राज्यसभा के उम्मीदवारों पर नवीन पटनायक ने सभी को चौंकाया

ओडिशा। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की एक बड़ी खासियत है. वे अंत-अंत तक अपनी किसी योजना की भनक दूसरे को नहीं लगने देते. बात चाहे विधानसभा-लोकसभा उम्मीदवारों के नाम तय करने की हो या मंत्री बनाने-उनके फेरबदल की हो, पटनायक इसके पत्ते जल्दी नहीं खोलते. इस बारे में बोलते भी तब भी हैं, जब मामला फाइनल हो जाए.

गैर सियासी नेता राज्यसभा जाएंगे

पूरे देश में राज्यसभा चुनावों की चहलकदमी है. ओडिशा भी अपने उम्मीदवार भेजने के लिए तैयार है. 25 फरवरी को नवीन पटनायक जब दिल्ली से दौरा कर भुवनेश्वर पहुंचे तो सबको उम्मीद थी कि राज्यसभा के नामों का ऐलान होगा. पर ऐसा हुआ नहीं. बीजेडी अध्यक्ष ने यह जरूर साफ कर दिया कि ‘सियासी लोग’ ही संसद भेजे जाएंगे.

ओडिशा से तीन राज्यसभा सांसदों में दो-हॉकी स्टार दिलीप टर्की और सामाजिक कार्यकर्ता एवी स्वामी-गैर राजनीतिक लोग हैं जबकि सिने स्टार अनुभव मोहंती और शिल्पकार रघुनाथ महपात्रा राज्यसभा भेजे जा चुके हैं. फिर बचता कौन है जिसे पटनायक संसद भेज सकते हैं? यह सवाल सबके मन में कौंधता दिखा.

बीजेडी नेताओं का मानना था कि पार्टी के लोग ही राज्यसभा जाएंगे लेकिन जैसे नामों की बात चली तो लोग हैरानी से नहीं बच पाए. तीन में से दो सीट पर बाहरी नेताओं को राज्यसभा भेजने की तैयारी है. मीडिया कारोबारी और अम्मा ओडिशा पार्टी (एओपी) के अध्यक्ष सौम्य रंजन पटनायक और शिक्षा आंत्रप्योनोर अच्युता सामंता के नाम सामने आ रहे हैं. बीजेडी ज्वाइन करने के छह घंटे बाद ही दोनों नेताओं को राज्यसभा भेजने का फैसला हो गया.

पटनायक के नाम पर ऐतराज

सौम्य रंजन पटनायक और अच्युता सामंता के नाम पर नेताओं को हैरानी भले न हों लेकिन आम लोगों की भौहें तन गई हैं. इतना ही नहीं, तीसरी सीट के लिए बीजेडी नेता प्रसांता नंदा का नाम आगे आया है जिसके बारे में कम ही लोगों को भनक थी.

पटनायक का नाम कैसे चुना गया इसे लेकर लोगों में काफी हैरानी है. सौम्य पटनायक सीएम पटनायक के बहुत बड़े आलोचक रहे हैं. उनका अखबार संबाद अक्सर सरकार को निशाने पर लेता रहा है लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ जो बीजेडी ने उन्हें राज्यसभा भेजने का मूड बना लिया.

सौम्य रंजन पटनायक के चयन पर भले ही हैरानी हो लेकिन नवीन पटनायक सरकार में ही इस मीडिया कारोबारी पर कई आरोप लगे. दूसरी ओर अच्चुता सामंता पर बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान बनाने के लिए कथित रूप से जमीन की धोखाधड़ी करने के आरोप लगे. इस मामले में सामंता को बचाने के लिए ओडिशा सरकार की भी बड़ी खिंचाई हुई.

 

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