डेटा लीक: अनदेखे-अनजाने शख्स के दावों पर लड़ पड़े हैं बीजेपी-कांग्रेस

नई दिल्ली। क्या अबकी बार, फेसबुक सरकार? फेसबुक से आम आदमी का निजी डेटा चोरी होने की खबरों के बाद से देश में राजनीतिक भूचाल सी स्थिति बनी हुई है. सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस एक दूसरे पर आम आदमी का डेटा चोरी करने और राजनीतिक फायदे के लिए उसे इंपोर्ट करने का आरोप लगा रहे हैं. इस राजनीतिक उठापटक के बीच सबसे खास बात यह है कि दोनों ही राजनीतिक दलों के आरोपों और प्रत्यारोपों के केन्द्र में एक ही शख्स है. इस शख्स का इंटरनेट पर सिर्फ डिजिटल फुटप्रिंट मौजूद है. वह भारतीय नागरिक नहीं है लिहाजा यह भी यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता है कि ऐसा कोई शख्स हकीकत में मौजूद है भी या नहीं. उसे न किसी ने देखा है और न ही उससे कोई बात की है. हां, मेल और सोशल मीडिया के जरिये वो शख्स सवालों के जवाब जरूर देता है.

कांग्रेस और बीजेपी के बीच छिड़े इस डेटा वॉर की शुरुआत राहुल गांघी ने रविवार को अपने एक ट्वीट के जरिए की. राहुल ने ट्वीट किया, ‘मेरा नाम नरेन्द्र मोदी है. मैं भारत का प्रधानमंत्री हूं. जब आप मेरे ऐप का इस्तेमाल करते हैं, तो मैं आपसे जुड़े डेटा को अमेरिकी कंपनियों में मेरे दोस्तों के पास भेज देता हूं.’ राहुल गांधी के इस ट्वीट का स्रोत इलियट एंडरसन के नाम से किया गया एक अन्य ट्वीट ही था.

सोमवार को बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी के ट्वीट का जवाब देते हुए ट्वीट किया, ‘मेरा नाम राहुल गांधी है. मैं भारत की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष हूं. जब आप मेरे ऐप का इस्तेमाल करते हैं, तो मैं आप से जुड़े डेटा को सिंगापुर में अपने दोस्तों के पास भेज देता हूं.’ अमित मालवीय के इस ट्वीट का स्रोत भी इलियट एंडरसन के नाम से किया गया ट्वीट ही था.

सवाल है कि कौन है इलियट एंडरसन? दरअसल इलियट एंडरसन अमेरिकी ड्रामा थ्रिलर मिस्टर रोबोट का प्रमुख किरदार है. इस सीरियल में रामी मलिक नाम के एक्टर ने साइबर सिक्योरिटी इंजीनियर और हैकर का किरदार अदा किया है. सीरियल की स्क्रिप्ट के मुताबिक वह न्यूयार्क में रहता है. इस सीरियल के एक अहम डायलॉग के मुताबिक, “मैं रात में एक हैकर हूं और दिन में एक सामान्य साइबर सिक्योरिटी इंजीनियर…”.

लिहाजा, इस कॉमन स्रोत के हवाले से बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप लगाने का काम कर रहे हैं. दोनों बीजेपी और कांग्रेस के प्रवक्ता अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस तक में इलियट एंडरसन का नाम ले रहे हैं. लेकिन, क्या उन्होंने एक बार भी गौर किया कि आखिर उनका यह कॉमन स्रोत इलियट एंडरसन है कौन?

इलियट एंडरसन के ट्विटर अकाउंट के मुताबिक वह फ्रेंच सिक्योरिटी रिसर्चर के साथ-साथ एफसोसाइटी नाम की संस्था का फाउंडर सीईओ हैं. खास बात यह है कि एफसोसाइटी भी इलियट एंडरसन के नाम की तरह एक काल्पनिक संस्था है. यह संस्था भी उसी अमेरिकी सीरियल मिस्टर रोबोट में बतौर एक खुफिया संस्था मौजूद है. गौरतलब है कि बीते कई दिनों से इलियट एंडरसन दोनों राजनीतिक दलों से संबंधित विषयों पर लगातार ट्वीट कर रहा है. इसके साथ ही एलियट मीडिया समेत कुछ लोगों द्वारा ईमेल के जरिए पूछे जा रहे सवालों का जवाब भी दे रहा है. इलियट ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि वह सभी सवालों का स्वागत करता है लेकिन ट्विटर पर सवालों का जवाब देना मुश्किल है. लिहाजा उससे संवाद करने के लिए उसके द्वारा दिए गए जीमेल अकाउंट पर मेल करने की जरूरत है. अपने इसी संवाद में उसने अपनी पहचान एक फ्रेंच एंड्रॉयड डेवलपर के तौर पर की है और अपना नाम बैपटिस्ट रॉबर्ट जाहिर किया है.

गौरतलब है कि इससे पहले इलियट ने भारत के आधार ऐप की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए थे. इसके अलावा बीएसएनएल, पेटीएम, इंडिया पोस्ट, एयरटेल जैसी कंपनियों की सुरक्षा में सुधार रॉबर्ट की आपत्ति के बाद किया गया है. रविवार को जब भारत में डेटा ब्रीच का मामला सामने आया तब इलियट ने दावा किया कि नमो ऐप के जरिए बिना यूजर की इजाजत के डेटा एकत्र करके बाहर भेजने का काम किया जा रहा है. वहीं कांग्रेस पार्टी के ऐप पर इलियट ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस ऐप के निजी डेटा को बाहर भेजा जा रहा है. यह निजी डेटा एनकोडेड है लेकिन इसे एंक्रिप्ट नहीं किया गया है. इलियट ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस अपने ऐप का डेटा सिंगापुर स्थित कंपनी को एचटीटीपी के माध्यम से भेज रही है.

अभीतक दोनों बीजेपी और कांग्रेस ने सिर्फ इलियट उर्फ रॉबर्ट के दावों को आधार बनाते हुए एक दूसरे पर आरोप लगाने का काम किया है. वहीं अन्य कई मामलों में रॉबर्ट द्वारा उठाए गए सवालों के बाद सुरक्षा के पुख्ता कदम उठाए गए हैं. रॉबर्ट ने यह भी माना है कि नमो ऐप पर आपत्ति के बाद नमो की टीम ने उससे संपर्क साधा लेकिन कांग्रेस की तरफ से ऐसी कोई कोशिश नहीं की गई है. इस पूरी प्रक्रिया में सबसे गंभीर सवाल यह उठता है कि क्या देश के दो राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के खेल के लिए किसी अनजान शख्स पर भरोसा कर सकते हैं? वह तब और अहम हो जाता है जब यह अनजान शख्स एक ही है और दोनों दलों से संबंधित तथ्यों को एक-एक कर उनके सामने कर रहा है. क्या यहां राजनीतिक दलों की पहल से ज्यादा जरूरी जांच एजेंसियों की पहल नहीं होनी चाहिए जिससे यह तय किया जा सके कि क्या देश की जनता से जुड़ा डेटा खतरे में है?

 

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