बढ़ जाएगा आपके रसोई घर का बजट, इस वजह से 20 तक फीसदी महंगा हो जाएगा खाना-पीना

नई दिल्ली। केंद्र सरकार बुधवार को खरीफ फसलों के न्यूनतन समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने पर मुहर लगा दी है। विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा होने से घर के बजट में इजाफा हो सकता है, यानी महंगाई बढ़ सकती है, जबकि फसलों का मूल्य 20 फीसदी तक गिरने पर सरकार को एमएसपी मुहैया कराने के लिए सवा लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ सकता है।

आपकी थाली पर पड़ेगी महंगाई की मार
देश के किसानों को बड़ी राहत देने के सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए आर्थिक विशेषज्ञ अतुल सिंह ने कहा कि जाहिर है कि अनाज और दालों के दाम जब डेढ़ गुना होंगे, तो महंगाई में इजाफा होगा ही। इसका असर होटल, रेस्तरां और ढाबों की थाली पर भी पड़ेगा। वहीं दाल, चावल, आटा सभी कुछ महंगा हो जाएगा, जिससे लोगों की पहुंच से यह सभी वस्तुएं महंगी हो जाएगी। केंद्र सरकार ने 14 फसलों पर समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया है।

ऐसे पड़ेगा आप पर असर
किसानों को खुश करने के लिए केंद्र सरकार का यह कदम महंगाई को बढ़ा देगा, क्योंकि बाजार में भी इन शभी फसलों का थोक व फुटकर मूल्य बढ़ जाएगा। मान लीजिए आपको फुटकर में दाल अभी 60 से 80 रुपये किलो मिल रही है,उसका मूल्य बढ़कर 80-100 रुपये के बीच हो जाएगा।

हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह जरूरी है, क्योंकि मौजूदा मुद्रास्फीति की तुलना में कृषि उत्पादन की वृद्धि काफी कम है। ऐसे में एमएसपी डेढ़ गुना किए जाने पर देश के अन्नदाता को वाकई में राहत मिलेगी।

वहीं, नीति आयोग के सदस्य और कृषि मामलों के विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि डेढ़ गुना एमएसपी किए जाने से महंगाई पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसका कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि उत्पादन दरें बहुत ही कम हैं। वैश्विक स्तर पर तुलना करें, तो हमारे देश का किसान वाकई में कीमत के मामले में हाशिए पर है और इसमें सुधार बहुत जरूरी है।

मिलेगी उपज की उचित कीमत

कृषि मामलों के विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि जब थोक कीमतों में बढ़ोतरी होगी, तो उसका असर खुदरा बाजार में ज्यादा होगा। ऐसे में आम आदमी के लिए रसोई का खर्च जरूर बढ़ जाएगा, लेकिन दूसरी तरफ  अन्नदाता को इससे राहत मिलेगी। अगर बाजार मूल्य एमएसपी से कम रहता है, तो सरकार उन्हें शेष राशि मुहैया कराएगी। ऐसे में हर सूरत में उन्हें उपज का उचित दाम मिल पाएगा।

आसान नहीं होगी राह 
आर्थिक विशेषज्ञ दिपांशु अग्रवाल का कहना है कि किसानों को खरीफ फसलों का डेढ़ गुना एमएसपी मुहैया कराने में सरकार की राह आसान नहीं होने वाली है। सरकार इसे लागू करने के लिए कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस यानि सीएसीपी को उत्पादन की लागत (ए2) के साथ सदस्यों की मेहनत (एफएल) के फॉर्मूले का इस्तेमाल करेगी।

गौर करने वाली बात यह है कि मौजूदा एमएसपी किसानों को लागत और मेहनत, दोनों नहीं मुहैया करा पाती है। ऐसे में यह जरूरी है कि अन्नदाता की एमएसपी को डेढ़ गुना या उससे अधिक किया जाए।

चावल, कपास का घटेगा निर्यात

कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अगर सरकार डेढ़ गुना एमएसपी को हरी झंडी देती है, तो घरेलू बाजार में चावल की कीमत लगभग 13 फीसदी, मक्का की कीमत 15 फीसदी और कपास की कीमत लगभग 28 फीसदी बढ़ेगी।

जाहिर है कि इससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में इजाफा होगा। हालांकि चावल और कपास अंतरराष्ट्रीय बाजार से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएगा। इनका अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात घटेगा। जबकि जरूरत से ज्यादा उपज होने पर खरीफ फसलों के दाम बाजार में 20 फीसदी तक गिरने पर सरकार को 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपये का बोझ उठाना होगा। साथ ही, यातायात और भंडारण के लिए अलग से 10,000 करोड़ रुपये की लागत होगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार इसमें राज्यों की भी हिस्सेदारी रखेगी। लेकिन राज्य इसके लिए कितना तैयार होंगे ये तो वक्त ही बताएगा।

फसल       ए2+एफएल           मौजूदा एमएसपी             1.5 गुणा एमएसपी****

चावल         1,117                    1,550                                 1,759
अरहर         3,318                 5,250                               6,226
मूंग             4,286                 5,345                               6,750
बाजरा         949                   1425                                 1,424
मक्का        1044                   1425                                1,566
कपास         3276                4020                                  4,914

****अनुमानित, ए2+एफएल में कृषि लागत के साथ ही सदस्यों के मेहनत की कीमत को भी जोड़ा जाता है।

स्रोत- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग 

 

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