बेटी की कामयाबी के लिये मैंने इतना दीवाना पिता दूसरा नहीं देखा

दयानंद पांडे

उन की बेटी मालिनी अवस्थी गोरखपुर में भी गाती थीं , गोरखपुर में भी उन्हें गाते हुए सुनता था। तब मल्लिका और मालिनी दोनों बहने साथ-साथ गाती थीं। पर लखनऊ में उन दिनों मालिनी भातखण्डे में गायन की विधिवत शिक्षा ले रही थीं। डाक्टर साहब तब बलरामपुर अस्पताल के कैम्पस में ही रहते थे। डाक्टर साहब के कहने पर मालिनी अवस्थी के जीवन का पहला इंटरव्यू मैं ने ही लिया था। तब के स्वतंत्र भारत अखबार में पूरे एक पेज पर मालिनी की बड़ी सी फोटो के साथ वह इंटरव्यू छपा था। मालिनी दिन-ब-दिन मेहनत करती हुई आगे बढ़ती गईं। मालिनी की मां उन के साथ निरंतर लगी रहतीं। कई बार लगता कि मालिनी से ज़्यादा मेहनत तो उन की मां निर्मला आंटी कर रही हैं। लेकिन मैं देख रहा था कि मालिनी को गढ़ने में डाक्टर साहब पिता की ही भूमिका में नहीं एक कुम्हार की भूमिका में भी चुपचाप लगे रहे थे। मालिनी गायकी में कैसे नए-नए मुकाम पर पहुंचें , डाक्टर साहब इसी उधेड़बुन में रहते कि कैसे तो वह मालिनी को गायिकी में एकदम पहले पायदान पर पहुंचा दें। मालिनी के लिए नए-नए अवसर वह खोजते-फिरते थे। उन की यह तड़प जी टी वी के जूनून कार्यक्रम में खुल कर सामने आ गई।

जुनून में भीतर शिरकत कर रही थीं मालिनी पर बाहर डाक्टर साहब का जूनून मैं देख रहा था। एक बेटी की कामयाबी के लिए एक पिता का ज़ज़्बा और जूनून तो हर किसी पिता में होता है। लेकिन डाक्टर साहब में इस से भी बहुत ज़्यादा मैं देख रहा था। वह लगभग पागलों की तरह हर किसी से मिलते ही मालिनी को वोट देने के लिए इसरार करते। बड़े उत्साह से हर किसी से बेटी की कामयाबी का राग गाते। बेटी की कामयाबी के लिए इतना दीवाना पिता मैं ने दूसरा नहीं देखा। हालां कि तब तक मालिनी का विवाह अवनीश जी से हो चुका था। और अब अवनीश , मालिनी के नए कुम्हार थे।

डाक्टर साहब जैसे मालिनी को गायिकी के पहले पायदान पर देखना चाहते थे , अवनीश भी मालिनी को गायिकी के सर्वोच्च मुकाम पर देखने के लिए सर्वदा बेताब दिखे। गायन के लिए अवसर और आज़ादी , अवनीश अवस्थी ने , डाक्टर साहब से भी ज़्यादा , बहुत-बहुत ज़्यादा दिए। मालिनी जैसी भाग्यशाली स्त्रियां बहुत कम होती हैं जिन्हें एक ही जीवन में एक साथ ऐसा जुनून वाला पिता और पति दोनों मिलता है। आज मालिनी दुनिया भर में अपनी गायिकी का जो धनका बजा रही हैं , उस में निश्चित रूप से मालिनी की प्रतिभा , मेहनत और किस्मत है। लेकिन पिता प्रमथ नाथ अवस्थी की बेटी को सर्वोच्च पायदान पर देखने की लगन और परिश्रम भी बहुत है। बल्कि मां निर्मला जी और पिता प्रमथ नाथ अवस्थी दोनों ही की।
बीते नवंबर में जब मालिनी की बेटी की शादी थी तो अवनीश जी ने मुदित होते हुए पूछा , इंतजाम कैसा लगा ? मैं ने छूटते ही कहा , बहुत बढ़िया ! फिर जब उन्हें बताया कि मैं तो आप की शादी में भी उपस्थित था। आप की शादी में भी इंतजाम बढ़िया था। और देखिए कि आप की बेटी की शादी में भी उपस्थित हूं। इस में इंतजाम और बढ़िया है। एक डाक्टर , एक आई ए एस के इंतजाम में जो फर्क होना था , वह तो था ही। लेकिन एक बात दोनों में जो एक थी , समान थी , वह थी दोनों का जनक भाव। डाक्टर साहब भी जनक भाव में मुदित थे और अवनीश जी भी। दोनों ही बेटी के हाथ पीले कर भावुक और सुखी थे। यह डाक्टर साहब का आशीर्वाद ही था।
(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडे के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
 

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