पीएम मोदी में है संकट को अवसर में बदलने की क्षमता

राजेश श्रीवास्तव

2०24 के चुनाव में फिर से सत्ता में आना तय

प्रचंड बहुमत से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद सरकार बनाने का भारतीय जनता पार्टी का पहला वर्ष 3० मई को पूरा हो गया। इन छह वर्षों का कार्यकाल का लेखा-जोखा अगर किया जाए तो सबसे बड़ी बात तो यही है कि इन छह वर्षों में भी नरेंद्र मोदी सरकार की कोई एंटी इंकम्बेंसी नहीं उजागर हुई है। आज भी प्रधानमंत्री का जादू उतना ही कायम है जितना वर्ष 2०14 के चुनाव के समय था। बल्कि दुनिया ने उनकी ताकत को उससे भी अधिक स्वीकार कर लिया है। पूरी दुनिया जहां कोरेाना काल में हाय-तौबा कर रही है वहीं भारत जनसंख्या के लिहाज से बहुत बेहतर स्थिति में है। अभी सरकार के चार साल बाकी है लेकिन इन परिस्थितियों में जिस तरह की सरकार की छवि है उससे एक बात तो बिल्कुल तय है कि अगले चुनाव यानि कि वर्ष 2०24 में नरेंद्र मोदी सरकार को आने से कोई नहीं रोक सकता, यह सौ फीसद पूरी तरह सच है ।

किसी भी चुनी हुई सरकार के लिए बहुत सामान्य बात है कि शासन के पहले वर्ष में वो लोकप्रिय बनी रहती है। इसलिए किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा करने के समय, नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता पूरी तरह बरक़रार है। हालिया सर्वेक्षणों के सबूत भी इस बात की गवाही देते हैं कि पिछले कुछ महीनों में, ख़ासकर भारत में कोरोनावायरस संकट से कुशलता के साथ निपटने से, मोदी की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा हुआ है। विरोधी लहर का मूड आमतौर पर तब बनना शुरू होता है, जब सरकार अपना आधा कार्यकाल पूरा कर लेती है, यानी सत्ता में रहने के ढाई साल बाद। तो, सवाल ये उठना चाहिए कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आधा समय पूरा होने पर, उसके खिलाफ विरोधी लहर उठेगी, या नहीं? इस सवाल का कोई निश्चित जवाब नहीं हो सकता। फिलहाल लोगों के मूड, और पूरी तरह अव्यवस्थित पड़े विपक्ष को देखते हुए, मुझे यक़ीन है कि भारतीय जनता पार्टी आराम से, 2०24 में तीसरा राष्ट्रीय चुनाव जीत लेगी। मोदी की अगुवाई में पार्टी ने पिछले 6 सालों में, बहुत से चुनावी रिकार्ड तोड़े हैं।

2०19 के लोकसभा चुनाव से पहले, शायद ही किसी ने सोचा होगा, कि बीजेपी 2०14 से भी बेहतर प्रदर्शन करेगी, और उत्तर भारत के बहुत राज्यों में पार्टी का सीट शेयर अपने शिखर पर पहुंच जाएगा। ऐसा माना जाता था कि यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में, बीजेपी के लिए 2०14 के अपने चुनावी प्रदर्शन को दोहराना, नामुमकिन साबित हो सकता है। लेकिन पिछले तमाम चुनावी पैटर्न्स को तोड़ते हुए, पार्टी ने इनमें से बहुत से राज्यों में, न केवल अपनी चुनावी सफलता को दोहराया, बल्कि कुछ में पहले से भी बेहतर प्रदर्शन किया, और उनमें से बहुत से सूबों में अपना वोट शेयर 5० प्रतिशत के पार ले गई। 2०19 में बीजेपी से पहले, कांग्रेस के अलावा कोई दूसरी सियासी पार्टी, लगातार दो चुनाव नहीं जीत पाई है।

अपने चुनावी प्रदर्शन और मोदी की लोकप्रियता दोनों से, दूसरे कार्यकाल के मध्य में उठने वाली, किसी भी विरोधी लहर से निपटने में सहायत मिलेगी। मोदी आज उतने ही लोकप्रिय हैं जितने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी अपने समय में थे। कोरोनावायरस वैश्विक महामारी से ग्रस्त कई देशों में हुए सर्वेक्षणों में, मोदी को कोविड से निपटने में, अपने वैश्विक समकक्षों से ऊंचा आंका गया है। जो चीज़ मोदी सरकार को लोकप्रिय बनाती है, वो है बहुत समय से लम्बित पड़े विवादास्पद क़ानूनों को पास करने की इसकी क्षमता। धारा 37० को कमज़ोर करने, जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन, तीन तलाक़ कानून, और नागरिकता संशोधन क़ानून ने, अधिकतर हिदुओं में ख़ुशी की लहर भर दी है, और बीजेपी में उनकी आस्था को बरक़रार रखा है। पहले कार्यकाल में शुरू की गई मोदी सरकार की स्कीमों, जैसे जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत और पीएम किसान आदि से, किसानों, महिलाओं, ग़रीबों और आर्थिक रूप से समाज के हाशिये पर पड़े लोगों को मदद मिली है। इससे 2०19 के चुनाव में बीजेपी को, दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के निचले तबक़ों के, अतिरिक्त वोट जुटाने में मदद मिली।

डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, गुड्स एण्ड सर्विसेज़ टैक्सने मोदी सरकारी की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा किया है। इस सरकार में जो बात अनोखी है, वो है संकट को अवसर में बदलने की इसकी क्षमता। जब अचानक नोटबंदी का ऐलान हुआ, तब सरकार ने इस सफलता के साथ, ग़रीब बनाम अमीर की लड़ाई का नाम दे दिया। 2०19 के चुनावों से कुछ पहले ही, जब आर्थिक मंदी और कृषि संकट को लेकर चिताएं ज़ाहिर की जा रहीं थीं, तो बलाकोट स्ट्राइक ने सरकार को भारतीयों का मूड अपने पक्ष में करने का अवसर दे दिया। आज लाखों की संख्या में ग़रीब प्रवासी मज़दूर, अचानक घोषित हुए लॉकडाउन की वजह से मुसीबत झेल रहे हैं, और भारत अपने सबसे ख़राब आर्थिक संकट से दो-चार है। लेकिन सरकार ये संदेश देने में कामयाब रही है, कि लॉकडाउन न केवल सफल रहा है, बल्कि इससे हज़ारों लोगों का जीवन भी बचाया जा सका है।

 

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