…तो पीलीभीत में भी हो सकता था शूटआउट, मुन्ना बजरंगी की सुरक्षा में योगी सरकार से हुई थी बड़ी चूक

लखनऊ। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की सुरक्षा को लेकर प्रदेश सरकार की एक बड़ी चूक पीलीभीत में भी देखने को मिली थी। झांसी जेल से स्थानांतरण के बाद यहां पहुंचे मुन्ना बजरंगी को करीब तीन घंटे तक जेल के भीतर ही नहीं जाने दिया गया।

झांसी पुलिस कहती रही कि मुन्ना बजरंगी को शासन के आदेश पर पीलीभीत जेल में ट्रांसफर किया गया है, लेकिन यहां के जेल प्रशासन ने जब इस संबंध में स्थानांतरण आदेश तलाशना शुरू किया तो उसे नहीं मिला।

माफिया डॉन के जेल गेट पर खड़े वाहन में बैठे इंतजार करते रहने से न सिर्फ जेल व जिला प्रशासन तब परेशान रहा बल्कि मुन्ना के परिवार वाले भी परेशान हो गए थे। मुन्ना बजरंगी ने अमर उजाला से बातचीत में अपने स्थानांतरण के संबंध में स्पष्ट तौर से कहा था कि सरकार उन्हें परेशान कर रही है।

मुन्ना बजरंगी का झांसी से स्थानांतरण साजिश

प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के एक माह बाद ही मुन्ना बजरंगी को झांसी जेल से प्रशासनिक आधार पर पीलीभीत स्थानांतरित कर दिया गया। नौ अप्रैल 2017 को मुन्ना बजरंगी को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां लाया गया।

मुन्ना और उसके सगे संबंधी उस समय सत्ता परिवर्तन के बाद से इसे साजिश करार दे रहे थे। खास बात तो यह रही कि मुन्ना को झांसी जेल से सूर्य अस्त होने के बाद आठ अप्रैल 2017 को पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था में निकाला गया, रात भर का सफर तय कर माफिया डॉन अगले दिन सुबह जब यहां पहुंचा तो तत्कालीन जेल अधीक्षक अनूप सिंह ने कह दिया कि पीलीभीत जेल प्रशासन को इस तरह का कोई आदेश नहीं मिला है।

मुन्ना बजरंगी के परिवार वाले व उसके परिचित झांसी से स्थानांतरण को साजिश मान रहे थे। वह जानते थे कि रास्ते में कहीं भी उस पर हमला हो सकता है, लिहाजा मुन्ना बजरंगी के लोग भी सजग थे। रास्ते भर उन्होंने अपने स्तर से सतर्कता भी बरती। यही वजह रही कि मुन्ना बजरंगी को जब झांसी पुलिस लेकर पीलीभीत पहुंची थी उसके तुरंत बाद ही मॉफिया डॉन से मिलने वाले तमाम लोग भी वहां दिखने लगे। जेल गेट पर खड़े पुलिस वाहन में मुन्ना बजरंगी जब तक बैठा रहा तब तक उसके परिचित लगातार चहलकदमी करते रहे। यहां तक की मुन्ना के करीबी मीडिया के लोगों तक पर हर तरफ से नजर रखे हुए थे।

तीन घंटे के इंतजार के बाद जब शासन से आदेश यहां के जेल प्रशासन को प्राप्त हो गया तब मुन्ना बजरंगी को जेल के भीतर दाखिल किया जा सका था।

मुन्ना बजरंगी ने कहा था परेशान कर रही सरकार

मुन्ना बजरंगी जब पीलीभीत जिला जेल में दाखिल होते समय अमर उजाला से चंद सेकेंड हुई बात में अपने खतरे की आशंका जताई थी। कारण पूछने पर उसने बताया कि झांसी जेल में सब कुछ ठीक चल रहा था, उसने कहीं और जाने की इच्छा भी नहीं जताई फिर भी उसे यहां भेज दिया गया। मुन्ना ने यह कह कि सरकार उसे परेशान कर रही है, एक तरह प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया था।

परिवार वालों को सता रहा था मुन्ना की सुरक्षा का भय

मुन्ना बजरंगी जब झांसी से पीलीभीत जेल लाया गया तो जेल गेट पर पुलिस वाहन में बैठे मुन्ना बजरंगी को देख वहां उससे मिलने पहुंचे उसका साला परेशान हो उठा था। सत्यजीत ने तब मीडिया से बातचीत में मुन्ना बजरंगी के जान को खतरा बताया था।

उसने बताया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से मुन्ना बजरंगी की जान को खतरा बढ़ गया है। उसने कहा था कि मुन्ना बजरंगी को दिल्ली, लखनऊ, गाजीपुर समेत कई स्थानों पर पेशी पर ले जाते समय सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं रहती है। यह भी कहा था कि झांसी से पीलीभीत लाते समय भी सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं रही। इससे साफ है कि मुन्ना बजरंगी को जब झांसी से यहां लाया गया तो उसके अपने लोग उस पर निगरानी रख रहे होंगे।

यहां सुरक्षा इतनी मजबूत के परिचित तक की गाड़ी कर दी थी सीज 

मुन्ना बजरंगी के यहां जेल में शिफ्ट किए जाने के बाद से ही जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर ली थी। जेल व उसके आसपास किसी तरह का कोई संदिग्ध वाहन अथवा व्यक्ति मिलने पर उसकी तलाशी ली जाती थी। तमाम बातें पूछी जाती थी।

अधिकारी भी जेल का निरीक्षण कर हालात का जायजा लेते रहते थे। इसी कड़ी में 12 अप्रैल 2017 को प्रशासनिक अधिकारी जब जेल का मुआयना करने पहुंचे तो वहां एक सफेद रंग की फार्चूनर कार खड़ी देख प्रशासन ने जब उसमें आए लोगों के बारे में पूछा तो मौके पर कोई नहीं मिला। बंद गाड़ी में करीब एक दर्जन मोबाइल पड़े देख प्रशासन का शक और गहराने लगा। बाद में पता चला कि गाड़ी और उसमे रखे मोबाइल जेल में मुन्ना बजरंगी से मुलाकात करने आए कुछ लोगों के ही थे। इसके बाद भी पूरी तहकीकात के बाद ही गाड़ी व मोबाइल प्रशासन ने लौटाए थे।

 

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