तावेज है और जो यह सोचते हैं कि यह महज एक कहानी है वो गलत हैं. शर्मा ने कहा कि अगर कुरान या बाइबिल को इतिहास के हिस्से के रूप में देखा जाता है तो हिंदू धर्म ग्रंथों को भारत के इतिहास के अंग के रूप में देखने में क्या समस्या है.

कमिटि के सदस्य रमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि इतिहास लेखन के लिए कोई विचारधारा नहीं बल्कि वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया जा रहा है.

 

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