महज 19 साल की उम्र में शंकराचार्य बन गए थे जयेंद्र सरस्वती

 

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती का 83 साल की उम्र में निधन हो गया है. जयेंद्र सरस्वती काफी लंबे समय से बीमार थे. आइए जानते हैं शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के जीवन से जुड़ी बातें…

  • महज 19 साल की उम्र में शंकराचार्य बन गए थे जयेंद्र सरस्वती

    जयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटी पीठ के 69वें मठप्रमुख थे. वे 1954 में शंकराचार्य बने थे. इससे पहले 22 मार्च 1954 को चंद्रशेखेंद्ररा सरस्वती स्वामीगल ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. उस वक्त वो सिर्फ 19 साल के थे.

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    उनका जन्म 18 जुलाई 1935 में तमिलनाडु में हुआ था. काँची कामकोटी पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का इस पद पर आसीन होने से पहले का नाम सुब्रमण्यम था.

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    साल 1983 में उन्होंने शंकर विजयेन्द्र सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वहां एक भव्य समारोह में भाग लिया और अपने संबोधन में अयोध्या मसले के समाधान के लिए शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की सराहना की थी.

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    बता दें कि कांची मठ कांचीपुरम में स्थापित एक हिन्दू मठ है. यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है. यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं. कांची मठ के द्वारा कई सारे स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाए जाते हैं. उन्होंने समाज के लिए काफी काम किए थे.

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    कांचीपुरम शंकररमन हत्‍याकांड मामले में भी उन्हें गिरफ्तार किया था, हालांकि उन्हें बाद में बरी कर दिया गया था. इस मर्डर केस में कांचीमठ के शंकराचार्य और उनके सहयोगी मुख्य आरोपी थे. जयेंद्र सरस्वती पृथक तेलंगाना राज्य को लेकर भी चर्चाओं में रहे थे.

 

 

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