लोकसभा अध्‍यक्ष को वरुण गांधी ने ख़त लिखकर रईस सांसदों को सेलरी न देने की करदी मांग, लोकसभा और राज्‍यसभा के तमाम सांसद बैचेन

नई दिल्ली। उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और फायरब्रांड नेता वरुण गांधी ने लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन को एक खत लिखा है। वरुण गांधी के इस खत से लोकसभा और राज्‍यसभा के तमाम सांसद बैचेन हो उठे हैं। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर वरुण गांधी ने खत में ऐसा क्‍या लिख दिया है कि लोकसभा और राज्‍यसभा के सांसद सन्‍न हैं। दरसअल, वरुण ने लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन को खत लिखकर अनोखी मांग की है। मांग सांसदों की सेलरी को लेकर है। जहां एक ओर लोकसभा और राज्‍यसभा के तमाम सांसद चाहते हैं कि उन्‍हें सरकार से मिलनी वाली सुविधाओं और सेलरी को बढ़ा दिया जाए वहीं वरुण गांधी की मांग है कि रईस सांसदों को सेलरी ही ना दी जाए। वरुण गांधी चाहते हैं कि करोड़पति सांसद अपना वेतन छोड़ने को लेकर आंदोलन की शुरुआत करें। ताकि एक अच्‍छी परंपरा की शुरुआत हो।

वरुण गांधी ने सुमित्रा महाजन को जो खत लिखा है उसमें अपील की गई है कि जो सांसद आर्थिक रूपर से संपन्‍न हैं यानी करोड़पति हैं वो 16 लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल में अपनी सेलरी छोड़ने के लिए आंदोलन की शुरुआत करें। इसके साथ ही उन्‍होंने सुमित्रा महाजन से ये भी मांग की है कि 16 वीं लोकसभा में अब किसी भी सांसद की सेलरी ना बढ़ाई जाए। इसके पीछे उन्‍होंने तर्क भी बहुत ही वाजिब दिया है। वरुण का कहना है कि मौजूदा लोकसभा में 440 सांसद ऐसे हैं जिनके पास करोड़ों रुपए की संपत्ति है। यानी ये सभी सांसद आर्थिक रुप से बहुत मजबूत हैं। इन्‍हें वेतन की कोई जरुरत नहीं है। वरुण के मुताबिक लोकसभा में एक सांसद की औसत संपति 14 करोड 61 लाख रुपए है। जबकि राज्यसभा में एक सांसद की औसत संपत्ति 20 करोड 12 लाख रुपए है। वरुण चाहते हैं कि लोकसभा अध्‍यक्ष करोड़पति सांसदों से अपील करें कि वो अपनी सेलरी छोड़ दें।

लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन को लिखे खत में वरुण गांधी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट का उदाहरण भी दिया है। उन्‍होंने कहा कि 1949 में देश के आर्थिक हालातों को ध्‍यान में रखते हुए नेहरु की कैबिनेट ने तीन महीने तक वेतन ना लेने का फैसला किया था। वरुण गांधी का कहना है कि इसके लिए एक कॉन्स्टि्टूशनल बॉडी बनाए जाने की जरुरत है। जो वक्‍त-वक्‍त पर ये बताए कि सांसदो और विधायकों की सैलरी कब और कितनी बढ़नी चाहिए। वरुण का मानना है कि देश में रोजाना असमानता बढ़ती जा रही है। इसे दूर करने के लिए इस तरह की पहल की जरूरत है। वरुण कहते हैं कि भारत में एक फीसदी लोगों के पास कुल संपदा का करीब साठ फीसदी हिस्‍सा है। जबकि 1930 में इतनी संपदा 21 फीसदी लोगों के पास हुआ करती थी। यानी ये खाईं दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। जिसे पाटने की जरुरत है।

वरुण गांधी का मानना है कि असमानता की ये खाईं देश के लोकतंत्र के लिए काफी हानिकारक है। देश के सिर्फ 84 अरबपति लोगों के पास देश की संपदा का कुल 70 फीसदी हिस्‍सा है। उनका कहना है कि हम लोगों को जनप्रतिनिधि होने के नाते इस ओर ध्‍यान देना होगा। इसके प्रति सक्रिय होना पड़ेगा। हालांकि उनका ये भी मानना है कि देश का हर सांसद ऐसा नहीं है कि उसके पास करोड़ों रुपए हों। बहुत से सांसद ऐसे हैं जिनका गुजर बसर सेलरी पर ही चलता है। इसीलिए उनकी अपील सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत सांसदों के लिए है। शायद यही वजह है कि उन्‍होंने लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन के जरिए आर्थिक तौर पर संपन्‍न सांसदों से सेलरी छोड़ने के आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उनका मानना है कि देश के भीतर इसका सकारात्‍मक संदेश जाएगा। लेकिन, वरुण गांधी की ये अपील कितने सांसदों को रास आएगी कह पाना बेहद मुश्किल है।

 

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