सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से पूछा- क्या हम कचरे के परमाणु बम के फटने का इंतजार कर रहे हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने ठोस कचरे के प्रबंधन के ‘राष्ट्रीय मुद्दे’ के प्रति राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उदासीन रवैये को हतप्रभ करने वाला बताते हुए कहा, ‘क्या प्राधिकारी’ ‘कचरे के परमाणु बम’ में विस्फोट का इंतजार कर रहे हैं.

शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली के अलावा किसी भी अन्य राज्य के वकील के उपस्थित नहीं होने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि यह इस मामले के प्रति उनकी गंभीरता में कमी का सूचक है.

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘यह साफ संकेत है कि किसी को भी परवाह नहीं है. अत: भारत का सारा कचरा यहां रह सकता है.’

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि ठोस कचरे के प्रबंधन के बारे में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 से प्राप्त विवरण के बारे में उसने हलफनामा दाखिल किया है.

पीठ ने जब यह टिप्पणी की कि किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को इसकी परवाह नहीं है तो नाडकर्णी ने कहा, ‘यह तो ऐसा है कि माना हम परमाणु बम पर बैठे हुए हैं.’

कोर्ट ने केंद्र से पूछा अब क्या करें?

इस पर पीठ ने जानना चाहा, ‘हमें क्या करना चाहिए? कचरे के परमाणु बम के फटने का इंतजार करें?’ पीठ ने कहा कि दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वकील न्यायालय में मौजूद नहीं है और उसने केंद्र से पूछा कि अब क्या करना चाहिए.

पीठ ने सवाल किया, ‘आप (केंद्र) बताएं, अब हम क्या करें. क्या ठोस कचरे के प्रबंधन के बारे में राज्य सरकारों का यही रवैया है? दिल्ली के अलावा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से कोई भी (वकील) मौजूद नहीं है.’

नाडकर्णी ने कहा कि न्यायालय प्रत्येक राज्य के ‘जिम्मेदार अधिकारी’ को अपने समक्ष तलब करके इस मामले में उनके रूख के बारे में स्पष्टीकरण मांग सकता है.

केंद्र ने न्यायालय से यह भी कहा कि उसने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त जानकारी दाखिल कर दी है. केंद्र ने कहा कि राज्य स्तर की परामर्श संस्था की 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बैठकें हुई हैं. इनमें से सिर्फ तीन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही दो या इससे अधिक बैठकें आयोजित की हैं.

न्यायालय ने अपने आदेश में इस तथ्य को शामिल किया कि केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली ने परामर्श संस्था की छह बैठकें की.

पीठ ने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन एक राष्ट्रीय मुद्दा है और इसके साथ ही उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए. इस मामले में अब 19 मार्च को आगे सुनवाई होगी.

न्यायालय देश भर में ठोस कचरा प्रबंधन नियम,2016 लागू करने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. न्यायालय ने पिछले साल 12 दिसंबर को केंद्र से कहा था कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ठोस कचरा प्रबंधन के मामले पर विचार किया जाए और इसका विवरण पेश किया जाए.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button