मोदी की विदेश नीति को दूसरा बड़ा झटका, चीन के बाद अब रूस ने किया पाकिस्तान का समर्थन

modi_putinतहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी की विदेश नीति को दूसरा बड़ा झटका है। पहले चीन और अब रूस ने भी पाकिस्तान का साथ दिया है जबकि रूस को भारत का पारंपरिक साथी माना जाता है। चरमपंथ को जाने वाली फंडिंग पर हाल ही में ब्रिस्बेन में आयोजित हुए सम्मेलन में पाकिस्तान के खिलाफ लाए गए भारत के निंदा प्रस्ताव पर रूस के स्टैंड ने नई दिल्ली को असहज स्थिति में ला दिया है।
इस बैठक में जमात-उल-दावा और लश्कर-ए-तय्यबा के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से कोई कदम नहीं उठाये जाने पर भारत ने पाक की निंदा किए जाने की मांग की थी। हालांकि भारत की ओर से लाए गए निंदा प्रस्ताव का न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भी विरोध किया लेकिन भारत रूस के स्टैंड को लेकर हैरान है। अतीत में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा काउंसिल में रूसने कश्मीर पर भारत के स्टैंड को लेकर हमेशा से सपोर्टिव रहा है। यहां तक कि उसने कई मौकों पर भारत के पक्ष में वीटो का भी इस्तेमाल किया है। आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया है कि रूस को भारत के रुख से वाकिफ कराने की कोशिश की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स देशों के सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से उल्फा में मुलाकात करेंगे। इस सम्मेलन के एजेंडे में ISIS के खतरे और चरमपंथ के खिलाफ अपनाई जाने वाली रणनीति पर सहयोग का मुद्दा रहेगा। पाकिस्तान को लेकर रूस के स्टैंड पर रूस का रुख बेवजह नहीं है। पिछले साल भारत ने पाकिस्तान को हथियार बेचने के मॉस्को के फैसले पर रूस के सामने अपनी नाखुशी जाहिर की थी। उधर, रूस को यह लगता है कि उसे अफगानिस्तान में ड्रग का कारोबार और अफगान-पाक क्षेत्र में चरमपंथियों से मुकाबले के लिए पाकिस्तान की जरूरत होगी। पुतिन-मोदी की मीटिंग में अफगानिस्तान का मुद्दा भी उठने की संभावना है। भारत रूस से यह आश्वासन चाहता है कि इस्लामाबाद के साथ उसके सैन्य सहयोग से भारत की सुरक्षा चिंताओं का अहित न हो। रूस और पाकिस्तान के सैन्य सहयोग को अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी पर प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है।

 

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