नवजात शिशु की देखरेख में ये आयुर्वेद टिप्स रहेंगी बेहद कारागार, हर पेरेंट्स को रखना चाहिए इसका ध्यान
आयुर्वेद इस दुनिया के महानतम ज्ञान में से एक है। अक्सर लोग आयुर्वेद को चिकित्सा पद्धति मानने की भूल कर जाते हैं, जबकि आयुर्वेद वास्तव में निरोग जीवनशैली का अभ्यास है।
यही कारण है कि आयुर्वेद में सिर्फ प्राकृतिक उपचार के तरीके और जड़ी-बूटियों का ही ज्ञान नहीं बताया गया है, बल्कि एक स्वस्थ, संतुलित जीवन जीने के तरीके भी बताए गए हैं। आयुर्वेद में शिशुओं के पालन-पोषण के संबंध में भी कई बातें बताई गई हैं, जिनका आज तक भारतीय समाज में प्रयोग किया जाता है।
बच्चे की तेल मालिश
बच्चे की ग्रोथ के लिए उसके शरीर की तेल से मसाज की जाती है। इससे बच्चे की हड्डियों व मांसपेशियों में मजबूती आती है। ब्लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से काम करने के साथ शरीर के सभी अंगों को पोषण मिलता है। ऐसे में बच्चे का विकास बेहतर तरीके से होने में मदद मिलती है। इसके साथ मसाज करने से ये अन्य फायदे भी मिलते हैं…
हड्डियों व मांसपेशियों में मजबूती आती है।
बालों की ग्रोथ तेजी से होती है।
अच्छी व गहरी नींद आती है।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
ब्लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से होता है।
बच्चे का पेरेंट्स से जुड़ना
बात अगर पश्चिमी सभ्यता की करें तो वे अपने बच्चे को जन्म को कुछ महीनों बाद ही खुद से अलग सुलाने लगते हैं। उनके अनुसार, इसतरह बच्चा आत्मनिर्भर होता है। मगर भारत में पेरेंट्स करीब 3-4 साल तक बच्चे को अपने पास रख कर उसकी देखभाल करते हैं। ऐसा करने से बच्चा पेरेंट्स के साथ दिल से ज्यादा जुड़ता है। बच्चे को गोद में उठाना, सुलाना व बात करना आदि कामों को करने से उसकी ग्रोथ बेहतर तरीके से होने के साथ सुरक्षा महसूस होती है। साथ ही शरीर की गर्माहट मिलने से बच्चे को अच्छी व गहरी नींद आने में मदद मिलती है।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :
कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:
हमें ईमेल करें : [email protected]