पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का बदला चेहरा, बिजली के तारों के मकड़जाल हुए गायब

लखनऊ। विश्व की सबसे पुरानी नगरी माने जाने वाले वाराणसी में अब आसमान ज्यादा नीला और साफ दिखने लगा है. इमारतों के आगे झूलते तारों का मकड़जाल अब देखने को नहीं मिल रहा है. इसे लेकर स्थानीय निवासी भी खुश हैं. दरअसल, वाराणसी में बिजली के खंबों से लटकते तारों को अब अंडरग्राउंड कर दिया गया है. इस काम को पूरा करने में करीब दो साल का समय लगा है. हालांकि, इस काम को करने में उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी. ऐसा इसलिए क्योंकि इस धार्मिक नगरी की गलियां काफी संकरी हैं और लगभग सभी सड़कों पर भारी ट्रैफिक रहता है.

तारों को अंडरग्राउंड करने का काम नहीं था आसान
पावरग्रिड नाम की कंपनी ने इन सभी तारों को इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) के जरिए अंडरग्राउंड करने का काम किया. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक कंपनी ने बताया कि, नदी के पास बसे शहर जैसे दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल और टर्की के नगरों में आईपीडीएस जब किया गया तो उसे काफी मुश्किल समझा गया. लेकिन उससे भी ज्यादा कठिन वाराणसी में इस स्कीम को लागू करना रहा.

जून 2015 में पूर्व केंद्रीय बिजली और कोयला राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने आईपीडीएस के तहत बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने के लिए 432 करोड़ की योजना की घोषणा की थी. सितंबर 2015 में पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देश में आईपीडीएस के लिए 45,000 करोड़ दिए जाने की घोषणा की. शहर के कबीर नगर और अंसाराबाद में स्कीम का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया.

एक साल की जगह दो साल में पूरा हो सका काम
दिसंबर 2015 में जब काम शुरू हुआ तो उसके बाद से ही पीयूष गोयल लगातार इसकी जांच के लिए शहर आते रहे. हालांकि, उस समय इस कार्य के एक साल में पूरा होने की संभावना जताई गई थी, लेकिन काम दिसंबर 2017 में जाकर पूरा हो सका. कंपनी ने बताया कि चूंकि गलियां काफी भीड़भाड़ वाली थीं, ऐसे में विशेष प्रकार के स्विच बॉक्स इंस्टॉल किए गए.

ग्यारह पुराने सबस्टेशनों को मॉर्डन बनाया गया और दो नए बिजली स्टेशन बनाए गए. सबसे बड़ी समस्या ये थी कि यहां सीवेज, बीजली के तार, टेलीफोन के तारों का कोई मैप नहीं है. ऐसे में उन्हें नुकसान पहुंचाए बिना काम पूरा करना सबसे बड़ी चुनौती थी. बिजली के तारों के अंडरग्राउंड होने से बिजली जाने की समस्या के साथ ही इससे संबंधित शिकायतों में भी काफी कमी आई है.

 

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