दलित आरक्षण मुद्दा: यूपी एससी-एसटी आयोग ने AMU को भेजा नोटिस

लखनऊ। उत्तर प्रदेश एससी-एसटी आयोग ने दलित आरक्षण के मुद्दे पर बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) प्रशासन को नोटिस भेजा है. राज्य एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा है कि एएमयू आरक्षण के संबंध में अपने संवैधानिक दायित्यों का निर्वहन करने में असफल रहा है. उन्होंने बताया कि आयोग ने कुललचिव एएमयू को नोटिस भेजा है और आठ अगस्त तक जवाब मांगा है. आयोग ने पूछा है कि किन वजहों से एएमयू में आरक्षण व्यवस्था नहीं लागू की गई है.

आयोग के अध्यक्ष ने कहा है कि जवाब नहीं दिए जाने की स्थिति में एएमयू सामान जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दर्जन भर से अधिक मिली शिकायतों के बाद आयोग ने यह फैसला लिया है. एमएमयू प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए बृजलाल ने कहा है कि आरक्षण न देकर हजारों बच्चों को अच्छी शिक्षा से एएमयू ने वंचित किया है.

इससे पहले अलीगढ़ में एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया ने मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के उप कुलपति तबस्सुम सहाब के साथ सर्किट हाउस में दलितों व पिछड़ों के आरक्षण को लेकर बैठक की. इस दौरान आयोग के अध्यक्ष ने पूछा कि एएमयू में दलितों व पिछड़ों का दाखिला किस आधार पर नहीं किया जा रहा है? आयोग ने पूछा कि 2005 में एएमयू के आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में आया तो उससे पहले आरक्षण को लागू क्यों नहीं किया गया? इस सवालों के जवाब एएमयू प्रशासन नही दें सका.

दरअसल, एएमयू की तरफ से 1981 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अल्पसंख्यक स्वरुप घोषित करने की मांग की थी, लेकिन 1968 के अजीज बासा केस (मुस्लिम करैक्टर बनाम रिजर्वेशन) में सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू को कोई राहत नहीं दी थी. इसके अलावा 1990 में भी एएमयू के विजिटर यानी राष्ट्रपति द्वारा 50 प्रतिशत मुस्लिम छात्रों के एडमिशन का प्रस्ताव भी निरस्त किया जा चुका है.

 

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