लालू यादव ने जज के सामने दी जेल में ‘नरसंहार’ की धमकी ?
रांची। आम तौर पर देखा गया है कि जेल के भीतर राजनैतिक कैदियों पर जेल प्रशासन की खास मेहरबानी रहती है। उन्हें जेल में खास तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। ज्यादा परेशान नहीं किया जाता है। कोई काम नहीं लिया जाता। लेकिन, रांची की बिरसा मुंडा जेल में कैद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जेल में इस तरह की सुविधाओं से मरहूम हैं। ऐसे में वो बौखला से गए हैं। उन्होंने सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने इस बात की शिकायत भी की है कि उन्हें जेल में सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। इसी के साथ इशारों ही इशारों में लालू यादव ने जज को जेल के भीतर नरसंहार की धमकी तक दे डाली। लेकिन, सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह का साफ तौर पर कहना था कि वो चिंता ना करें जैसा वो कह रहे हैं ऐसा कुछ भी नहीं होगा। इसके साथ ही जज ने लालू यादव को दो टूक कह दिया है कि उन्हें जेल के नियमों के मुताबिक ही चलना होगा।
दरअसल, चारा घोटाले में लालू यादव को दो केस में सजा हो चुकी है। जबकि कुछ और मामलों की रेगुलर सुनवाई सीबीआई कोर्ट में चल रही है। जहां लालू यादव को हाजिरी बजानी होती है। अभी हाल ही में लालू यादव दुमका ट्रेजरी के मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई कोर्ट में पेश हुए। अदालत में मौजूद लोगों का कहना है कि पहले तो लालू यादव और जज शिवपाल सिंह के बीच हल्की-फुल्की बातें होती रहीं। जज शिवपाल सिंह ने लालू यादव से उनकी जेल के बारे में सवाल किया। इसके बाद लालू का अंदाज शिकायती हो गया। लालू यादव का कहना था कि जेल प्रशासन उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं और दूसरे लोगों से मिलने ही नहीं देता। जिस पर सीबीआई कोर्ट के जज का कहना था कि आपकी आपके कार्यकर्ताओं से मुलाकात जेल के नियमों के तहत ही हो सकती है। जज शिवपाल सिंह का कहना था कि इसीलिए मैंने आपको ओपन जेल में रखे जाने की पैरवी की थी।
इस पर लालू यादव का जवाब था कि अगर ओपन जेल में उनके कार्यकर्ताओं को उसने मिलने से रोका जाएगा तो जेल के भीतर नरसंहार हो सकता है। ऐसी सूरत में झारखंड पुलिस के 20 हजार जवानों को सिक्योरिटी में तैनात करना होगा। लालू के इस बयान पर सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह तोड़ा तल्ख रुख अपनाते हुए कहते हैं कि आप चिंता ना करें ऐसा कुछ भी नहीं होगा। इसी दरम्यान लालू यादव से जज से ये भी कहा कि रांची की बिरसा मुंडा जेल में उनके साथ सामान्य कैदियों जैसा बर्ताव किया जा रहा है। जिस पर जज का कहना था कि जेल के नियम हर कैदी के लिए समान हैं। जिन्हें बदला नहीं जा सकता है। दरसअल, लालू यादव जेल के भीतर रहते हुए भी अपनी हनक दिखाना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि जेल में ही उनका दरबार सजा रहे। मुलाकातियों को उनसे मिलने से रोका ना जाएं। उनके सेवादार जेल में मौजूद रहें।
जबकि लालू यादव के जो दो सेवादार फर्जी मामले में जेल गए थे उन्हें भी अब छोड़ दिया गया है। लालू यादव अब तक चारा घोटाले के दो केस में सजा पा चुके हैं। चाईबासा ट्रेजरी मामले में उन्हें पांच साल कैद की सजा मिल चुकी है। जबकि देवघर ट्रेजरी मामले में साढ़े तीन साल कैद की सजा हुई है। अब दुमका ट्रेजरी के केस में रेगुलर सुनवाई हो रही है। लालू यादव चाहते हैं कि इस केस में अगर उन्हें सजा मिले तो वो ढाई साल से ज्यादा की ना हो। लालू यादव पिछली पेशी में सीबीआई के जज से ये गुहार लगा चुके हैं कि सर, प्लीज मुझे ढाई साल से ज्यादा की सजा मत दीजिएगा। लालू यादव की इस तरह की बातों पर सीबीआई के जज उन्हें फटकार भी चुके हैं। जज लालू को चेतावनी दे चुके हैं कि वो अदालत के भीतर इस तरह की बातें नहीं होनी चाहिए। इससे पहले भी यूपी के दो अफसरों पर ये आरोप लग चुका है कि वो लालू की पैरवी के लिए सीबीआई के जज को फोन कर चुके हैं।
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