मणिपुर में बीजेपी की एन बीरेन सिंह सरकार ने ध्वनिमत से जीता विश्वासमत

नई दिल्ली/इंफाल। मणिपुर विधानसभा चुनाव 2017 में नंबर दो पर रहने के बावजूद सरकार बनाने में कामयाब रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सोमवार को सदन में हुई अग्नि परीक्षा में कामयाब हो गई है, और उन्होंने ध्वनिमत से विश्वास प्रस्ताव जीत लिया है.

दरअसल, 11 मार्च को घोषित चुनाव परिणामों में मणिपुर की 60-सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 28 सीटों के साथ अव्वल स्थान पर रही थी, और बीजेपी को सिर्फ 21 सीटें मिल पाई थीं, लेकिन कांग्रेस के अलावा अन्य विधायकों के समर्थन के दावों के साथ बीजेपी ने भी सरकार गठन का दावा पेश किया था, जिसे राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने मान लिया, और उन्हें न्योता दे दिया. इसके बाद बुधवार, 15 मार्च को बीजेपी नेता एन बीरेन सिंह को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी, और एनपीपी नेता यूमनाम जयकुमार सिंह को डिप्‍टी सीएम के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई.

बीरेन सिंह को पिछले सोमवार (13 मार्च) को सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था और उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य में अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री बीरेन ने मणिपुर की सेवा करने का मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेतृत्व का आभार जताया था. बीरेन सिंह को सरकार बनाने का निमंत्रण उस दिन दिया गया था, जब एनडीए में शामिल नगा पीपुल्स फ्रंट के चार सदस्यों ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार गठन के लिए बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की.

राजभवन सूत्रों ने बताया था कि नगा पीपुल्स फ्रंट के चार विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की थी. गोवा के बाद मणिपुर दूसरा ऐसा राज्य बना, जहां हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में नहीं उभरने के बावजूद बीजेपी की गठबंधन सरकार बन गई है.

मणिपुर एवं गोवा में सरकार बनाने के प्रयासों को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज करते हुए बीजेपी ने कहा था कि कांग्रेस पर्याप्त संख्याबल जुटाने में विफल रही तथा अपने पूर्व के कर्मों के कारण उसे विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने संसद परिसर में कहा था, ‘कांग्रेस ने विगत में कई बार अधिकारों और अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर गैर-कांग्रेसी सरकार को गिराया है… उसने सबसे बड़े दल को सरकार नहीं बनाने दी… उनके पास आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है…

इस बीच, मणिपुर में करीब पांच माह से जारी यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) की आर्थिक नाकेबंदी रविवार मध्यरात्रि के बाद समाप्त हो गई. सेनापति जिला मुख्यालय में आयोजित केंद्र, राज्य सरकार और नगा समूहों की बातचीत के बाद एक आधिकारिक बयान में कहा गया था, ‘यूएनसी नेताओं को बिना शर्त रिहा किया जाएगा और आर्थिक नाकेबंदी को लेकर नगा जनजातीय नेताओं और छात्र नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों को खत्म किया जाएगा…’ राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के सात नए जिले बनाए जाने के फैसले के खिलाफ यूएनसी ने 1 नवंबर, 2016 को आर्थिक नाकेबंदी शुरू की थी.

 

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