राज्य के लिए अलग झंडे का देश में नहीं है प्रावधान, संविधान में नहीं है कोई व्याख्या

नई दिल्ली। देश में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोई राज्य या केंद्रशासित प्रदेश अलग से अपना झंडा तय करे। यह अधिकार केवल जम्मू और कश्मीर के पास है, क्योंकि उसे विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। किसी राज्य के लिए अलग से झंडा होने को लेकर संविधान में कोई व्याख्या नहीं है। वह न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसका विरोध। यह बात संविधान के जानकार केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कही है।

झंडे को लेकर यह चर्चा कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के राज्य के लिए झंडा प्रस्तावित करने के बाद पैदा हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह राज्य के लिए प्रस्तावित झंडे को स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के पास भेजेंगे। देश में लागू झंडा और चिह्न कानून के अनुसार केवल तिरंगे को ही मान्यता प्राप्त है। कानून में किसी अन्य झंडे का उल्लेख नहीं है। हां, चिह्न को लेकर अलग नियम है। राष्ट्र स्तर पर अशोक की लाट वाली तीन मूर्ति का इस्तेमाल होता है जबकि राज्यों ने अलग-अलग चिह्न बनाए हुए हैं।

जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के चलते विशेष राज्य का दर्जा हासिल है, इसलिए वह अलग झंडे का इस्तेमाल करता है। अधिकारी के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को मान्यता प्राप्त है और उसी का देश भर में इस्तेमाल होना संवैधानिक व तार्किक रूप से जरूरी है। अगर इसे नकारने की कोशिश की गई तो भविष्य में जिले और गांव भी अपने-अपने झंडे लगाकर अलग पहचान साबित करने की कोशिश करने लगेंगे। इस बारे में जब गृह मंत्रालय से बात की गई तो प्रवक्ता ने बताया कि नए झंडे की बाबत कर्नाटक सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए उस पर कोई टिप्पणी कर पाना संभव नहीं होगा।

 

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