बच्चे के स्वस्थ भविष्य के लिए माताओं को गर्भावस्था के दौरान भूल से भी नहीं करना चाहिए ये काम

डिप्रेशन की समस्या अब काफी आम हो चुकी है। हाल ही में एआईबी के सदस्य और कमीडियन तन्मय भट्ट ने बताया कि वह क्लीनिकल डिप्रेशन से पीड़ित हैं।  माना जाता है कि 5 में से एक व्यस्क डिप्रेशन का शिकार होता है। वैसे डिप्रेशन सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी होने लगा है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन में हो तो तुरंत उनकी मदद करनी चाहिए।

रिसर्च में अपने बच्चे के स्वस्थ भविष्य के लिए माताओं को गर्भावस्था के दौरान कम तनाव लेने की सलाह दी गई है. हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया है कि चिंता और डिप्रेशन से जूझ रही माताओं के बच्चे मानक तनाव परीक्षण दिए जाने पर स्वस्थ माताओं के बच्चों की तुलना में काफी कमजोर होते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि इन शिशुओं में दिल की धड़कन काफी बढ़ जाती है, जिससे बच्चे के बड़े होने पर उसे भावनात्मक तनाव हो सकता है.

बता देंक कि गर्भावस्था के दौरान और प्रसव से पहले के समय में मूड डिस्ऑर्डर संबंधी कई लक्षण जैसे चिड़चिड़ापन, बदलते मूड, हल्के डिप्रेशन आमतौर पर मांओं में देखे गए हैं. ऐसा 10-20% महिलाओं में होता है.वहीं बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती महीनों में मां और बच्चे का परस्पर संपर्क स्वस्थ विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है.

 

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