दिल्ली: पूर्ण राज्य का दर्जा और जनलोकपाल बिल के बीच उलझा विधानसभा का विशेष सत्र
रविशंकर सिंह
शुक्रवार को समाप्त होने वाला दिल्ली विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र को एक दिन के लिए और बढ़ा दिया गया है. वैसे तो इस विशेष सत्र का आयोजन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर बुलाया गया था, लेकिन बीते तीन दिनों से दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल, केंद्र सरकार और दिल्ली के अधिकारियों पर आरोप मढ़ने के सिवाय और कुछ नहीं हो पा रहा है.
बता दें कि केजरीवाल सरकार ने खासतौर पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर ही विशेष सत्र बुलाया था. लेकिन, बीजेपी ने जनलोकपाल विधेयक पर सरकार से जवाब मांग लिया. बीजेपी की इस मांग को विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने खारिज कर दिया. मांग खारिज किए जाने के बाद बीजेपी के तीन विधायकों ने सदन से वाकआउट किया.
वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र पर जनलोकपाल विधेयक को 21 महीने तक दबाए रखने का आरोप लगाया है. सिसोदिया ने सदन में कहा कि इस विधेयक को 4 दिसंबर 2015 को सदन ने पारित किया था. इस विधेयक को मंजूरी के लिए एलजी ने बाद में केंद्र सरकार के पास भेज दिया, लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी आज तक केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी है.
मनीष सिसोदिया का साफ कहना था कि अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला होता तो यह बिल आज दिल्ली में लागू हो गया होता. मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एक तरफ इस बिल पर चर्चा करने की बात करती है तो दूसरी तरफ पूर्ण राज्य के मुद्दे पर कन्नी काट लेती है.
विपक्ष का आरोप, दिल्ली सरकार के पास ही है जनलोकपाल विधेयक
दूसरी तरफ विपक्ष आरोप लगा रही है कि जनलोकपाल विधेयक अभी भी दिल्ली सरकार के पास ही है. एक आरटीआई से खुलासा हुआ कि जनलोकपाल बिल अभी भी दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया के पास है. हालांकि, मनीष सिसोदिया से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया.
दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन और तीसरे दिन जनलोकपाल के मुद्दे पर खासतौर पर जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष आम आदमी पार्टी सरकार पर झूठ और नौटंकी करने का आरोप लगाता रहा. सदन के अंदर और बाहर जनलोकपाल के मुद्दे पर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी की सरकार को जमकर घेरा.
बीजेपी की सहयोगी पार्टी अकाली दल के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली की सड़कों पर जगह-जगह सीएम अरविंद केजरीवाल पर जनलोकपाल के मुद्दे पर दिल्ली की जनता को बरगलाने का पोस्टर लगाया. इस पोस्टर के माध्यम से सिरसा ने आप सरकार पर जमकर कटाक्ष किया. पोस्टर के जरिए पूछा गया ‘केजरीवाल जी का जनलोकपाल बिल कहीं खो गया है. मिले तो क्रांतिकारी सीएम को पहुंचा दें.’
इस पोस्टर के सबसे ऊपर लिखा गया है, ‘गुमशुदा की तलाश, जनलोकपाल मिले तो विधानसभा के पते पर मत पहुंचाइएगा. सीएम साहब विधानसभा नहीं आते.’
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विधानसभा नहीं आने पर आप के ही बागी विधायक कपिल मिश्रा ने भी कटाक्ष किया है. कपिल मिश्रा ने इस मुद्दे पर कोर्ट जाने की भी बात कही है.
विशेष सत्र में खुद ही शामिल नहीं हो रहे हैं सीएम केजरीवाल
फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा कहते हैं, ‘देखिए इस विशेष सत्र का आयोजन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर बुलाया गया था. लेकिन, खुद सीएम अरविंद केजरीवाल ही इस सत्र में शामिल नहीं हो रहे हैं. इस संबंध में हमने विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल और दिल्ली के एलजी अनिल बैजल को पत्र भी लिखा है और सोमवार को हाईकोर्ट भी जाने वाले हैं.’
एक तरफ दिल्ली सरकार का मानना है कि दिल्ली की जनता को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ महीनों से दिल्ली के एलजी और आप सरकार के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध भी चल रहा है. केजरीवाल सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर दिल्ली की जनता को यह अहसास दिलाना चाह रही है कि एलजी और केंद्र सरकार के चलते उनको काम करने में परेशानी हो रही है.
बता दें कि दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे का मसौदा वाला विधेयक अरविंद केजरीवाल की सरकार ने दो साल पहले ही तैयार किया था, लेकिन दो साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी आज तक इस विधेयक के मसले पर कोई निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सका है. इस विधेयक पर दिल्ली की जनता से राय भी लेने की बात कही गई थी, लेकिन वह भी आज तक नही हो पाया है.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार की समस्याएं सिर्फ जनलोकपाल तक सीमित नहीं हैं. इसी साल जनवरी महीने में प्रमुख सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट की घटना के बाद कोई भी आईएएस और दानिक्स अधिकारी दिल्ली सरकार के बैठकों में भाग नहीं ले रहे हैं. ये अधिकारी सिर्फ कैबिनेट मीटिंग और विधानसभा से जुड़ी बैठकों में ही शामिल हो रहे हैं.
इस मुद्दे को लेकर पिछले तीन-चार महीनों से दिल्ली के अधिकारी और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के बीच कोल्ड वॉर छिड़ा हुआ है. मंत्रियों की रूटीन बैठकों में अधिकारियों को नोटिस भेजने के बाद भी अधिकारी शामिल नहीं हो रहे हैं. इन्हीं वजहों से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल की सरकार को लगता है कि अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला होता तो यह स्थिति आज पैदा नहीं हुई होती.
सरकार के पास समस्याओं का अंबार लेकिन हल के आसार नहीं
अधिकारियों के इस रवैये पर दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने सरकारी अधकारियों को चेतावनी जारी किया था. गोयल ने दिल्ली के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को कहा था कि उन्होंने आप विधायकों के सवालों का उचित जवाब नहीं दिया तो नियमों के तहत उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इन नौकरशाहों पर आरोप है कि इन्होंने विधानसभा में अपने-अपने विभागों का लिखित सवालों का जवाब उपलब्ध नहीं कराया था.
कुल मिलाकर दिल्ली की आप सरकार के पास समस्याओं का अंबार है. हाल-फिलहाल में इसका कोई समाधान नहीं दिख रहा है. पहले भी अरविंद केजरीवाल की सरकार अलग-अलग मुद्दों को लेकर विशेष सत्र बुलाती रही है. इसके बावजूद दिल्ली की जनता की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.
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