भारत-चीन से सटी सीमा के लिए अलग सुरक्षा एजेंसी गठित करेगा नेपाल

काठमांडू। भारत और चीन के साथ सटती अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए नेपाल एक अलग सुरक्षा एजेंसी गठित करने पर विचार कर रहा है. देश के गृह मंत्री राम बहादुर थापा ने रविवार को यह जानकारी दी. मंत्री ने कहा कि वर्तमान सुरक्षा बल सभी सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी नहीं रख सकते और अब सरकार देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गौर करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है.

मंत्री पूर्वी नेपाल के तापलेजुंग जिले में एक जिला प्रशासन कार्यालय की इमारत के उद्घाटन समारोह के मौके पर बोल रहे थे. नेपाल के पास अंतराष्ट्रीय सीमाओं पर निगरानी के लिए अलग से कोई सुरक्षा एजेंसी नहीं है. भारत के साथ नेपाल की करीब 17 हजार किलोमीटर लंबी खुली सीमा है जिसे बगैर रोक-टोक पार किया जा सकता है.

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत-नेपाल सीमा पर निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग भी किया जा सकता है. नेपाल की चिंता है कि भारत ने हर किलोमीटर पर एक सैन्य चौकी स्थापित की है जबकि उनके मुल्क ने मुश्किल से 25 किलोमीटर में एक चौकी बनाई है. सीमा पर मिलने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए नेपाल ड्रोन का उपयोग करेगा.

पहाड़ी देश नेपाल की सीमा सिर्फ दो देशों से ही लगती है. तीन तरफ से भारत और तिब्बत की ओर से चीन की. अपनी जरूरतों के लिए नेपाल काफी हद तक भारत पर निर्भर है. लेकिन भारत के लिए नेपाल के संदर्भ में चीन की चुनौती अब हिमालय पर्वत जैसी बड़ी होती जा रही है.

पिछले एक दशक में आए राजनीतिक बदलाव, माओवादी ताकतों का सत्ता में आना और चीन की नेपाल में एंट्री भारत के लिए बड़ी चुनौती है और मोदी सरकार को इन सबके बीच भारत का स्टेक सुरक्षित रखना होगा. तीनों देशों के रिश्तों के कई पहलू भारत की चिंता बढ़ा रहे हैं.

 

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