रोबर्ट वाड्रा के परिवार में पिता,भाई और भाभी की अप्राकृतिक मौत ? क्या ये केवल एक इतेफाक ही है?

जैसा कि रूढ़िवादी लोगों की सोच होती है की वह दुर्भाग्यशाली थी अपने परिवार के लिए| जैसे ही उसके कदम नये घर में पड़े जैसे ही उसकी शादी हुई उसके सास, भाई और पति की अप्राकृतिक मौत हो गयी और कुछ दशकों के बाद इतिहास ने फिर उस बात को दोहराया और इस बार उसकी बेटी उसकी जगह थी|जैसे ही उसने अपने ससुराल में कदम रखे उसके ससुर,भाई और ननंद की अप्राकृतिक मृत्यु हो गयी|आप समझ ही गये होंगे मैं किसकी बात कर रही हूँ|मैं बात कर रही हूँ  माँ,बेटी के जोड़े सोनिया गाँधी-प्रियंका की|दोनों ही अपने ससुराल वालों के लिए दुर्भाग्यशाली रही|

राजवंश परिवार के राजकुमार को एक इतालवी लड़की के साथ प्यार हो गया और उसने उस लड़की से शादी कर ली|बहुत रोमांचक लग रहा है न ये पर जब इसी को दुसरे नज़रिए से देखा जाए की कैसे एक राजकुमार को एक लड़की और उसके परिवार ने झांसे में फसा लिया शादी के लिए तो यही रोमांचकता कहीं दूर उड़ जाती है|राजीव गाँधी को मोहब्बत और शादी के जाल में फसा लिया गया एन्टोनिया मैनो यानी सोनिया गाँधी द्वारा जो की रूस की एक खुफिया एजेंसी केजीबी की एजेंट थी| उनके गाँधी परिवार में आगमन के साथ ही गांधी परिवार में अप्राकृतिक मौतों की जैसे बाड़ ही लग गयी|

पहली मौत संजय गांधी की थी, सोनिया के बहनोई की:उनकी मौत की घातक दुर्घटना से पहले तीन बार उनकी हत्या करने का प्रयास किया गया जिसमे विफलता हुई पर जिसके बाद चौथी बार साज़िश को अंजाम दे दिया गया| उन्होंने एक नया एयर-क्राफ्ट लिया था जिसका बिना किसी विस्फोट क्रैश हो गया| दुर्घटना का एक मात्र कारण हो सकता है की ईंधन की कमी| फिर भी इस रहस्यमय दुर्घटना के जांच का आदेश नही दिया गया|परिवार के भीतर के एक प्रतियोगी का इस तरह सफलतापूर्वक सफाया कर दिया गया।

दूसरी अनैसर्गिक मृत्यु थी उनकी सास यानी इंदिरा गांधी की :वर्ष 1984 में, इंदिरा गांधी की उनके खुद के सुरक्षा गार्डों द्वारा हत्या कर दी गई थी|पर यहीं कहानी में एक मोड़ है जो अभी भी भारतीयों को सत्ता में डाले हुए है की सोनिया गांधी ने इंदिरा गांधी के रक्त से ग्रस्त शरीर को लेके जाने के लिए एम्बुलेंस के बजाए एम्बेसडर कार को क्यूँ चुना? क्यूँ सोनिया गांधी ने उन्हें लेके जाने के लिए पास के अस्पताल एम्स को नही बल्कि दूर वाले अस्पताल सफदरजंग को चुना? सफदरजंग पहुंचने के बाद अचानक से सोनिया का मन फिर से बदला और वो इंदिरा गाँधी को फिर एम्स ले गयी|ऐसी गंभीर हालत में 25 मिनट की बर्बादी जिसमे बहुत खून बह चूका था|  शव परीक्षा के परिणामस्वरूप, इंदिरा गांधी की मृत्यु सिर या दिल पर बुलेट लगने की वजह से नहीं हुई थी बल्कि घावों से अत्याधिक रक्त के बहने की वजह से हुई थी| यह सोनिया को उत्तराधिकारी बनने के एक कदम और करीब ले गया|

अब उनके राह के आखरी प्यादे को हटाने का वक़्त था|पति राजीव गांधी जो उनकी राह के बीच खड़े थे| राजीव गांधी को जब सोनिया के मंसूबों का अंदेशा हुआ तो उन्होंने अपने कदम पीछे खींचने शुरू क्र दिए थे|सोनिया के जॉर्ज हबास, यासर अराफात, सद्दाम हुसैन,ओटावियो क्वात्र्राची, एलटीटीई, नाजियों, फासिस्ट, केजीबी,वेटिकन आदि  से नातों ने राजीव को चकित कर दिया था की उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती कर दी है जो  हमारे भारत को नष्ट कर देगी|1991 में चुनाव, राजीव गांधी अपनी इस गलती को ठीक करने की योजना बना ही रहे थे  (स्रोत- डॉ। सुब्रमण्यम स्वामी लेख और साक्षात्कार) की उनकी हत्या कर दी गयी और सोनिया गाँधी ने भारत पर अपना कब्ज़ा जमा लिया| उन्होंने इसे पर्याप्त रूप से किया था भारत के राजकोष से वैश्विक आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए।

सोनिया गांधी ने न सिर्फ अपने ससुराल वालों को खोया बल्कि अपने करीबी दोस्तों को भी अपने प्रेमी  माधवराव सिंधिया को भी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  राजेश पायलट, जितेंद्र प्रसाद  जो प्रधान मंत्री पद के दावेदार थे 15 महीनों के अंतराल के दौरान इन सब की अप्राकृतिक मौतें हुई| सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कानूनी तौर पर उसे उलझाकर उनके प्रधानमंत्री बनने के सपने को तो नष्ट कर दिया पर उन्होंने फिर भी एक कठपुतली प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के माध्यम से भारत पर शासन किया जिसके फलसवरूप आज वो विश्व की चौथी सबसे अमीर महिला हैं|

कुछ दशक बाद, इसी इतिहास ने स्वयं को दोहराया|सोनिया की बेटी बियांका उर्फ ​​प्रियंका की 1997 में वाड्रा परिवार में शादी हुई और वाड्रा परिवार में अप्राकृतिक मौतों का दौर शुरू हो गया| रोबर्ट वाड्रा के भाभी,भाई और पिता की मृत्यु हो गयी|उनके भाभी की 2001 में दिल्ली-जयपुर पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी|2003 में उनके भाई रिचर्ड वाड्रा ने आत्महत्या कर ली और अप्रैल 2009 में उनके दक्षिण दिल्ली गेस्ट हाउस में ससुर पंखे से लटकते हुए मिले| हालांकि रॉबर्ट और प्रियंका वाड्रा द्वारा दिए बयान में उनके गुर्दे की विफलता की वजह से मृत्यु हो गई थी। परंतु प्रियंका की सास अभी भी जीवित है। वह एक ईसाई महिला है और उन्होंने अपने हिंदू पति को बच्चों को कट्टरपंथी ईसाई के रूप में बड़ा करने के लिए कहा था|

बस इतना ही कहना था और कहदिया|हमें रूढ़िवादी विचारों वाले नही बनना चाहिए हमें ईस माँ बेटी को उनके परिवार के लिए दुर्भाग्यशाली नही कहना चाहिए बल्कि ये समझना चाहिए की ये सब केवल एक  छोटा सा इतेफाक ही तो है और कुछ भी नही|

 

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