नोटबंदी: एजेंसियों ने सरकार को बताया-आतंकवाद पर हुई जोरदार चोट, घाटी में घटी हिंसा

500rs1000rsनई दिल्ली। भारत ने फर्जी करंसी के खिलाफ जंग में बड़ी कामयाबी हासिल की है। घाटी और देश के दूसरे हिस्सों में आतंकवाद पर भी जोरदार वार हुआ है। जाली नोट छापने वाली दो अहम पाकिस्तानी प्रेस को मजबूरन बंद किया गया है। नोटबंदी का राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़े असर की पड़ताल कर रही जांच एजेंसियों ने ये जानकारियां केंद्र सरकार से साझा की हैं।

बीते तीस दिनों में नोटबंदी के असर की पड़ताल कर रही जांच एजेंसियों के मुताबिक, सरकार के इस फैसले से आतंकियों की फंडिंग पर शिकंजा कसा है। इसकी वजह से ही दिसंबर में घाटी में आतंकवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी आई है। इस महीने यहां सिर्फ एक बम धमाका हुआ। इसके अलावा, नोटबंदी की वजह से नक्सली गतिविधियों पर भी चोट पहुंची है। वहीं, भारत में हवाला एजेंट्स के कॉल ट्रैफिक में भी 50 फीसदी की कमी आई है।

कुछ सीनियर सरकारी अफसरों ने जांच एजेंसियों की पड़ताल के निष्कर्ष हमसे साझा किए। अफसर के मुताबिक, नोट के डिजाइन में क्रांतिकारी बदलाव और नए सुरक्षा फीचर्स की वजह से सीमा के पार भी जाली नोट के धंधे पर बुरा असर पड़ा है। एक अफसर ने बताया, ‘पाकिस्तान अपने क्वेटा स्थित सरकारी प्रेस और कराची के एक प्रेस में जाली भारतीय करंसी छापता रहा है। नोटबंदी के बाद, पाकिस्तान के पास जाली नोटों की दुकान बंद करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा। एजेंसियों की पड़ताल में यह पता चला है।’
बता दें कि 8 नवंबर 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। उन्होंने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। अपने संबोधन में उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए जाली नोटों के कारोबार पर लगाम कसे जाने की जरूरत पर जोर दिया था। अधिकारियों का कहना है कि भारत में चल रहे अधिकतर जाली नोट 500 और 1000 के ही हैं।

नोटबंदी का असर जानने के लिए हर राज्य से इनपुट लिए गए। खास तौर पर संवेदनशील राज्यों के जिलों से भी सूचनाएं मांगी गईं। पीएम ने हाई लेवल रिव्यू मीटिंग किए, जिनमें नोटबंदी का कश्मीर में पाक समर्थित आतंकवाद, जाली करंसी और माओवादियों के फंडिंग नेटवर्क पर असर के बारे में चर्चा हुई। अफसर के मुताबिक, ‘जमीनी स्तर पर आतंकवादियों का नेटवर्क कमजोर होने की वजह से बीते कुछ हफ्तों में घाटी में कई कामयाब एंटी टेरर ऑपरेशंस चलाए गए। कैश की कमी की वजह से स्थानीय असामाजिक तत्व पत्थरबाजी के लिए युवाओं को लुभा नहीं पा रहे।’

जांच के मुताबिक, नोटबंदी की वजह से भ्रष्ट सरकारी अफसरों की गतिविधि कम हुई है। इसके अलावा, लैंड माफियाओं द्वारा कृत्रिम तरीके से महंगे किए गए रियल एस्टेट मार्केट में भी कीमतों में सुधार हुए हैं। जांच एजेंसियों ने पाया, ‘नोटबंदी की वजह से, नक्सली संगठनों द्वारा हथियारों की खरीद-फरोख्त पर भी असर पड़ा। बहुत सारे नक्सलियों ने नॉर्थ ईस्ट छोड़ दिया और अपनी सेफ्टी के लिए सीमा के दूसरी ओर चले गए।’ एजेंसियों की पड़ताल के निष्कर्षों के हवाले से अफसरों ने बताया, ‘छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा झारखंड में बड़े माओवादी नेता पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवाने के लिए लोगों की मदद मांगते नजर आए। उन पर बड़े पैमाने पर सरेंडर करने का दबाव है।’

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button