दो हजार करोड़ के घोटाले का खुलासा करने पर लखनऊ में हुई आइएएस अनुराग तिवारी की हत्या

लखनऊ। 2007 बैच के आइएएस अनुराग तिवारी की लखनऊ गेस्ट हाउस के पास संदिग्ध हाल में हुई मौत में नया ट्विस्ट आया है। खुलासा हुआ है कि वह कर्नाटक के फूड एंड सिविल सप्लाइज विभाग में दो हजार करोड़ के घोटाले की जांच कर रहे थे। विभाग में उनकी हैसियत डायरेक्टर की थी। इस जांच में कई बड़े अफसर और सफेदपोशों के नाम सामने आ रहे थे। जिससे खौफ खाए गिरोह ने साजिश के तहत आइएएस अफसर अनुराग की हत्या करा दी। खुद अफसर के भाई मंयक ने भी यह आरोप लगाया है।

पीएम रिपोर्ट में क्या निकला  परिजन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से संतुष्टि नहीं हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत की बात सामने आने की बात कही जा रही है। हालांकि पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर रही है। गौरतलब है कि लखनऊ में बुधवार को तड़के सुबह सड़क पर मृत अवस्था में मिले आईएएस की मौत का राज पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद भी बरकरार है। पूरे मामले को लखनऊ पुलिस दिनभर गोल गोल घुमाती रही। परिजनों ने आईएस द्वारा 2000 हज़ार करोड़ के घोटाले को पकड़ने की भी बात कही है साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी असंतुष्टि जताई है।

गेस्ट हाउस  के पास मिला था शव बहराइच स्थित घर से लौटकर लखनऊ के गेस्ट हाउस में आइएएस अनुराग तिवारी ठहरे थे। सुबह लखनऊ  में तब हड़कंप मच गया, जब पुलिस के कंट्रोल रूम पर सुबह 6:05 पर सूचना मिलती है की मीराबाई वीआईपी गेस्ट हाउस के थोड़ी दूर एक व्यक्ति क्षुब्ध पड़ा है, मौके पर पहुंची चीता मोबाइल शव को सिविल अस्पताल में शव को पहुंचाया और जब कपड़ों के जेबों की तलाशी ली गयी तो पुलिस और इमरजेंसी में मौजूद कर्मचारियों की होश उड़ गए और फौरन पुलिस के आलाधिकारियों को इस बात की सूचना दी गयी। 2007 बैच के आईएएस अधिकारी का था जो सिर्फ 36 वर्षीय था और नाम अनुराग तिवारी है। गौरतलब है कि लखनऊ के पुलिस महकमे में उस वक्त हड़कंप मच गया जब बुधवार को एक आईएएस अधिकारी के सड़क पर मृत अवस्था में मिलने की सूचना मिली। आननफानन में पुलिस के कई आलाकमान पुलिस अधिकारी पहले तो घटना स्थल पहुंचे और फिर उसके बाद हजरतगंज स्तिथ सिविल अस्स्पताल पहुंचे जहा डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

 

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