बीएचयू में फर्जी नियुक्तियां किए जाने के मामले में वाइस चांसलर को दो महीने में फैसला लेने का निर्देश

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी यानी बीएचयू में फर्जी नियुक्तियां किये जाने का आरोप लगाकर दाखिल की गई अर्जी पर सीधे तौर दखल देने से मना करते हुए मामले को युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के पास भेज दिया है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि वाइस चांसलर इस बारे में शिकायतकर्ताओं द्वारा दाखिल की गई अर्जी पर दो महीने में उचित फैसला लें और इस बारे में कोर्ट को भी जानकारी दें. यह आदेश जसिटस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस इफाकत अली की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता व्यंकटेश सिंह, डा.अंगद कुमार सिंह एवं डा.राजीव प्रताप सिंह की अर्जियों पर सुनवाई करने के बाद दिया है.

अदालत में सुनवाई के दौरान बीएचयू का पक्ष रखते हुए उनके वकील अजीत कुमार सिंह का कहना था कि याचिका में उठाई गई आपत्तियां कुलपति की जानकारी में पहले से ही है और वह उन पर विचार कर रहे हैं. यदि याचीगण याचिका में उठाये गये वैधानिक पहलुओं को कुलपति के समक्ष उठाते हैं, तो कुलपति इस पर भी विचार करने को तैयार है.

बीएचयू के वकील के इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने याचिकाएं यह कहते हुए निस्तारित कर दी कि याचीगण अपना प्रत्यावेदन कुलपति को दें, जिसमें वह अपने सभी मुद्दों को उठा सकते हैं. कुलपति को निर्देश दिया है कि वह याचीगण के प्रत्यावेदन पर दो माह में उचित फैसला लें. अदालत ने यह छूट ज़रूर दी है कि अगर याचीगण वीसी के फैसले से सहमत नहीं होते हैं तो उस फैसले के खिलाफ वह नये सिरे से अर्जी ज़रूर दाखिल कर सकते हैं.

 

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