मुस्लिम महिलाओं को उकसाया, दंगे के लिए भड़काया: ‘पिंजरा तोड़’ की नताशा, देवांगना से पूछताछ में कई खुलासे

खुद को महिलावादी संगठन बताने वाले ‘पिंजरा तोड़’ का देश-विरोधी चेहरा अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। दिल्ली पुलिस ने इस संगठन की नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को दिल्ली के हिन्दू-विरोधी दंगों में भूमिका होने के कारण गिरफ्तार किया था। हालाँकि, दोनों किसी तरह जमानत लेकर रिहा होने में कामयाब रही थीं। इसके तुरंत बाद दोनों को क्राइम ब्रांच ने धर-दबोचा था। पूछताछ में अब कुछ और भी बातें पता चली हैं।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में जब हिंसा भड़की थी, तब महिलाओं को उकसा कर उनसे चक्का जाम कराया गया था। इसमें ‘पिंजरा तोड़’ की नताशा और देवांगना का अहम रोल था। ये दोनों वहाँ महिलाओं को उकसा कर कानून-व्यवस्था बिगाड़ने का काम कर रही थीं। नताशा और देवांगना ने मुसलमानों को भड़काने के लिए पूरी रणनीति तैयार की थी। दोनों को रविवार (मई 24, 2020) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जारी स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया गया था।

‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, नताशा और देवांगना से पूछताछ के दौरान ‘पिंजरा तोड़’ के सदस्यों की सच्चाई सामने आई है। अदालत ने इन दोनों को 2 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था, जहाँ क्राइम ब्रांच ने इनसे पूछताछ की। इसके बाद 22 फ़रवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे मुस्लिम महिलाओं को एकत्रित करने में इन दोनों की भूमिका सामने आई। नताशा और देवांगना ने साजिश रच के 66 फीट की सड़क को ठप्प करवाया था।

क्राइम ब्रांच ने ‘पिंजरा तोड़’ की नताशा और देवांगना से पूछताछ के दौरान कई तकनीकी सबूत भी इकट्ठे किए हैं। इन दोनों का काम जाफराबाद तक ही सीमित नहीं था बल्कि इन्होंने कई अन्य इलाकों में घूम-घूम कर मुसलमानों को भड़काया और दंगों में भाग लेने को उकसाया।

दरअसल, ‘पिंजरा तोड़’ के बैनर तले नताशा और देवांगना ने सहयोगियों संग मिल CAA और NRC के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन की आड़ में ये कुचक्र रचा था। जहाँ नताशा नरवाल हरियाणा के रोहतक की निवासी हैं, देवांगना कलिता असम के डिब्रूगढ़ की रहने वाली हैं। असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस के वयोवृद्ध नेता तरुण गोगोई ने इन दोनों की गिरफ्तारी का विरोध किया है। दिल्ली में दोनों ने जीटीबी नगर को अपना ठिकाना बनाया हुआ था।

देवांगना कलिता विवाहित हैं, वहीं नताशा की अभी शादी नहीं हुई है। रविवार को मजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने ये कहते हुए इन दोनों को जमानत दे दी थी कि आरोपितों की समाज में अच्छी पकड़ है और वे काफी पढ़ी-लिखी भी हैं। वे पुलिस के साथ जाँच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। नताशा नरवाल ने वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ के लिए तीन लेख लिखे थे। उसने ‘न्यूज़लौंड्री’ के लिए भी लेख लिखा था।

 

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