यूपी में मोदी का बनाया संतुलन बिगड़ रहा है, काम में दखल को लेकर मौर्या योगी आमने-सामने

लखनऊ। पूरे देश में इस समय केवल बजट को लेकर बातें हो रही हैं, कयास लगाए जा रहे हैं कि आम बजट में मोदी सरकार जनता को राहत दे सकती हैं, केंद्र की सियासत बजट के आस पास ही घूम रही है, लेकिन देश के बाकी राज्यों में तो सियासत वैसे ही चल रही है, बात यूपी की करें तो वहां पर बीजेपी की सरकार है, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं, बड़ा राज्य होने के कारण उनको दो डिप्टी सीएम दे रखे हैं। केशव प्रसाद मौर्या और दिनेश शर्मा. सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए दो डिप्टी सीएम बनाए गए थे, इस से सत्ता का शक्ति संतुलन बना रहेगा। लेकिन अब ये संतुलन गड़बड़ा रहा है। एक जंगल में जिस तरह से दो शेर नहीं रह सकते हैं उसी तरह से एक सरकार में दो बड़े नेताओं का रहना भी मुश्किल है।

दस महीने पुरानी योगी सरकार का संतुलन बिगड़ रहा है, इसका कारण योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या हैं, दोनों का ही अपना महत्व है, एक चमत्कारी नेता है, जिसकी जनता पर पकड़ है तो दूसरा संगठन का आदमी है। जिसके नेतृत्व में बीजेपी को यूपी में प्रचंड बहुमत मिला था। दोनों ही सरकार का हिस्सा है, ऐसे में दोनों के बीच टकराव ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। सत्ता के दो केंद्र उत्तर प्रदेश में बनते दिख रहे हैं। बड़ी बात ये है कि दोनों ही नेता अपने अपने फील्ड में माहिर हैं, दोनों ही एडजस्ट करने में असहज हो जाते हैं, उनको लगता है कि उनके कारण ही ये सफलता मुमकिन है, इसलिए अब उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सामने समस्याएं खड़ी होने लगी हैं। केशव प्रसाद मौर्या और योगी आदित्यनाथ के समर्थकों के बीच आए दिन कहासुनी होती रहती है।

योगी आदित्याथ सरकार के मुखिया है, इसलिए उनका कद ज्यादा बड़ा है, वहीं केशव प्रसाद मौर्या संगठन के आदमी हैं, सरकार में डिप्टी सीएम हैं, लेकिन वो सरकार के काम में उतना दखल नहीं दे पाते हैं। उत्तर प्रदेश दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मौर्या नहीं पहुंचे थे, उसी समय से लग रहा है कि दोनों के बीच की दीवार बड़ी होती जा रही है। मौर्या समर्थकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश दिवस के कार्यक्रम के विज्ञापन में मौर्या का नाम नहीं था। जबकि दूसरे कई मंत्रियों के नाम छापे गए थे। ये मामा विवाद का रूप ले रहा था, लेकिन उसी समय दूसरा विज्ञापन छपवाया गया, जिस में मौर्या का नाम था, उसके बाद मौर्या कार्यक्रम में पहुंचे लेकिन योगी के साथ उनकी दूरी साफ दिख रही है।

इस से पहले कोशव प्रसाद मौर्या को 20 जनवरी को बनारस में युवा उद्घोष कार्यक्रम में भी नहीं बुलाया गया था। 23 जनवरी को योगी ने मंत्रियों की बैठक बुलाई थी, उस में भी मौर्या नहीं पहुंचे थे। इसे से अब यूपी में अफवाहों का दौर शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर अंतर्कलह चल रहा है। संगठन और सरकार के बीच सामन्जस्य नहीं बन पा रहा है। मौर्या और योगी एक मंच पर आने से बचते हैं। सूत्रों का कहना है कि ये वर्चस्व की लड़ाई है, विभागों का मामला हो या फिर काम में दखल का मामला हो मौर्या योगी से सहमत नहीं है, इसका बड़ा कारण ये है कि केशव प्रदास मौर्या खुद को सीएम पद का दावेदार मान रहे थे। लेकिन योगी के सीएम बनने के बाद उनको लगा कि उन्हे पार्टी में किनारे किया जा रहा है। बहरहाल उत्तर प्रदेश में ये अंतर्कलह बीजेपी को लोकसभा चुनाव के दौरान भारी पड़ सकती है।

 

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