येद्दयुरप्पा की करीबी सांसद ने किया 120 विधायकों के समर्थन का दावा, कई MLA बदल सकते हैं पाला

बंगलुरू/नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस भले ही सदन के भीतर संख्याबल का दावा कर रही है। लेकिन भाजपा येद्दयुरप्पा के बहुमत साबित करने को लेकर आश्वस्त दिख रही है। भाजपा के कुछ नेता तो सदन में 120 विधायकों के समर्थन हासिल करने का भी दावा कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के बड़े रणनीतिकारों की माने तो येद्दयुरप्पा को सदन के भीतर बहुमत के लिए जरूरी से तीन-चार अधिक विधायकों का समर्थन हासिल होगा। फिलहाल 221 विधायकों के विधानसभा में बहुमत के लिए 111 का आंकड़ा चाहिए। भाजपा को जरूरत सात विधायकों की है। एक सूत्र की मानें तो कुछ विधायक समर्थन में वोट कर सकते हैं जबकि कुछ मतदान से बाहर भी रह सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस के नेताओं की खुशी के इजहार के बीच सबसे पहली प्रतिक्रिया कर्नाटक के भाजपा चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर की ओर से आई। जावड़ेकर ने बहुमत को लेकर विश्वास जताया। इसके बाद येद्दयुरप्पा की करीबी सांसद और भाजपा की प्रदेश महासचिव शोभा करांदलजे ने 120 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा किया, जो विधानसभा के भीतर भी दिखेगा।

समर्थन के लिए जरूर विधायक कहां से आएंगे, यह अभी तक साफ नहीं है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसका खुलासा शनिवार को सदन के भीतर ही होगा। कांग्रेस के पांच और जेडीएस के दो विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने की अटकलें लगाईं जा रही है। चर्चा में कांग्रेस और जेडीएस के लिंगायत विधायकों के पाला बदलने की बात भी है। दोनों दलों के लिंगायत विधायक एक लिंगायत को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी सीट गंवाने को भी तैयार होंगे। लेकिन भाजपा नेताओं की माने तो अब बात सिर्फ लिंगायत तक सीमित नहीं है। कांग्रेस और जेडीएस के भीतर ही समझौते के लेकर तीखा विरोध है और दोनों दलों विधायक मौका मिलते ही सदन के भीतर इसका इजहार करने से नहीं चूंकेंगे।

क्या हो सकते हैं दांव-पेंच
दलीय स्थिति 
कुल सीटें : 224, प्रभावी संख्या : 221 (कुमारस्वामी का एक वोट कम हुआ, वह दो सीटों से जीते हैं)
बहुमत : 111, भाजपा : 104 (बहुमत से 07 कम), कांग्रेस : 78, जदएस+ : 37,अन्य : 02

ऐसा हो तो भाजपा की जीत
– कांग्रेस-जदएस के जो 14 विधायक गायब माने जा रहे हैं, वे सदन की कार्यवाही से गैरहाजिर रहें।
– कांग्रेस व जदएस के 31 लिंगायत विधायक जातीय आधार पर येद्दयुरप्पा के पक्ष में आ जाएं।
– कांग्रेस-जदएस के दो तिहाई विधायकों यानी कांग्रेस के 52 और जेडीएस के 26 विधायकों को वह अपने खेमे में कर ले।
– दो तिहाई सदस्यों के बागी होने पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा। हालांकि इसकी संभावना सबसे कम है।

 

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