यूपी राज्यसभा चुनाव: इस द्वंद्व में भतीजे के लिए बुआ की प्रतिष्ठा सर्वोपरि!

रविशंकर सिंह 

23 मार्च को होने वाले उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के चुनाव को लेकर यूपी की सियासत में गर्माहट पैदा हो गई है. बीजेपी जहां फूलपुर और गोरखपुर चुनावों में पटखनी के गम को भुलाने के लिए पूरा जोर लगाने की तैयारी में है. वहीं, अखिलेश यादव अपनी बुआ यानी मायावती को फूलपुर-गोरखपुर में जीत का रिटर्न गिफ्ट देने के मूड में हैं. कयास हैं ये रिटर्न गिफ्ट राज्यसभी की सीट हो सकती है.

ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी अपने कैंडिडेट से ज्यादा बीएसपी कैंडिडेट भीमराव अंबेडकर को लेकर ज्यादा फिक्रमंद है. अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं अपने एक कैंडिडेट के लिए निर्धारित वोटों को अलग हटाकर जितने वोट ज्यादा बचेंगे वो पहले बीएसपी के कैंडिडेट को दिए जाएंगे. ऐसे में कहा जा रहा है कि एसपी उम्मीदवार जया बच्चन से ज्यादा तरजीह भीमराव अंबेडकर को मिल सकती है.

प्रदेश की दस सीटों के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना 9वां प्रत्याशी उतार कर मुकाबले को काफी रोचक बना दिया है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी राज्यसभा की 10 सीटों के चुनाव को लेकर लगातार रणनीति भी बदल रही है. समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने राज्यसभा चुनाव में एक-एक प्रत्याशी उतारे हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा की ताजा स्थिति को देखते हुए एक प्रत्याशी को जीत के लिए 37 विधायकों के वोटों की जरूरत पड़ती है.

विधानसभा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए बीजेपी अपने दम पर आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा भेजने में खुद ही सक्षम है. एसपी भी अपनी एकमात्र प्रत्याशी जया बच्चन को राज्यसभा आराम से भेज सकती है. लेकिन, मामला अटक गया है बीएसपी के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को लेकर. बीएसपी के पास सिर्फ 19 ही विधायक हैं. बीएसपी को एसपी, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन चाहिए. जिसके लिए एसपी लगातार प्रयास कर रही है.

mayawati and akhilesh in up

पिछले दिनों गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में जीत हासिल करने के बाद अखिलेश यादव खुद बीएसपी सुप्रीमो मायावती से मिलने उनके घर पहुंचे थे. अखिलेश यादव ने मायावती से मिलकर धन्यवाद दिया था और भविष्य में भी सहयोग की अपेक्षा व्यक्त की थी. अखिलेश यादव ने मायावती से अपने पुराने गिले-शिकवे को भी दूर करने की कोशिश की.

यूपी की राजनीति में अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती के रिश्ते पिछले कई सालों से सामान्य नहीं हैं. दोनों पार्टियों के रिश्तों में भी काफी कड़वाहट रही है. अखिलेश यादव इस रिश्ते को अब एक नया राजनीतिक आयाम देने की कोशिश कर रहे हैं.

कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव अब किसी भी स्थिति में मायावती को निराश नहीं करना चाहते हैं. अखिलेश अगर राज्यसभा की एक सीट त्याग भी कर देते हैं तो दोनों पार्टियों के भविष्य के लिए यह एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जाने की बात हो सकती है.

गौरतलब है कि उपचुनाव के परिणाम सामने आने के बाद राज्य में इस वक्त दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह का माहौल है. ऐसे में राज्यसभा के चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी की हार हो जाती है तो कहीं न कहीं बीएसपी के वर्करों के मनोबल पर असर पड़ेगा, जिसे दोनों पार्टियों के भविष्य के गठबंधन के लिए भी ठीक नहीं माना जाएगा.

दूसरी तरफ बीजेपी ने 9वां उम्मीदवार उतार कर बीएसपी और एसपी की बढ़ती नजदीकियों को कम करने की कोशिश की है. बीजेपी के तरफ से किए जा रहे ताजा प्रयास इसी नजरिए से देखे जा रहे हैं.

Gorakhpur Lok Sabha by-poll election

हालांकि, बीजेपी के साथ एसपी-बीएसपी को भी अतिरिक्त वोट जुटाने में बड़े पापड़ बेलने पड़ रहे हैं. सभी पार्टियां क्रॉस वोटिंग की चिंता से ग्रस्त हैं. इसके बावजूद बीजेपी लोकसभा उपचुनावों में हार के बाद राज्यसभा की एक सीट की हार की फजीहत से बचने के लिए अपने तरकश से हर तीर निकाल रही है. बीते सोमवार को ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सुभासपा के नेता और सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात ककर गिले-शिकवे दूर किए हैं. दोनों गठबंधन में पिछले कई दिनों से तल्खी दे जा रही थी.

 

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