…… तो क्या कुलनाशक बनने का प्रयास कर रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा

यशवंत सिन्हा ने बताया 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने का फॉर्मूला

नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अभी से कमर कस ली है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर 2014 दोहराने के लिए लगातार रैलियां कर रहे हैं और केंद्र की योजनाओं को गिना रहे हैं. वहीं कुछ विपक्षी पार्टियों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर पार्टियों की तैयारी अभी भी शून्य के बराबर है. इस बीच बीजेपी के पूर्व नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने विपक्षी दलों को मोदी को हराने के लिए मंत्र दिये हैं. उन्होंने अपने एक आर्टिकल में 2019 लोकसभा चुनाव में मोदी को हराने के लिए कई संभावनाओं पर टिप्पणी की है.

महागठबंधन: हाल में बीजेपी छोड़ने वाले यशवंत सिन्हा ने विपक्षी दलों को आगाह करते हुए कहा कि वह बीजेपी के मोदी के मुकाबले कौन? सवाल के ट्रैप में न फंसे और महागठबंधन को जमीन पर उतारे. लेख में उन्होंने कहा, मोदी को हराने के लिए महागठबंधन कारगर उपाय में से एक है. यशवंत के फॉर्मूले के तहत कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां (महागठबंधन) 2019 लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चुनौती देने के लिए चुनाव से पहले साथ आए. उनके मुताबिक, अगर विपक्ष प्रधानमंत्री पद के लिए चेहरों का ऐलान नहीं करता है उसके बाद भी शानदार सफलता मिलेगी. महागठबंधन बनने पर मोदी का चेहरा मुद्दा नहीं होगा. वह देश के सामने अपने एजेंडा को पेश करे.

 

फेडरल फ्रंट: पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा के मुताबिक, सभी क्षेत्रीय पार्टियां साथ आए. इसमें क्षेत्रीय मुद्दों के आधार पर कांग्रेस और अन्य छोटे दलों को शामिल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि फेडरल फ्रंट के लिए जरूरी है कि वह गर्वनेंस का एजेंडा मजबूती से पेश करे. आपको बता दें कि फेडरल फ्रंट का फॉर्मूला पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी भी उठा चुकी है. इसके तहत जिस राज्य में जो पार्टी मजबूत है उस पार्टी को अन्य दल साथ दें.

यशवंत सिन्हा ने चुनाव से ठीक पहले अचानक बने गठबंधन को भी 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कारगर बताया है. सिन्हा ने 2014 के मुकाबले 2019 लोकसभा चुनाव में बदलती परिस्थिति पर राज्यवार विश्लेषण किया है. उन्होंने चार भाग में राज्यों को बांटकर बताया है कि कैसे विपक्ष बीजेपी को मात दे सकता है.

इन पांच राज्यों में कैसे बीजेपी को दी जा सकती है मात?: सिन्हा मुताबिक, पांच अहम राज्य यूपी, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चुनाव पूर्व बने गठबंधन से विपक्ष को फायदा हो सकता है. इन राज्यों की कुल सीटों की बात करें तो 210 सीटें हैं. इसमें से बीजेपी ने 2014 के लिए लोकसभा चुनाव में 145 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में विपक्ष बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), समाजवादी पार्टी (एसपी) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के साथ आने से उन्हें चौंकाने वाले परिणाम मिले.

हालांकि इस गठबंधन से कांग्रेस लगभर दूर रही. वहीं बिहार में कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन ने उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया. झारखंड में भी विपक्ष की एकता की वजह से 100 प्रतिशत परिणाम मिले. इसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन कर सरकार बना ली. गठबंधन की परीक्षा जयानगर विधानसभा उपचुनाव में हुई. जहां विपक्ष ने बीजेपी से सीटें छीन ली. 2008 के चुनाव में यह सीट बीजेपी के पास थी. सिन्हा ने कहा कि अगर इस तरह का गठबंधन लोकसभा चुनाव में भी बनता है तो परिणाम 2014 लोकसभा चुनाव से बिल्कुल अलग होंगे और बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है.

जहां कांग्रेस और बीजेपी है आमने सामने: पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने लेख में जिन राज्यों में केवल कांग्रेस और बीजेपी मुख्यधारा की पार्टी है उसका भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में 110 लोकसभा सीट है. 2014 के लोकसभा सीट में बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने हिमाचल, उत्तराखंड, राजस्थान और गुजरात की सभी सीटों पर कब्जा जमा लिया था. यशवंत सिन्हा ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ऐसे परिणाम नहीं होंगे.

इन तीन राज्यों में कैसी होगी रणनीति?: सिन्हा ने दिल्ली, पंजाब और असम का जिक्र करते हुए कहा कि इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रीय दलों के मजबूत आधार हैं. जहां कुल 34 लोकसभा सीटें हैं. जिसमें से 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की थी. असम में ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (एएएसयू) और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) का दबदबा रहा है. इन दलों ने 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के करने के लिए संकेत नहीं दिये हैं.

जहां क्षेत्रीय दलों का है मजबूत आधार: यशवंत सिन्हा ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल का जिक्र करते हुए कहा कि यहां क्षेत्रीय टीएमसी, बीजेडी, टीडीपी, टीआरएस, डीएमके, एलडीएफ और यूडीएफ जैसे दलों का दबदबा है. इन राज्यों में 164 लोकसभा सीट हैं. जिसमें से बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव में मात्र आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी. उनके मुताबिक बीजेपी ने इन राज्यों में अपनी उपस्थिति को मजबूत तो किया है लेकिन यह काफी नहीं है. लेकिन क्षेत्रीय दलों को सवधान रहने की जरूरत है.

 

यशवंत सिन्हा ने कहा कि पहले पांच राज्यों में बीजेपी को मात देने के लिए विपक्ष पहले से ही एकजुट है. वहीं दूसरे कैटगरी के राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला है. उन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुए उपचुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस यहां फायदे में रही. दोनों ही राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नर्भर करेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर-विरोधी माने जाने वाले यशवंत सिन्हा ने कहा कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन नहीं बनता है और केवल राज्यों में उत्तर प्रदेश की तरह गठबंधन शक्ल लेते है तो बीजेपी को बड़ा नुकसान होगा. हालांकि उन्होंने कहा कि हमें एक खतरे को ध्यान में रखना होगा. सिन्हा ने कहा कि बीजेपी अगर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो मुश्किलें बढ़ जाएगी. राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित करेंगे. अगर बीजेपी को आमंत्रण मिलता है तो वह नंबर जुटाने के लिए हर संभव कोशिश करेगी और क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पाले में लाएगी. विपक्षी दलों को इन सभी संभावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए और रणनीति तैयार करनी चाहिए.

 

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