मदरसों को निजी तौर पर 10 छुट्टियां तय करने का अधिकार लेकिन सरकार उन्हें काटकर किया चार दिन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदरसों की छुट्टी काटने की घोषणा की, तो शिक्षकों ने इस पर नाराजगी जताई. इस्लामिक मदरसा मॉडर्नाइजेशन टीचर्स एसोसिएशन ने पूछा कि सीएम के पास छुट्टी की कटौती पर विचार करने का वक्त है, लेकिन पिछले दो साल से रुके हुए वेतन की फिक्र नहीं है.

मदरसों की छुट्टियों को कम करने के यूपी सरकार के आदेश से मदरसों के शिक्षक खफा हैं, लेकिन वे इससे भी ज्यादा इस बात से नाराज हैं कि उनको दो साल से वेतन नहीं मिला. यूपी के इस्लामिक मदरसा मॉडर्नाइजेशन टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एजाज अहमद ने बताया कि मदरसा शिक्षकों की छुट्टियां काटना राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं.

उन्होंने कहा कि अगर मदरसे एक खास धर्म के लोगों के लिए हैं, तो उनमें खास धर्म से जुड़े त्यौहार भी होंगे. ऐसे में उनसे त्यौहारों की छुट्टी करने का अधिकार छीनना ठीक नहीं है. एक तरफ तो सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा लगाती है, तो दूसरी तरफ ऐसे कदम उठाकर सरकार क्या साबित करना चाहती है? मदरसों को निजी तौर पर 10 छुट्टियां तय करने का अधिकार था. उन्हें काटकर चार दिन करना कैसे जायज है?

चंद महीने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरमान जारी किया था कि मदरसों में मुस्लिम समुदाय के त्योहारों के अलावा दूसरे राष्ट्रीय त्योहारों पर भी छुट्टी होगी. एजाज अहमद का कहना है कि मुख्यमंत्री ने मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए क्या कदम उठाए हैं? वे कहते हैं कि साल 2015-16 और 2016-17 यानी दो साल से हमें केंद्र की तरफ से मिलने वाला वेतनमान नहीं दिया गया है.

 केंद्र सरकार के हिस्से का नहीं मिला वेतन

अहमद ने बताया कि इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण के शिक्षकों को मिलने वाले वेतनमान में राज्य और केंद्र दोनों का हिस्सा होता है. ग्रेजुएट टीचर को दो हजार रुपये राज्य और आठ हजार रुपये केंद्र देता है, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट टीचर को तीन हजार रुपये राज्य और 12 हजार रुपये केंद्र देता है. उन्हें राज्य की तरफ से वेतन तो मिल रहा है, लेकिन केंद्र का वेतन दो साल से नहीं आया. अहमद कहते हैं कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को इस बात की फिक्र होनी चाहिए कि आखिर ये शिक्षक कैसे अपना घर चला रहे हैं.

इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण में पढ़ाते हैं 8 हजार शिक्षक

इस्लामिक मदरसा बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी सिंह से जब इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि दरअसल मदरसा बोर्ड के ऑनलाइन पोर्टल को अपडेट करने का काम चल रहा है. बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से इन मदरसों को यू-डाइस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) नंबर जारी किया जा रहा है. जैसे ही पोर्टल अपडेट हो जाएगा, वेतन जारी कर दिया जाएगा. हालांकि उन्होंने कहा कि साढ़े आठ हजार टीचर हैं, जो इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण में पढ़ाते हैं.

एक महीने में जारी हो जाएगा रुका हुआ वेतन

आरपी सिंह ने कहा कि इनमें से कुछ टीचर्स को वेतन जारी भी किया गया है. दो साल का वेतन बहुत कम टीचर्स का रोका गया है, जबकि एक साल से वेतन न मिलने की बात उन्होंने भी स्वीकार की. उन्होंने इसकी वजह सरकार की सुस्ती नहीं, बल्कि पोर्टल को अपडेट करने की प्रक्रिया बताई. उनके मुताबिक एक महीने के भीतर सारा रुका वेतन जारी कर दिया जाएगा.

राजनीति चमकाने के लिए मदरसों को निशाना बनायाः एजाज

एजाज अहमद कहते हैं कि मदरसों को निशाने पर लेकर केवल राजनीति चमकाने का काम किया जा रहा है. बयान देकर वोटों का ध्रुवीकरण किया जा रहा है. इससे पहले एनसीईआरटी का सिलेबस लागू करने का शिगूफा छोड़ा गया था. इस बात को चार महीने से ज्यादा हो गए, लेकिन अब तक यह पता नहीं चला कि इसके लिए क्या किया जा रहा है?

मदरसों के नए सिलेबस के लिए बनी थी कमेटी

इस पर मदरसा बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी सिंह कहते हैं कि इसके लिए कमेटी बनी थी. उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसमें मदरसों की शिक्षा के मूल्यांकन और तौर तरीकों में बदलाव करने के लिए कुछ सलाह दी गई हैं. सबसे अहम बात है कि इस रिपोर्ट में एक ऐसी सेल बनाने की बात कही गई है, जिसमें छात्र-छात्राएं परीक्षा से जुड़ी अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें. हालांकि अभी फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है.

 

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