तो क्या CWC बनाने में राहुल गांधी की नहीं चली? अनुभव के साथ जाएगी कांग्रेस!

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए लगते हैं क्योंकि उन्होंने कई बड़े और अहम बदलाव करते हुए पार्टी की नई सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस कार्य समिति) का गठन कर दिया है. उन्होंने आगामी 22 जुलाई को इस नई कार्य समिति की बैठक भी बुलाई है.

राहुल गांधी ने अपनी नई टीम बनाते वक्त इस बात का ख्याल जरूर रखा कि अनुभव और युवा दोनों का सामंजस्य रखा जाए जिसके लिए उन्होंने खासी कोशिश भी की है. लेकिन यह भी लगता है कि सीडब्ल्यूसी के गठन में उनकी खास नहीं चली और ध्यान से देखने पर यह साफ हो जाता है कि समिति में युवा जोश के मुकाबले पलड़ा अनुभव का ही भारी है.

गुटबंदी पर लगाम की कोशिश

साथ ही उनकी यह कोशिश भी दिख रही है कि कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाइयों में जारी गुटबंदी पर अंकुश लगाई जाए. इसके लिए उन्होंने कई पुराने और दिग्गज चेहरों को भी बाहर कर दिया है.

पार्टी संगठन महासचिव अशोक गहलोत की ओर से जारी बयान के मुताबिक सीडब्ल्यूसी में 23 सदस्य, 19 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 9 आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं. इनमें 4 पूर्व मुख्यमंत्रियों को नई सीडब्ल्यूसी टीम में रखा गया है.

नई सीडब्ल्यूसी में जनार्दन द्विवेदी, मधुसूदन मिस्री, मोहन प्रकाश, सीपी जोशी, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर नेताओं को जगह नहीं मिली है. जनार्दन द्विवेदी सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे हैं और सोनियाराज में उनकी धमक भी दिखती रही है, लेकिन राहुलराज में उन्हें सीडब्ल्यूसी से दूर कर दिया गया.

इसी तरह राजस्थान से सीपी जोशी, मध्य प्रदेश से दिग्विजय सिंह तथा कमलनाथ और गुजरात से मधुसूदन मिस्त्री को सीडब्ल्यूसी में नहीं रखते हुए उन्हें केंद्र से दूर करते हुए प्रदेश तक ही सीमित रखने की कोशिश की गई है. उनकी जगह राजस्थान से अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया और अहमद पटेल को रखा गया है. इसमें सिंधिया स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं.

6 पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल

सीडब्ल्यूसी में 6 पूर्व मुख्यमंत्री शामिल किए गए हैं. सीडब्ल्यूसी में पार्टी अध्यक्ष राहुल , पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों (अशोक गहलोत, गुलाम नबी आजाद, ओमन चांडी, तरुण गोगोई, सिद्धारमैया और हरीश रावत) को रखा गया है.

जबकि सीडब्ल्यूसी में स्थायी आमंत्रित सदस्यों में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अलावा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, ज्योतिरादित्य सिंधिया, बालासाहेब थोराट, तारिक हमीद कारा, पीसी चाको, जितेंद्र सिंह, आरपीएन सिंह, पीएल पूनिया, रणदीप सुरजेवाला, आशा कुमारी, रजनी पाटिल, रामचंद्र खूंटिया, अनुग्रह नारायण सिंह, राजीव सातव, शक्तिसिंह गोहिल, गौरव गोगोई और ए. चेल्लाकुमार शामिल किए गए हैं.

राज्य में युवा नेतृत्व

6 राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों को लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र में लाया गया है जिससे उनके राज्यों में पिछड़ चुकी पार्टी को फिर से तैयार करने की रुपरेखा बनाई जा सके. जबकि राज्य की कमान युवा नेतृत्व को सौंपी जा सके जिससे वहां के युवाओं के बीच पार्टी का जनाधार लौटाया जा सके.

राहुल की सीडब्ल्यूसी में कई ऐसे चेहरे भी इस बार नदारद रहेंगे जिन्हें कभी उनका करीबी समझा जाता था. इनमें दिग्विजय सिंह, बीके हरिप्रसाद और कर्ण सिंह शामिल हैं. यह वही हरिप्रसाद हैं जिन्हें कर्नाटक चुनाव में ‘राहुल की आवाज’ के तौर पर जाना जाता था.

मार्च में हुए कांग्रेस महाधिवेशन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर नई सीडब्ल्यूसी के गठन के लिए राहुल गांधी को अधिकृत किया गया था, जिसके बाद यह टीम गठित की गई है. अब यह वक्त बताएगा कि सीडब्ल्यूसी में बदलाव कांग्रेस के लिए कितना लाभप्रद साबित होगा.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button