मदद की मांग की थी, कर्ज की नहीं: माल्या

नई दिल्ली। देश से फरार उद्योगपति विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस के पतन का दोष सरकार की नीतियों और आर्थिक हालात के माथे मढ़ते हुए सरकार पर ही सवाल उठाए हैं। माल्या ने कहा कि सरकारी एयरलाइन ‘एअर इंडिया’ को संकट से उबारने के लिए जनता के पैसों का इस्तेमाल किया गया लेकिन ‘सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन’ को बचाने के लिए ऐसा नहीं किया गया।

माल्या ने अपने बचाव में कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि वह कर्ज नहीं चाहते थे बल्कि वह चाहते थे सरकार अपनी नीतियों में बदलाव कर उनकी मदद करे। उन्होंने ‘एअर इंडिया को दिए गए पब्लिक फंड’ पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘किंगफिशर एयरलाइंस जब डूबी उस समय तेल की कीमतें 140 डॉलर प्रति बैरल थीं और डॉलर के मुकाबले रुपया गिरा हुआ था। अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी।’

एक और ट्वीट में माल्या ने लिखा कि इससे सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइंस किंगफिशर सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि सरकार ने एयर इंडिया के लिए बेल आउट पैकेज दिया लेकिन किंगफिशर के लिए नहीं। माल्या ने कहा कि वह नीति में बदलाव चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिससे उनकी एयरलाइंस पर बहुत बुरा असर पड़ा। उन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने मदद मांगी थी कर्ज नहीं।

माल्या ने दावा किया कि किंगफिशर एयरलाइंस भारत की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी एयरलाइ थी जो दुर्भाग्य से आर्थिक और नीतिगत वजहों से नाकाम हो गई। उन्होंने केएफए के सभी कर्मचारियों और स्टेकहोल्डर्स से माफी भी मांगी और कहा कि काश सरकार ने मदद की होती। किंगफिशर को लोन के रूप में मिले पब्लिक फंड के फंसने के आरोपों पर माल्या ने कहा कि एअर इंडिया को जो पब्लिक फंड दिया गया, उसका क्या?

 

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